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प्रशासन की लापरवाही से किसानों को नहीं मिलता कंप्यूटराइज्ड पत्र - कंप्यूटराइज्ड लेटर

उत्तर प्रदेश के एटा जिले से प्रशासन की लापरवाही का मामला सामने आया है. जहां जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते अलीगंज ब्लॉक के सिकंदर पुर सालवाहन ग्राम पंचायत का गांव रायपुर प्रशासन के कंप्यूटर से ही गायब चल रहा है. किसान जब फर्द निकलवाने जाते हैं तो कंप्यूटर से फर्द जारी नहीं होती है, जिससे किसानों को खासा परेशानी उठानी पड़ती है. वहीं, गांव के किसान लेखपाल द्वारा हस्तलिखित फर्द लेते हैं.

ग्रामीण.
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Published : Jan 23, 2021, 2:01 PM IST

एटा: उत्तर प्रदेश के एटा जिले में प्रशासन की लापरवाही के चलते अलीगंज ब्लॉक के सिकंदर पुर सालवाहन ग्राम पंचायत का गांव रायपुर प्रशासन के कंप्यूटर से ही गायब चल रहा है. किसान जब फर्द निकलवाने जाते हैं तो कंप्यूटर से फर्द जारी नहीं होती है, जिससे किसानों को खासा परेशानी उठानी पड़ती है. वहीं, गांव के किसान लेखपाल द्वारा हस्तलिखित फर्द लेते हैं, जिसका लेखपाल 100 से 200 रुपये तक लेता है और फर्द कम से कम 10 दिनों में मिलती है.

जानकरी देते ग्रामीण.

जहां सरकार एक तरफ डिजिटल इंडिया की बात कर रही है. इसी के विपरीत यूपी के जनपद एटा में एक ऐसा गांव है, जो आज तक कंप्यूटर में दर्ज नहीं है. हम बात कर रहे हैं एटा जिले के अलीगंज ब्लॉक की ग्राम पंचायत सिकंदरपुर साल वाहन के गांव रायपुर की, रायपुर गांव कंप्यूटर में दर्ज न होने के चलते किसानों को आज भी हाथों से लिखी हुई फर्द से काम चलाना पड़ रहा है, जिससे किसानों को लेखपाल के चक्कर काटने पड़ते हैं और 10 मिनट के काम में 10 दिन लगते हैं किसानों ने इसमें प्रशासन की घोर लापरवाही बताई है. वहीं किसानों ने लेखपाल द्वारा पैसे लेकर खतौनी निकालने के भी गंभीर आरोप लगाए हैं. किसानों ने बताया कि लेखपाल खतौनी निकालने का 100 रुपये लेता है, तब कही 10 दिन में हाथ से लिखी हुई खतौनी मिलती है, जिसे रजिस्ट्रार द्वारा पास कराया जाता है. उसके बाबजूद भी यह सरकारी योजनाओं व अन्य कार्यो के उपयोग में लेने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है.

रायपुर गांव के किसान ध्रुव सिंह ने ईटीवी से बात करते हुए बताया कि हमारे गांव की समस्या बहुत गंभीर है, अगर इमरजेंसी में फर्द की आवश्कता पड़े तो नहीं निकल सकती है. जिसका मुख्य कारण है कि हमारा गांव रायपुर प्रशासन के कंप्यूटर में ही दर्ज नहीं है. जब हमें फर्द की आवश्कता पड़ती है तो लेखपाल के चक्कर काटते रहते हैं तब कहीं 10 से 15 दिन में हाथ से लिखी हुई फर्द मिलती है. जिसके बाद जिले के रजिस्ट्रार के यहां से पास भी करानी पड़ती है. प्रशासन को इस बारे में कई बार अवगत भी कराया गया फिर भी मामला जस के तस रहा.

किसान प्रेम सिंह का कहना है कि फर्द कम्प्यूटर से निकलती नहीं है लेखपाल के फर्द निकलती है जब उनके पास निकलवाने जाओ तो उन्हें रुपये देने पड़ते हैं और मिलते भी नहीं तो चक्कर भी लगाने पड़ते हैं. फर्द हांथ से लिखी हुई देते हैं जिसका 100 रुपये लेखपाल को देना पड़ता है.

किसान राजवीर सिंह ने बताया कि हस्त लिखित फर्द होने के कारण सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में परेशानी होती है. लेखपाल से फर्द निकलवाने जाओ तो वो मिलते नहीं हैं. लेखपाल के चक्कर काटने पड़ते हैं. फर्द हाथ से लिखी हुई देते हैं, जिसका लेखपाल 100 रुपया भी लेते हैं, अगर यही फर्द ऑनलाइन कॉम्प्यूटर से निकलने लगे तो 10 मिनट में निकल आती है और मात्र 15 रुपये खर्च करने होते हैं.

