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एटा के किसानों को कृषि सुधार विधेयक के बारे नहीं है कोई जानकारी

संसद में पास किए गये कृषि सुधार विधेयकों के बारे में एटा के किसानों को कुछ पता ही नहीं है. जिले के किसानों के मुताबिक सरकार योजनाएं तथा कानून तो बनाती है, लेकिन किसानों को इसका सीधा फायदा नहीं मिलता है.

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Published : Sep 21, 2020, 12:25 PM IST

Updated : Sep 21, 2020, 12:57 PM IST

किसानों को कृषि सुधार विधेयक के बारे नहीं है कोई जानकारी
एटा के किसानों को कृषि सुधार विधेयक के बारे नहीं है कोई जानकारी

एटा: उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब, हरियाणा व देश के कई हिस्सों में केंद्र सरकार द्वारा पारित विधेयकों का जोरदार विरोध हो रहा है. कृषि सुधार से जुड़े इन विधेयकों को लेकर विपक्ष सरकार पर निशाना साध रही है, किसान संगठन इसका विरोध कर रहे हैं. लेकिन एटा के किसानों को इसकी जानकारी ही नहीं है. ईटीवी भारत ने किसानों की मौजूदा स्थिति को जानने के लिए उनसे बात की. साथ ही यह भी जाना कि किसानों के लिये अभी तक की योजनाओं से उन्हें कितना फायदा पहुंचा है.

किसानों को कृषि सुधार विधेयक के बारे नहीं है कोई जानकारी

केंद्र सरकार ने तीन विधेयक किए पेश
केंद्र की भाजपा सरकार ने कृषि सुधार के दावों के साथ जो तीन नए विधेयक पेश किए हैं, उनका देश भर के कुछ किसान संगठन विरोध कर रहे हैं. किसान संगठनों को विपक्ष में बैठे नेताओं का साथ मिला है. आरोप है कि केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि सुधार विधेयक के लागू होते ही कृषि क्षेत्र में पूंजीपतियों का हस्तक्षेप बढ़ जाएगा. इसका सीधा नुकसान किसानों को होगा.

सरकार की योजनाएं धरातल पर नहीं पहुंचती
केंद्र सरकार द्वारा पारित विधेयकों को लेकर एटा के किसानों से की गई बातचीत में यह बात निकलकर सामने आई है कि मौजूदा समय में जो भी योजनाएं या फिर कानून किसानों के लिए बनाए गए हैं, उससे किसानों की आर्थिक स्थिति में अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ है. किसानों के मुताबिक सरकार योजनाएं तथा कानून तो बनाती है, लेकिन किसानों को इसका सीधा फायदा नहीं मिलता है. खाद से लेकर बीज तक की कालाबाजारी होती है. पूरी योजनाएं धरातल पर नहीं पहुंचती हैं. बिचौलिए किसानों को मिलने वाला फायदा अपने पास रख लेते हैं. जो अनाज पहले महंगे दामों पर बिका करते थे, वह आज आधे से भी कम कीमत में बिक रहे हैं. इससे किसानों की माली हालत और खराब होती जा रही है.

किसानों को विधेयक के बारे में नहीं कोई जानकारी
किसान जितेंद्र पाल सिंह बताते हैं कि सरकार की नीतियों से उन्हें अभी तक दो पैसे का लाभ नहीं हुआ है. जिस विधेयक पर बवाल उठा है. उसकी जानकारी बहुत कम है, सिर्फ सुना है. अभी तक जो योजनाएं थी जैसे कि केसीसी उसके लिए बैंक वाले पैसा मांगते हैं. जहां पर सरकारी तौर पर अनाज खरीदा जाता है, वहां पर पहले तो 1 कुंतल पर 10 किलो गेहूं लेते हैं तथा 100 रुपये लेते हैं. इसके अलावा जब बीज लेने जाते हैं, तो किसानों के दूसरे खाते में पैसा भेज देते हैं और पुराना बीज दे देते.

जितेंद्र पाल सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहते हैं कि इस सरकार में फसल का भाव तो बहुत अच्छा मिल रहा है. 1100 से लेकर 12 सौ रुपए प्रति कुंतल बाजरा चल रहा है. वहीं 1000 रुपये कुंतल मक्का चल रहा है. आज व्यापारी आधे दाम पर खरीद रहे. व्यापारी किसानों से आलू 600 रुपये प्रति कुंतल खरीदते हैं और बाजार में उसे 12 सौ रुपए प्रति कुंतल बेचते हैं.

