इटावा : हिंदू धर्म में कहा जाता है कि अंतिम संस्कार के बिना मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है, यही कारण है कि जब भी किसी की मृत्यु होती है तो पूरे विधि-विधान से परिजन उसका अंतिम संस्कार करते हैं, लेकिन कुछ लोगों को परिजनों के हाथों अंतिम संस्कार भी नसीब नहीं हो पाता है. कई शवों की पहचान भी नहीं हो पाती है. ऐसे शवों का अंतिम संस्कार शहर के युवाओं की टीम करती है. इटावा के रक्तदाता समूह से जुड़े युवा ऐसे शवों को अंतिम संस्कार जिम्मेदारी के साथ करते हैं.
कोरोना महामारी से करते आ रहे सेवा : बता दें कि इटावा के इस रक्तदाता संस्था में सभी जाति धर्म के लोग शामिल हैं, जो लावारिस शवों के अंतिम संस्कार को अपना सामाजिक कर्तव्य समझते हैं. यह शव दाह संस्कार का काम कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू हुआ था, जब कोराना वायरस से मरने वाले कुछ लोगों के शवों को अंतिम संस्कार भी नहीं किया जा रहा था, जिनमें कुछ ऐसे भी थे जिनके परिवार के सदस्यों ने शवों को छूने से भी इनकार कर दिया था. ऐसी स्थिति में इटावा के रक्तदाता समूह से जुड़े युवाओं ने सेवा प्रदान करने का फैसला किया, जो लगातार लावारिश शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है.
रक्तदान भी करती है टीम : रक्तदाता समूह टीम के सक्रिय सदस्य सौरभ परिहार ने बताया कि उनकी टीम का काम है लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करना है. उनकी टीम इटावा और औरैया जिलों से बरामद अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार करती है. इसके अलावा उनकी टीम ब्लड डोनेशन का भी कार्य करती है. उन्होंने बताया कि ऑल इंडिया में जिसे भी ब्लड की आवश्यकता होती है उन मरीजों को निशुल्क ब्लड उपलब्ध कराया जाता है.
कई जिलों में सक्रिय है टीम : सौरभ परिहार ने बताया कि अज्ञात शवों के अंतिम संस्कार का काम इटावा, औरैया के अलावा मैनपुरी भिंड के आसपास जिलों में भी उनकी टीम सक्रिय है. इसके अलावा वह टीम को आगे बढ़ाने पर भी काम कर रहे हैं. उनकी इस टीम से मौजूदा समय में 60 हजार सदस्य जुड़ चुके हैं. इस टीम में 100 से अधिक सदस्य हमेशा सक्रिय रहते हैं. उन्होंने बताया कि कोविड-19 के समय जब लोगों को ब्लड की आवश्यकता थी, तब उनके परिवार के पिता, भाई, बहन या अन्य कोई रिश्तेदार पीड़ित के साथ नहीं खड़ा होता था, उस समय उनकी टीम लोगों को ब्लड, ऑक्सीजन सिलेंडर देने का कार्य करती थी. उन्होंने बताया कि 5 अगस्त 2019 को उनकी टीम ब्लड डोनेशन का कार्य कर रही थी. इसी दौरान ब्लड डोनेशन के सामने ही एक बुजुर्ग की मौत हो गई. सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.
इस तरह मिली प्रेरणा : सौरभ ने बताया कि पुलिस ने जानकारी दी कि शव के पोस्टमार्टम होने के 72 घंटे बाद ही उन्हें शव दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि वह इंतजार करते रहेंगे. इस बात को लेकर इंस्पेक्टर ने कहा कि इसमें क्या रखा है ? उस दिन से उन्होंने सोच लिया कि अब जितने भी अज्ञात शव उन्हें मिलेंगे. वह उन शवों का अंतिम संस्कार करेंगे. शव हिंदू और मुस्लिम जिसका भी होगा, वह उसके ही अनुसार उसका अंतिम संस्कार करते चले आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि अभी तक 16 मुस्लिम और 217 हिंदूओं के शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं, जिसमें बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं शामिल हैं. उन्होंने बताया कि अंतिम संस्कार में जो खर्चा आता है, उनकी टीम अपने घर परिवार, रिश्तेदारों और मित्रों आदि के छोटे-छोटे सहयोग से पूरा करते हैं. उन्हें यह कार्य करने में कोई लालच नहीं है. वह सिर्फ मानव हित में उसका अंतिम संस्कार करते हैं.
वहीं रक्तदाता समूह के सदस्य धनंजय सिंह ने बताया कि उनका संगठन आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि सरकारें जैसे सभी चीजों पर ध्यान देती हैं, उसी तरह इस ओर भी ध्यान देना चाहिए. जनप्रतिनिधि केवल दिखावे के लिए कार्य करते हैं. उन्हें ऐसे धार्मिक कार्य में मानसिक शांति मिलती है.
इसी तरह रक्तदाता समूह के एक सदस्य पंकज भदौरिया ने बताया कि उनकी टीम को लावारिस शवों के बारे में पुलिस द्वारा जानकारी मिलती है. शव को 72 घंटे के ऑब्जरवेशन के बाद उनकी टीम को दिया जाता है. उनकी टीम धर्म के अनुसार उन शवों का अंतिम संस्कार करती है. उन्होंने बताया कि कभी-कभी तो नदियों, नालों, तालाबों में शव सड़े-गले और अधजले पाए जाते हैं. जिनकी पहचान ही नहीं हो पाती है. उनकी टीम अज्ञात शवों के अंतिम संस्कार के अलावा ब्लड डोनेशन का कार्य भी करती है. इसके अलावा उनका एक आवासीय विद्यालय और एक बालिका विद्यालय भी है. उनके विद्यालय में गरीब बच्चों को शिक्षा दी जाती है. इसके अलावा सर्दियों में जिन लोगों के पास गर्म कपड़े नहीं होते हैं. उन लोगों को गर्म कपड़े, जूते और कंबल भी उपलब्ध कराया जाता है. इसके अलावा प्रत्येक मंगलवार को वह लोग भोजन की निःशुल्क व्यवस्था करते हैं. साथ ही किसी अन्य तरह से परेशान लोगों की भी मदद करते हैं.
यह भी पढ़ें- Dev Diwali 2023: काशी की धरती पर आज उतरेगा देवलोक, जगमग होंगे 12 लाख दीप, 70 देशों के राजदूत संग सीएम योगी बनेंगे गवाह
यह भी पढ़ें- बस्ती में रेलवे ट्रैक पार कर रहे बच्चे समेत तीन लोगों की ट्रेन से कटकर मौत, महिला गंभीर