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एक ऐसा मंदिर, जहां हनुमानजी खाते हैं लड्डू और लेते हैं सांस

इटावा का प्रसिद्ध श्री पिलुआ महावीर मंदिर में गुरु पूर्णिमा के दिन भारी भीड़ देखने को मिली. मान्यता है कि इस मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति लड्डू का भोग लगाते हैं.

श्री पिलुआ महावीर मंदिर
श्री पिलुआ महावीर मंदिर
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Published : Jul 4, 2023, 3:40 PM IST

श्री पिलुआ महावीर मंदिर की मान्यता के बारे में बताते संत

इटावाः जिले से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर थाना सिविल लाइन क्षेत्र में रूरा नाम का एक गांव हैं. यहां यमुना नदी के निकट पिलुआ महावीर मंदिर है, जहां भगवान हनुमान विराजमान है. मान्यता है कि यहां आने वाले भक्‍तों की मुरादें हनुमानजी तो पूरी करते ही हैं, साथ ही लड्डू भी खाते हैं. यहां आने वाले भक्तों कहते है कि हनुमान जी के मुख से लगातार राम नाम की ध्वनि सुनाई देती है और उनकी मूर्ति से सांसें चलने का भी एहसास होता है. गुरु पूर्णिमा के मौके पर पिलुआ महावीर मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली. इस दौरान विशाल भंडारे का आयोजन किया गया.

धार्मिक मान्यता है कि मंदिर में मौजूद हनुमान जी का चमत्‍कारी रूप भक्तों का हर संकट को हर लेता है. एक बार अगर हनुमान जी का नाम ले लिया तो समझो सारा डर खत्‍म हो गया. हनुमान जी के भक्त का कोई शत्रु नहीं होता. यहां पर हर दिन अलग-अलग तरह के चमत्‍कार देखने और सुनने को मिलते हैं. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि हनुमान की मूर्ति प्रसाद भी खाती है. यहां मौजूद मूर्ति के मुंह में जितना भी लड्डू डालो. वह कहां गायब हो जाता है, पता ही नहीं चलता. यह वर्षों से इसी क्रम में चला आ रहा है. किसी को नहीं पता कि आखिर प्रसाद कहां जाता है.

मंदिर का इतिहासः पिलुआ वाले हनुमान जी के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर का इतिहास भी काफी रोचक है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि पिलुआ एक जंगली पेड़ होता है. इसकी जड़ के नीचे एक दिन हनुमान जी दबे हुए एक राजा को मिले थे. उस राजा ने उन्‍हें वहां से निकलवा कर उनके लिये उसी जगह पर एक छोटा सा मंदिर बनवाया. तभी इसे इस मंदिर का नाम पिलुआ वाले महावीर पड़ गया.

नोटः ये खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है.

ये भी पढ़ेंः अमरनाथ यात्रा 2023: 17 हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने पवित्र शिव‍लिंग के किए दर्शन

श्री पिलुआ महावीर मंदिर की मान्यता के बारे में बताते संत

इटावाः जिले से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर थाना सिविल लाइन क्षेत्र में रूरा नाम का एक गांव हैं. यहां यमुना नदी के निकट पिलुआ महावीर मंदिर है, जहां भगवान हनुमान विराजमान है. मान्यता है कि यहां आने वाले भक्‍तों की मुरादें हनुमानजी तो पूरी करते ही हैं, साथ ही लड्डू भी खाते हैं. यहां आने वाले भक्तों कहते है कि हनुमान जी के मुख से लगातार राम नाम की ध्वनि सुनाई देती है और उनकी मूर्ति से सांसें चलने का भी एहसास होता है. गुरु पूर्णिमा के मौके पर पिलुआ महावीर मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली. इस दौरान विशाल भंडारे का आयोजन किया गया.

धार्मिक मान्यता है कि मंदिर में मौजूद हनुमान जी का चमत्‍कारी रूप भक्तों का हर संकट को हर लेता है. एक बार अगर हनुमान जी का नाम ले लिया तो समझो सारा डर खत्‍म हो गया. हनुमान जी के भक्त का कोई शत्रु नहीं होता. यहां पर हर दिन अलग-अलग तरह के चमत्‍कार देखने और सुनने को मिलते हैं. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि हनुमान की मूर्ति प्रसाद भी खाती है. यहां मौजूद मूर्ति के मुंह में जितना भी लड्डू डालो. वह कहां गायब हो जाता है, पता ही नहीं चलता. यह वर्षों से इसी क्रम में चला आ रहा है. किसी को नहीं पता कि आखिर प्रसाद कहां जाता है.

मंदिर का इतिहासः पिलुआ वाले हनुमान जी के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर का इतिहास भी काफी रोचक है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि पिलुआ एक जंगली पेड़ होता है. इसकी जड़ के नीचे एक दिन हनुमान जी दबे हुए एक राजा को मिले थे. उस राजा ने उन्‍हें वहां से निकलवा कर उनके लिये उसी जगह पर एक छोटा सा मंदिर बनवाया. तभी इसे इस मंदिर का नाम पिलुआ वाले महावीर पड़ गया.

नोटः ये खबर धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है.

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