मामले में जब अलीगंज एसडीएम राजीव कुमार पांडेय से बात की तो उन्होंने बताया कि अभी इस वर्ष कुछ खतौनी कम्प्यूटराइज्ड कराई थी तभी यह संज्ञान में आया था कि रायपुर गांव को कम्प्यूटराइज्ड किया गया था किसी कारण से इस गांव की खतौनी कम्प्यूटराइज्ड नहीं हो पाई थी, क्योंकि इसका लिंकेज गांव का किसी कारण नहीं हो पाया. इसके संंबंध मेंं संबंधित विभाग बोर्ड ऑफ रिवेन्यू को लिखा गया है. अबकी बार नायब तहसीलदार जाएंगे सही से लिंकेज कराकर आएंगे.

इसे भी पढ़ें- घूस देकर लिया बदला, वायरल किया वीडियो

एटा: उत्तर प्रदेश के एटा जिले में प्रशासन की लापरवाही के चलते अलीगंज ब्लॉक के सिकंदर पुर सालवाहन ग्राम पंचायत का गांव रायपुर प्रशासन के कंप्यूटर से ही गायब चल रहा है. किसान जब फर्द निकलवाने जाते हैं तो कंप्यूटर से फर्द जारी नहीं होती है, जिससे किसानों को खासा परेशानी उठानी पड़ती है. वहीं, गांव के किसान लेखपाल द्वारा हस्तलिखित फर्द लेते हैं, जिसका लेखपाल 100 से 200 रुपये तक लेता है और फर्द कम से कम 10 दिनों में मिलती है.

जानकरी देते ग्रामीण.

जहां सरकार एक तरफ डिजिटल इंडिया की बात कर रही है. इसी के विपरीत यूपी के जनपद एटा में एक ऐसा गांव है, जो आज तक कंप्यूटर में दर्ज नहीं है. हम बात कर रहे हैं एटा जिले के अलीगंज ब्लॉक की ग्राम पंचायत सिकंदरपुर साल वाहन के गांव रायपुर की, रायपुर गांव कंप्यूटर में दर्ज न होने के चलते किसानों को आज भी हाथों से लिखी हुई फर्द से काम चलाना पड़ रहा है, जिससे किसानों को लेखपाल के चक्कर काटने पड़ते हैं और 10 मिनट के काम में 10 दिन लगते हैं किसानों ने इसमें प्रशासन की घोर लापरवाही बताई है. वहीं किसानों ने लेखपाल द्वारा पैसे लेकर खतौनी निकालने के भी गंभीर आरोप लगाए हैं. किसानों ने बताया कि लेखपाल खतौनी निकालने का 100 रुपये लेता है, तब कही 10 दिन में हाथ से लिखी हुई खतौनी मिलती है, जिसे रजिस्ट्रार द्वारा पास कराया जाता है. उसके बाबजूद भी यह सरकारी योजनाओं व अन्य कार्यो के उपयोग में लेने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है.

रायपुर गांव के किसान ध्रुव सिंह ने ईटीवी से बात करते हुए बताया कि हमारे गांव की समस्या बहुत गंभीर है, अगर इमरजेंसी में फर्द की आवश्कता पड़े तो नहीं निकल सकती है. जिसका मुख्य कारण है कि हमारा गांव रायपुर प्रशासन के कंप्यूटर में ही दर्ज नहीं है. जब हमें फर्द की आवश्कता पड़ती है तो लेखपाल के चक्कर काटते रहते हैं तब कहीं 10 से 15 दिन में हाथ से लिखी हुई फर्द मिलती है. जिसके बाद जिले के रजिस्ट्रार के यहां से पास भी करानी पड़ती है. प्रशासन को इस बारे में कई बार अवगत भी कराया गया फिर भी मामला जस के तस रहा.

किसान प्रेम सिंह का कहना है कि फर्द कम्प्यूटर से निकलती नहीं है लेखपाल के फर्द निकलती है जब उनके पास निकलवाने जाओ तो उन्हें रुपये देने पड़ते हैं और मिलते भी नहीं तो चक्कर भी लगाने पड़ते हैं. फर्द हांथ से लिखी हुई देते हैं जिसका 100 रुपये लेखपाल को देना पड़ता है.

किसान राजवीर सिंह ने बताया कि हस्त लिखित फर्द होने के कारण सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में परेशानी होती है. लेखपाल से फर्द निकलवाने जाओ तो वो मिलते नहीं हैं. लेखपाल के चक्कर काटने पड़ते हैं. फर्द हाथ से लिखी हुई देते हैं, जिसका लेखपाल 100 रुपया भी लेते हैं, अगर यही फर्द ऑनलाइन कॉम्प्यूटर से निकलने लगे तो 10 मिनट में निकल आती है और मात्र 15 रुपये खर्च करने होते हैं.

मामले में जब अलीगंज एसडीएम राजीव कुमार पांडेय से बात की तो उन्होंने बताया कि अभी इस वर्ष कुछ खतौनी कम्प्यूटराइज्ड कराई थी तभी यह संज्ञान में आया था कि रायपुर गांव को कम्प्यूटराइज्ड किया गया था किसी कारण से इस गांव की खतौनी कम्प्यूटराइज्ड नहीं हो पाई थी, क्योंकि इसका लिंकेज गांव का किसी कारण नहीं हो पाया. इसके संंबंध मेंं संबंधित विभाग बोर्ड ऑफ रिवेन्यू को लिखा गया है. अबकी बार नायब तहसीलदार जाएंगे सही से लिंकेज कराकर आएंगे.

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