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कनाडा से बेटे का शव लाने के लिए भटक रहा देश का पूर्व फौजी, विदेश मंत्रालय पर उठ रहे सवाल

एटा जिले की तहसील अलीगंज क्षेत्र के रहने वाले रिटायर्ड फौजी अपने बेटे का पार्थिव शरीर कनाडा से भारत लाने के लिए विदेश मंत्रालय से लेकर जनप्रतिनिधियों तक की चौखट के चक्कर काट रहे हैं. लेकिन, उनकी समस्या को कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है.

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पूर्व फौजी सुभाष चंद्र पांडे
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Published : Sep 3, 2022, 12:13 PM IST

एटा: रिटायर्ड फौजी के पुत्र का पार्थिव शरीर 11 दिनों से कनाडा से भारत नहीं आ पा रहा है. इसको लेकर विदेश मंत्रालय पर सवाल उठ रहे हैं. देश का एक पूर्व फौजी अपने बेटे के शव को लाने के लिए आज 10 दिन से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है. फौजी का बेटा कनाडा में अपनी पत्नी के साथ रहता था. आजादी के अमृत महोत्सव समाप्त होने के बाद एक सप्ताह बीत जाने के बाद से फौजी अपने मृतक बेटे के पार्थिव शरीर को भारत लाने के लिए दर-दर भटक रहा है.

23 अगस्त से ही लाचार पिता विदेश मंत्रालय से लेकर के जनप्रतिनिधियों तक की चौखट के चक्कर काट रहा है. लेकिन, इनका दर्द समझने वाला कोई दिखाई नहीं दे रहा है. आज भी हमारे देश में कुछ फौजियों की हालत देखकर कलेजा दर्द से भर आता है. 80 साल की उम्र गुजार चुके रिटायर्ड फौजी कभी सीमा पर जाकर नहीं रोया. लेकिन, कुदरत का कहर इस कदर बरपा कि उसके सामने ही उसके बेटे की सांसें थम गईं.

रिटायर्ड फौजी सुभाष चंद्र पांडे और एडीएम आलोक कुमार ने दी जानकारी.

रुंधे हुए गले और भीगी हुई आंखों से फौजी सुभाष चंद्र पांडे ने बताया कि मेरे बेटे की मौत (कनाडा के समयानुसार) 23 अगस्त को कनाडा के विक्टोरिया हॉस्पिटल में हुई थी. मौत के बाद आज 11 दिन बीत गए हैं. फौजी का कहना है कि वह क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, विधायक, सांसद और अधिकारियों के कार्यालय तक के चक्कर लगा चुके हैं. लेकिन, कोई सुनने वाला नहीं है. उन्होंने बताया कि अब तो कनाडा में स्थित भारतीय एंबेसी ने भी मेरा फोन उठाना बंद कर दिया है. सुभाष चंद्र पांडे एटा की तहसील अलीगंज क्षेत्र के ग्राम वरना के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि उनके दो बेटे हैं. जिसकी मौत हुई है, वह मेरा बड़ा बेटा है.

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रिटायर्ड फौजी सुभाष चंद्र पांडे ने बताया कि उनके बेटे तरुण पांडे और उनकी पुत्रवधू रंजना के मध्य में कुछ विवाद बीते 5 साल से चल रहा है. हालांकि, अभी तक तलाक नहीं हुआ है. उनका बेटा और पुत्रवधू पिछले एक वर्ष से कनाडा में ही अलग-अलग जगह रह रहे थे. जब बेटे की तबीयत खराब हुई तो डॉक्टरों ने उसको अस्पताल में लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा हुआ था. लेकिन, पुत्रवधू ने वहां पर लिखित तौर पर डॉक्टर से अपील की कि इनको लाइफ सपोर्ट सिस्टम से हटा दीजिए. इसके बाद उनके बेटे की मौत हो गई.

मृतक के भाई निखार पांडेय ने बताया कि तरुण पांडे आखिरी बार उसकी शादी 2007 में भारत आए थे. अब वह हमारे बीच नहीं हैं. वह हमें हमेशा सपोर्ट करते थे. वह कहते थे कि हम जल्द ही भारत आकर रहेंगे. भाई के पासपोर्ट की अवधि भी समाप्त हो चुकी थी. सुभाष चंद्र पांडे ने बताया कि उन्होंने अपने फर्रुखाबाद लोकसभा के क्षेत्रीय सांसद मुकेश राजपूत और कन्नौज के सांसद सुब्रत पाठक से भी मुलाकात की. उन्होंने विदेश मंत्रालय के लिए भी पत्र लिखा है. लेकिन, अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है. उन्होंने विदेश मंत्रालय से बार-बार संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन, वहां पर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. अब तो कनाडा में रह रहे भारतीय एंबेसी ने भी हमारा फोन उठाना बंद कर दिया है.

