ETV Bharat / state

इटावा: दुनिया की सबसे पुरानी रामलीला का समापन करने पहुंचे शिवपाल यादव

यूपी के इटावा जनपद में कोरोना के चलते इस बार जसवन्तनगर कस्बे के नरसिंह मंदिर में राम का राज्याभिषेक कर राम लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न का डोला निकाला गया. इसके बाद रावण का वध कर एक ही दिन में रामलीला का समापन भी किया गया. इस मौके पर श्रीराम की आरती और रावण का वध करने प्रसपा के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव पहुंचे और उन्होंने तीर चलाकर रावण के वध के साथ रामलीला का समापन किया.

शिवपाल यादव ने तीर चलाकर किया रामलीला का समापन.
शिवपाल यादव ने तीर चलाकर किया रामलीला का समापन.
author img

By

Published : Oct 19, 2020, 7:07 PM IST

इटावा: जनपद के जसवन्तनगर कस्बे में सन 1860 से प्रतिवर्ष हो रही रामलीला का आयोजन इस वर्ष कोरोना काल के चलते नहीं हुआ. 2005 में यूनेस्को ने पूरे विश्व में हो रही 482 रामलीलाओं में जसवंतनगर की रामलीला को सबसे अलग माना क्योंकि यह घुमंतू के साथ-साथ मुखौटों वाली रामलीला है.

मॉरिशस से आई इंद्राणी राम प्रसाद ने भारत में हो रही रामलीलाओं पर शोध किया और पाया कि इटावा के जसवन्तनगर कस्बे की 162 वर्ष पुरानी रामलीला अपने आप में अनूठी रामलीला है. इसके बाद यूनेस्को ने इंडोनेशिया, फिजी, श्रीलंका की रामलीलाओं को देखने के बाद जसवंतनगर की रामलीला को दुनिया की सबसे पुरानी रामलीला माना और इसे विश्व धरोहर का दर्जा दिया. तब से अब तक जसंवतनगर की रामलीला अपने पहले स्थान पर काबिज रही है.

कोरोना के चलते एक ही दिन में खत्म हो गई रामलीला
कोरोना के चलते इस बार कस्बे के नरसिंह मंदिर में राम का राज्याभिषेक कर राम लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न का डोला निकाला गया और इसके बाद रावण का वध कर एक ही दिन में रामलीला का समापन किया गया. इस मौके पर श्रीराम की आरती और रावण का वध करने प्रसपा के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव पहुंचे और उन्होंने तीर चलाकर रावण के वध के साथ रामलीला का समापन किया.

कोरोना के शक्ल में बना रावण का पुतला
इस बार रावण के रूप में कोरोना की शक्ल का प्रयोग कर उसका पुतला बनाया गया और उसका दहन किया गया. इस मौके पर अयोध्या सेवा संस्थान के निदेशक योगेंद्र प्रताप भी पहुंचे और उन्होंने इस रामलीला की विशेषता भी बताई.

166 साल में दूसरी बार नहीं हुआ मंचन
प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह ने बताया कि 166 साल बाद यह दूसरा मौका है, जब इस विश्व प्रसिद्ध रामलीला का मंचन नहीं हुआ है. एक बार जब देश में गदर हुआ था. तब भी इस रामलीला को रोका गया था और आज कोविड के चलते दूसरी बार यहां रामलीला नहीं हो पाई है.

इसे भी पढ़ें- हाथरस कांड के दोषियों को मिलेगी कड़ी सजा- राम शंकर कठेरिया

इटावा: जनपद के जसवन्तनगर कस्बे में सन 1860 से प्रतिवर्ष हो रही रामलीला का आयोजन इस वर्ष कोरोना काल के चलते नहीं हुआ. 2005 में यूनेस्को ने पूरे विश्व में हो रही 482 रामलीलाओं में जसवंतनगर की रामलीला को सबसे अलग माना क्योंकि यह घुमंतू के साथ-साथ मुखौटों वाली रामलीला है.

मॉरिशस से आई इंद्राणी राम प्रसाद ने भारत में हो रही रामलीलाओं पर शोध किया और पाया कि इटावा के जसवन्तनगर कस्बे की 162 वर्ष पुरानी रामलीला अपने आप में अनूठी रामलीला है. इसके बाद यूनेस्को ने इंडोनेशिया, फिजी, श्रीलंका की रामलीलाओं को देखने के बाद जसवंतनगर की रामलीला को दुनिया की सबसे पुरानी रामलीला माना और इसे विश्व धरोहर का दर्जा दिया. तब से अब तक जसंवतनगर की रामलीला अपने पहले स्थान पर काबिज रही है.

कोरोना के चलते एक ही दिन में खत्म हो गई रामलीला
कोरोना के चलते इस बार कस्बे के नरसिंह मंदिर में राम का राज्याभिषेक कर राम लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न का डोला निकाला गया और इसके बाद रावण का वध कर एक ही दिन में रामलीला का समापन किया गया. इस मौके पर श्रीराम की आरती और रावण का वध करने प्रसपा के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव पहुंचे और उन्होंने तीर चलाकर रावण के वध के साथ रामलीला का समापन किया.

कोरोना के शक्ल में बना रावण का पुतला
इस बार रावण के रूप में कोरोना की शक्ल का प्रयोग कर उसका पुतला बनाया गया और उसका दहन किया गया. इस मौके पर अयोध्या सेवा संस्थान के निदेशक योगेंद्र प्रताप भी पहुंचे और उन्होंने इस रामलीला की विशेषता भी बताई.

166 साल में दूसरी बार नहीं हुआ मंचन
प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह ने बताया कि 166 साल बाद यह दूसरा मौका है, जब इस विश्व प्रसिद्ध रामलीला का मंचन नहीं हुआ है. एक बार जब देश में गदर हुआ था. तब भी इस रामलीला को रोका गया था और आज कोविड के चलते दूसरी बार यहां रामलीला नहीं हो पाई है.

इसे भी पढ़ें- हाथरस कांड के दोषियों को मिलेगी कड़ी सजा- राम शंकर कठेरिया

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.