मौजूदा समय में किसानों की हालत बहुत ही दयनीय
स्थानीय किसान मनोज कुमार ने कहा कि मौजूदा समय में किसानों की हालत बहुत ही दयनीय है. सरकार से हमारी मांग है कि फसलों का अच्छा दाम मिले. सरकार क्या विधेयक ला रही है. यह मुझे नहीं मालूम है, लेकिन जो सरकार योजनाएं या कानून बना रही है. वह किसानों तक पूरी तरीके से नहीं पहुंचती.

एटा: उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब, हरियाणा व देश के कई हिस्सों में केंद्र सरकार द्वारा पारित विधेयकों का जोरदार विरोध हो रहा है. कृषि सुधार से जुड़े इन विधेयकों को लेकर विपक्ष सरकार पर निशाना साध रही है, किसान संगठन इसका विरोध कर रहे हैं. लेकिन एटा के किसानों को इसकी जानकारी ही नहीं है. ईटीवी भारत ने किसानों की मौजूदा स्थिति को जानने के लिए उनसे बात की. साथ ही यह भी जाना कि किसानों के लिये अभी तक की योजनाओं से उन्हें कितना फायदा पहुंचा है.

किसानों को कृषि सुधार विधेयक के बारे नहीं है कोई जानकारी

केंद्र सरकार ने तीन विधेयक किए पेश
केंद्र की भाजपा सरकार ने कृषि सुधार के दावों के साथ जो तीन नए विधेयक पेश किए हैं, उनका देश भर के कुछ किसान संगठन विरोध कर रहे हैं. किसान संगठनों को विपक्ष में बैठे नेताओं का साथ मिला है. आरोप है कि केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि सुधार विधेयक के लागू होते ही कृषि क्षेत्र में पूंजीपतियों का हस्तक्षेप बढ़ जाएगा. इसका सीधा नुकसान किसानों को होगा.

सरकार की योजनाएं धरातल पर नहीं पहुंचती
केंद्र सरकार द्वारा पारित विधेयकों को लेकर एटा के किसानों से की गई बातचीत में यह बात निकलकर सामने आई है कि मौजूदा समय में जो भी योजनाएं या फिर कानून किसानों के लिए बनाए गए हैं, उससे किसानों की आर्थिक स्थिति में अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ है. किसानों के मुताबिक सरकार योजनाएं तथा कानून तो बनाती है, लेकिन किसानों को इसका सीधा फायदा नहीं मिलता है. खाद से लेकर बीज तक की कालाबाजारी होती है. पूरी योजनाएं धरातल पर नहीं पहुंचती हैं. बिचौलिए किसानों को मिलने वाला फायदा अपने पास रख लेते हैं. जो अनाज पहले महंगे दामों पर बिका करते थे, वह आज आधे से भी कम कीमत में बिक रहे हैं. इससे किसानों की माली हालत और खराब होती जा रही है.

किसानों को विधेयक के बारे में नहीं कोई जानकारी
किसान जितेंद्र पाल सिंह बताते हैं कि सरकार की नीतियों से उन्हें अभी तक दो पैसे का लाभ नहीं हुआ है. जिस विधेयक पर बवाल उठा है. उसकी जानकारी बहुत कम है, सिर्फ सुना है. अभी तक जो योजनाएं थी जैसे कि केसीसी उसके लिए बैंक वाले पैसा मांगते हैं. जहां पर सरकारी तौर पर अनाज खरीदा जाता है, वहां पर पहले तो 1 कुंतल पर 10 किलो गेहूं लेते हैं तथा 100 रुपये लेते हैं. इसके अलावा जब बीज लेने जाते हैं, तो किसानों के दूसरे खाते में पैसा भेज देते हैं और पुराना बीज दे देते.

जितेंद्र पाल सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहते हैं कि इस सरकार में फसल का भाव तो बहुत अच्छा मिल रहा है. 1100 से लेकर 12 सौ रुपए प्रति कुंतल बाजरा चल रहा है. वहीं 1000 रुपये कुंतल मक्का चल रहा है. आज व्यापारी आधे दाम पर खरीद रहे. व्यापारी किसानों से आलू 600 रुपये प्रति कुंतल खरीदते हैं और बाजार में उसे 12 सौ रुपए प्रति कुंतल बेचते हैं.

मौजूदा समय में किसानों की हालत बहुत ही दयनीय
स्थानीय किसान मनोज कुमार ने कहा कि मौजूदा समय में किसानों की हालत बहुत ही दयनीय है. सरकार से हमारी मांग है कि फसलों का अच्छा दाम मिले. सरकार क्या विधेयक ला रही है. यह मुझे नहीं मालूम है, लेकिन जो सरकार योजनाएं या कानून बना रही है. वह किसानों तक पूरी तरीके से नहीं पहुंचती.

Last Updated : Sep 21, 2020, 12:57 PM IST
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