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एटा: बजट के बाद भी नहीं बदल रही स्कूलों की तस्वीर, प्रधानाध्यापकों पर कार्रवाई की तैयारी - बीएसए संजय कुमार

उत्तर प्रदेश के एटा जिले में प्राथमिक विद्यालय के भवनों की हालत बेहद दयनीय है. इसलिए अब बीएसए ऐसे विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को चिन्हित कर रहे हैं, जिन्होंने बजट होने के बावजूद विद्यालय के मरम्मत का कार्य नहीं करवाया है. बीएसए ने कहा कि यदि प्रधानाध्यापक अपने रवैए में बदलाव नहीं लाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

appearance of schools in etah is not changing
एटा में बजट के बावजूद नहीं बदल रही स्कूलों की तस्वीर.
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Published : Jul 24, 2020, 10:22 PM IST

एटा: जिले के करीब 450 प्राथमिक विद्यालय के भवन बदहाल स्थिति में हैं, जिन्हें रखरखाव की बेहद जरूरत है. विद्यालयों के रखरखाव के लिए सरकारी बजट भी मौजूद है, उसके बाद भी विद्यालयों की सूरत नहीं बदल रही है. इसके पीछे विद्यालयों में तैनात प्रधानाचार्य की लापरवाही सामने आ रही है. इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से लिस्ट तैयार कराई जा रही है और लापरवाह प्रधानाध्यापकों को चिन्हित किया जा रहा है. यदि जल्द ही स्कूलों में तैनात प्रधानाध्यापक अपने रवैए में बदलाव नहीं लाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

लापरवाह प्रधानाध्यापकों पर कार्रवाई की तैयारी.

दरअसल, सभी प्राथमिक विद्यालयों में तैनात प्रधानाध्यापकों को 25,000 से लेकर 75,000 रुपये का बजट शैक्षिक सत्र में दिए जाते हैं. बताया जा रहा है कि यह बजट कम्पोजिट ग्रांट के तहत प्रधानाध्यापकों को मिलता है. इस बजट का प्रयोग प्रधानाध्यापकों को विद्यालय के रखरखाव के लिए करना होता है. यह पैसा स्कूल के मरम्मत में काम आता है.

पिछले शैक्षिक सत्र में पैसा ट्रांसफर हुआ था, लेकिन अभी तक उस पैसे का इस्तेमाल नहीं हुआ, जिससे विद्यालयों की हालत खराब है. इस बात को जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय कुमार भी मानते हैं. उन्होंने खुद विद्यालयों का निरीक्षण किया, जहां पर इस पैसे का उपयोग प्रधानाध्यापकों ने नहीं किया है.

कुछ विद्यालय तो ऐसे हैं, जहां पर एक भी पैसा आज तक खर्च नहीं हुआ है जबकि स्पष्ट शासनादेश है कि विद्यालयों में छोटी मोटी मरम्मत, खिड़की, दरवाजे का रंग रोगन यह प्रधानाध्यापक को कराना आवश्यक होता है. इसकी अवधि भी निर्धारित होती है. इसके बाद भी 450 प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों ने यह काम कराना जरूरी नहीं समझा है.

ये भी पढ़ें: एटा: जिला कारागार के 8 कैदी समेत 18 लोग कोरोना पॉजिटिव

बीएसए संजय कुमार के मुताबिक, 'विद्यालयों का निरीक्षण किया जा चुका है. लापरवाह प्रधानाध्यापकों को चिन्हित कर लिया गया है. यदि प्रधानाध्यापक अपने रवैए में बदलाव नहीं लाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.'

एटा: जिले के करीब 450 प्राथमिक विद्यालय के भवन बदहाल स्थिति में हैं, जिन्हें रखरखाव की बेहद जरूरत है. विद्यालयों के रखरखाव के लिए सरकारी बजट भी मौजूद है, उसके बाद भी विद्यालयों की सूरत नहीं बदल रही है. इसके पीछे विद्यालयों में तैनात प्रधानाचार्य की लापरवाही सामने आ रही है. इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से लिस्ट तैयार कराई जा रही है और लापरवाह प्रधानाध्यापकों को चिन्हित किया जा रहा है. यदि जल्द ही स्कूलों में तैनात प्रधानाध्यापक अपने रवैए में बदलाव नहीं लाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

लापरवाह प्रधानाध्यापकों पर कार्रवाई की तैयारी.

दरअसल, सभी प्राथमिक विद्यालयों में तैनात प्रधानाध्यापकों को 25,000 से लेकर 75,000 रुपये का बजट शैक्षिक सत्र में दिए जाते हैं. बताया जा रहा है कि यह बजट कम्पोजिट ग्रांट के तहत प्रधानाध्यापकों को मिलता है. इस बजट का प्रयोग प्रधानाध्यापकों को विद्यालय के रखरखाव के लिए करना होता है. यह पैसा स्कूल के मरम्मत में काम आता है.

पिछले शैक्षिक सत्र में पैसा ट्रांसफर हुआ था, लेकिन अभी तक उस पैसे का इस्तेमाल नहीं हुआ, जिससे विद्यालयों की हालत खराब है. इस बात को जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय कुमार भी मानते हैं. उन्होंने खुद विद्यालयों का निरीक्षण किया, जहां पर इस पैसे का उपयोग प्रधानाध्यापकों ने नहीं किया है.

कुछ विद्यालय तो ऐसे हैं, जहां पर एक भी पैसा आज तक खर्च नहीं हुआ है जबकि स्पष्ट शासनादेश है कि विद्यालयों में छोटी मोटी मरम्मत, खिड़की, दरवाजे का रंग रोगन यह प्रधानाध्यापक को कराना आवश्यक होता है. इसकी अवधि भी निर्धारित होती है. इसके बाद भी 450 प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों ने यह काम कराना जरूरी नहीं समझा है.

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बीएसए संजय कुमार के मुताबिक, 'विद्यालयों का निरीक्षण किया जा चुका है. लापरवाह प्रधानाध्यापकों को चिन्हित कर लिया गया है. यदि प्रधानाध्यापक अपने रवैए में बदलाव नहीं लाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.'

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