एटा: जिले में अवारा गोवंश से अन्नदाता परेशान हो चुके हैं. खेतों में लगी गेहूं की फसल खराब होने से अन्नदाता की कमर टूट चुकी है. आवारा गोवंश समूह के साथ खेतों में पहुंच जाते हैं और खेतों में लगी फसल को सफाचट कर जाते हैं. हालात यह है कि मेहनत और पैसा किसानों के दोनों बर्बाद हो रहे हैं.
फसलों को बर्बाद कर रहे अवारा पशु
योगी सरकार ने गोवंश को संरक्षण देने के लिए प्रदेश के सभी जिलों में अस्थाई तौर पर गौशालाओं यानी कि गोवंश आश्रय स्थल का निर्माण कराया है. जिले में भी गोवंश आश्रय स्थल बनाए गए है. जिले के मलावन, रिजोर तथा जलेसर में गोशाला हैं, लेकिन इसके बावजूद भी जनपद में गोवंश आवारा घूमते रहते हैं और किसानों की मेहनत पर पानी फिरते हैं.
किसान सुरेश बाबू बताते हैं कि उनकी गेहूं की 2 बीघा फसल पूरे तरीके से खराब हो गई है. इस बार घर में 20 किलो गेहूं भी पहुंच जाए तो बड़ी बात होगी. वहीं किसान चंद्रपाल सिंह का कहना है कि 24 घंटे खेत की रखवाली करनी पड़ती है. किसान एक-दूसरे की खेतों पर ड्यूटी लगाते हैं, जिससे उनकी फसल बच जाए. इसके बाद भी फसलें आवारा गोवंश खा जाते हैं.
किसानों का कहना है कि खेत में 80% फसल बर्बाद हो चुकी है. ऐसे में किसानों के सामने मायूसी के सिवाय कुछ भी नहीं है. किसान सरकार की तरफ बस इसी उम्मीद से देख रहे है कि इन आवारा गौवंश से किसी तरह छुटकारा मिल जाए. किसानों के मुताबिक फसल बोने में बहुत खर्च आता है. खाद से लेकर पानी और जूताई इतनी महंगी हो गई है कि अब कमर टूट चुकी है.
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