क्षेत्रीय विधायक सत्यपाल सिंह राठौर ने बताया कि यह पूरा प्रकरण अब हमारे संज्ञान में आया है. इसके लिए मुख्यमंत्री जी से बात करेंगे. जल्द से जल्द शव भारत में लाने का प्रयास किया जाएगा. अलीगंज के एसडीएम मानवेंद्र सिंह ने बताया कि यह पूरा प्रकरण हमारे और जिला अधिकारी के संज्ञान में है. हमने विदेश मंत्रालय के लिए पत्र लिखा है. शव को भारत लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

यह भी पढ़े-रेरा ने लगाया इन्वेस्टर्स क्लीनिक इन्फ्राटेक पर 36 लाख का जुर्माना

एटा: रिटायर्ड फौजी के पुत्र का पार्थिव शरीर 11 दिनों से कनाडा से भारत नहीं आ पा रहा है. इसको लेकर विदेश मंत्रालय पर सवाल उठ रहे हैं. देश का एक पूर्व फौजी अपने बेटे के शव को लाने के लिए आज 10 दिन से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहा है. फौजी का बेटा कनाडा में अपनी पत्नी के साथ रहता था. आजादी के अमृत महोत्सव समाप्त होने के बाद एक सप्ताह बीत जाने के बाद से फौजी अपने मृतक बेटे के पार्थिव शरीर को भारत लाने के लिए दर-दर भटक रहा है.

23 अगस्त से ही लाचार पिता विदेश मंत्रालय से लेकर के जनप्रतिनिधियों तक की चौखट के चक्कर काट रहा है. लेकिन, इनका दर्द समझने वाला कोई दिखाई नहीं दे रहा है. आज भी हमारे देश में कुछ फौजियों की हालत देखकर कलेजा दर्द से भर आता है. 80 साल की उम्र गुजार चुके रिटायर्ड फौजी कभी सीमा पर जाकर नहीं रोया. लेकिन, कुदरत का कहर इस कदर बरपा कि उसके सामने ही उसके बेटे की सांसें थम गईं.

रिटायर्ड फौजी सुभाष चंद्र पांडे और एडीएम आलोक कुमार ने दी जानकारी.

रुंधे हुए गले और भीगी हुई आंखों से फौजी सुभाष चंद्र पांडे ने बताया कि मेरे बेटे की मौत (कनाडा के समयानुसार) 23 अगस्त को कनाडा के विक्टोरिया हॉस्पिटल में हुई थी. मौत के बाद आज 11 दिन बीत गए हैं. फौजी का कहना है कि वह क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, विधायक, सांसद और अधिकारियों के कार्यालय तक के चक्कर लगा चुके हैं. लेकिन, कोई सुनने वाला नहीं है. उन्होंने बताया कि अब तो कनाडा में स्थित भारतीय एंबेसी ने भी मेरा फोन उठाना बंद कर दिया है. सुभाष चंद्र पांडे एटा की तहसील अलीगंज क्षेत्र के ग्राम वरना के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि उनके दो बेटे हैं. जिसकी मौत हुई है, वह मेरा बड़ा बेटा है.

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रिटायर्ड फौजी सुभाष चंद्र पांडे ने बताया कि उनके बेटे तरुण पांडे और उनकी पुत्रवधू रंजना के मध्य में कुछ विवाद बीते 5 साल से चल रहा है. हालांकि, अभी तक तलाक नहीं हुआ है. उनका बेटा और पुत्रवधू पिछले एक वर्ष से कनाडा में ही अलग-अलग जगह रह रहे थे. जब बेटे की तबीयत खराब हुई तो डॉक्टरों ने उसको अस्पताल में लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रखा हुआ था. लेकिन, पुत्रवधू ने वहां पर लिखित तौर पर डॉक्टर से अपील की कि इनको लाइफ सपोर्ट सिस्टम से हटा दीजिए. इसके बाद उनके बेटे की मौत हो गई.

मृतक के भाई निखार पांडेय ने बताया कि तरुण पांडे आखिरी बार उसकी शादी 2007 में भारत आए थे. अब वह हमारे बीच नहीं हैं. वह हमें हमेशा सपोर्ट करते थे. वह कहते थे कि हम जल्द ही भारत आकर रहेंगे. भाई के पासपोर्ट की अवधि भी समाप्त हो चुकी थी. सुभाष चंद्र पांडे ने बताया कि उन्होंने अपने फर्रुखाबाद लोकसभा के क्षेत्रीय सांसद मुकेश राजपूत और कन्नौज के सांसद सुब्रत पाठक से भी मुलाकात की. उन्होंने विदेश मंत्रालय के लिए भी पत्र लिखा है. लेकिन, अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है. उन्होंने विदेश मंत्रालय से बार-बार संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन, वहां पर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. अब तो कनाडा में रह रहे भारतीय एंबेसी ने भी हमारा फोन उठाना बंद कर दिया है.

क्षेत्रीय विधायक सत्यपाल सिंह राठौर ने बताया कि यह पूरा प्रकरण अब हमारे संज्ञान में आया है. इसके लिए मुख्यमंत्री जी से बात करेंगे. जल्द से जल्द शव भारत में लाने का प्रयास किया जाएगा. अलीगंज के एसडीएम मानवेंद्र सिंह ने बताया कि यह पूरा प्रकरण हमारे और जिला अधिकारी के संज्ञान में है. हमने विदेश मंत्रालय के लिए पत्र लिखा है. शव को भारत लाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं.

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