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एटा: भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा पंचायत उद्योग, बंद हुई सेनेटरी नैपकिन यूनिट

उत्तर प्रदेश के एटा में पंचायत उद्योग के तहत लगाई गई सेनेटरी नैपकिन यूनिट से सरकार की मंशा थी कि महिलाओं को स्वावलंबी बनाना जाए, लेकिन भ्रष्टाचार और लापरवाही के कारण यह यूनिट बंद हो गई.

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बंद हुई सेनेटरी नैपकिन यूनिट.
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Published : Jan 8, 2020, 2:06 AM IST

एटा: स्वच्छ भारत मिशन के तहत एटा जिले में शुरू किया गया सेनेटरी नैपकिन उत्पादन का पंचायत उद्योग कुछ महीने बाद ही बंद हो गया. इस सेनेटरी नैपकिन यूनिट पर ताला लटकने के पीछे पंचायत सचिव की लापरवाही मानी जा रही है, जो कि अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं. उनके खिलाफ जांच चल रही है. डीपीआरओ एक बार फिर इस बंद पड़ी यूनिट को शुरू कराने की बात कह रहे हैं.

बंद हुई सेनेटरी नैपकिन यूनिट.
  • साल 2017 में जिला मुख्यालय स्थित सीतलपुर विकासखंड में पंचायत उद्योग की शुरुआत की गई थी.
  • पंचायत उद्योग के तहत सेनेटरी नैपकिन यूनिट लगाई गई थी.
  • इस यूनिट को शुरू करने के पीछे सरकार की मंशा थी कि महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जाए.
  • इस उद्योग के लिए मशीनें लगाई गई थी और कई महिलाओं को नैपकिन उत्पादन के काम में लगाया गया था.
  • दुर्भाग्य से इस उद्योग को शुरू होने के कुछ दिन बाद ही बंद कर दिया गया.

ये भी पढ़ें- जौनपुरः ठंड से पशुओं की मौत के चलते गोशाला बनी कब्रिस्तान

लाखों की लागत से बनाया गया भवन
सेनेटरी नैपकिन यूनिट लगाने के लिए सीतलपुर विकासखंड कार्यालय के बगल में 8 लाख 81 हजार रुपये में नया भवन बनाया गया, लेकिन इस भवन में ताला लटका हुआ है. इस भवन का लोकार्पण जिले के प्रभारी मंत्री अतुल गर्ग ने 24 अगस्त 2017 को किया था. बताया जा रहा है कि करीब 60 हजार की सेनेटरी नैपकिन बनाई गई, जिसमें से आज भी काफी मात्रा में सेनेटरी नैपकिन बेकार पड़ी हुई है.

एटा: स्वच्छ भारत मिशन के तहत एटा जिले में शुरू किया गया सेनेटरी नैपकिन उत्पादन का पंचायत उद्योग कुछ महीने बाद ही बंद हो गया. इस सेनेटरी नैपकिन यूनिट पर ताला लटकने के पीछे पंचायत सचिव की लापरवाही मानी जा रही है, जो कि अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं. उनके खिलाफ जांच चल रही है. डीपीआरओ एक बार फिर इस बंद पड़ी यूनिट को शुरू कराने की बात कह रहे हैं.

बंद हुई सेनेटरी नैपकिन यूनिट.
  • साल 2017 में जिला मुख्यालय स्थित सीतलपुर विकासखंड में पंचायत उद्योग की शुरुआत की गई थी.
  • पंचायत उद्योग के तहत सेनेटरी नैपकिन यूनिट लगाई गई थी.
  • इस यूनिट को शुरू करने के पीछे सरकार की मंशा थी कि महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जाए.
  • इस उद्योग के लिए मशीनें लगाई गई थी और कई महिलाओं को नैपकिन उत्पादन के काम में लगाया गया था.
  • दुर्भाग्य से इस उद्योग को शुरू होने के कुछ दिन बाद ही बंद कर दिया गया.

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लाखों की लागत से बनाया गया भवन
सेनेटरी नैपकिन यूनिट लगाने के लिए सीतलपुर विकासखंड कार्यालय के बगल में 8 लाख 81 हजार रुपये में नया भवन बनाया गया, लेकिन इस भवन में ताला लटका हुआ है. इस भवन का लोकार्पण जिले के प्रभारी मंत्री अतुल गर्ग ने 24 अगस्त 2017 को किया था. बताया जा रहा है कि करीब 60 हजार की सेनेटरी नैपकिन बनाई गई, जिसमें से आज भी काफी मात्रा में सेनेटरी नैपकिन बेकार पड़ी हुई है.

Intro:एटा। स्वच्छ भारत मिशन के तहत एटा जनपद में शुरू किया गया सेनेटरी नेपकिन उत्पादन का पंचायत उद्योग शुरू होने के कुछ महीने बाद ही बंद हो गया। इस सेनेटरी नैपकिन यूनिट पर ताला लटकने के पीछे पंचायत सचिव की लापरवाही मानी जा रही है। जो कि अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं। जिनके खिलाफ जांच चल रही है। हालाकी डीपीआरओ एक बार फिर इस बंद पड़ी यूनिट को शुरू कराने की बात कह रहे हैं।


Body:साल 2017 में जिला मुख्यालय स्थित सीतलपुर विकासखंड में पंचायत उद्योग की शुरुआत की गई थी। पंचायत उद्योग के तहत सैनिटरी नैपकिन यूनिट लगाई गई थी । यूनिट में नैपकिन बनाने वाली मशीनें लगी । इस यूनिट को शुरू करने के पीछे सरकार की मंशा थी कि महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जाए। जिसका उद्घाटन तत्कालीन डीएम अमित किशोर ने किया था। इस उद्योग के लिए मशीनें लगाई गई थी और कई महिलाओं को नैपकिन उत्पादन के काम में लगाया गया था। जब यह सैनिटरी नैपकिन की यूनिट लगाई गई थी,तो उस समय कहा गया था कि सेनेटरी नैपकिन की सप्लाई सभी सरकारी अस्पताल, स्कूल सहित अन्य संस्थाओं में किया जाएगा। लेकिन दुर्भाग्य से इस उद्योग को शुरू होने के कुछ दिन बाद ही बंद कर दिया गया।

यूनिट लगाने के लिए लाखों की कीमत से बनाया गया अलग भवन

सेनेटरी नैपकिन यूनिट लगाने के लिए सीतलपुर विकासखंड कार्यालय के बगल में 8 लाख 81 हजार रुपए में नया भवन बनाया गया। जिस पर आज ताला लटक रहा है। इस भवन का लोकार्पण जिले के प्रभारी मंत्री अतुल गर्ग ने 24 अगस्त 2017 को किया था। बताया जा रहा है कि करीब 60 हजार की सेनेटरी नैपकिन बनाई गई। जिसमें से आज भी काफी मात्रा में सेनेटरी नैपकिन बेकार पड़ी हुई है।

बाइट:आलोक (डीपीआरओ, एटा)


Conclusion:पंचायत उद्योग के तहत लगाई गई सैनिटरी नैपकिन यूनिट से सरकार की मंशा थी की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के साथ ही उन्हें स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना था। लेकिन भ्रष्टाचार और लापरवाही के कारण यह यूनिट बंद हो गई और सरकार की मंशा पर पानी फिर गया और अधिकारी जांच करा रहे हैं।
पीटूसी:वीरेंद्र पाण्डेय
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