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एटा: कागजी कार्रवाई से बचने के लिए किसान मंडियों में बेच रहे गेहूं

प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद भी जिले के सरकारी क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा है. वहीं जिला खाद्य विपणन अधिकारी प्रज्ञा शर्मा का कहना है कि किसान कागजी कार्रवाई से बचने के लिए अपना गेहूं मंडियों में बेच रहे हैं.

कागजी कार्रवाई से बचने के लिए किसान मंडियों में बेच रहे गेहूं
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Published : Jun 11, 2019, 4:52 PM IST

एटा: प्रशासन की तमाम कोशिशों के बाद भी किसानों का सरकारी क्रय केंद्रों से मोहभंग हो गया है. मौजूदा समय में मंडी और सरकारी क्रय केंद्रों पर एक कुंटल पर महज 20 रुपए का अंतर ही रह गया है. इसके चलते किसान सरकारी क्रय केंद्रों की औपचारिकताओं से बचने के लिए मंडियों में अपना गेहूं बेच रहे हैं.

कागजी कार्रवाई से बचने के लिए किसान मंडियों में बेच रहे गेहूं

क्या है मामला

  • प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद सरकारी केंद्रों पर सन्नाटा पसरा रहता है.
  • किसानों को मंडी में गेहूं का1820 रुपये प्रति कुंटल का भाव मिल रहा है जबकि सरकारी क्रय केंद्रों पर 1840 रुपए प्रति कुंतल का भाव है.
  • किसानों को सरकारी क्रय केंद्रों पर कई औपचारिकताएं करनी पड़ती हैं जबकि मंडी में किसानों को आधार कार्ड और खसरा-खतौनी भी नहीं लगाना पड़ता.
  • इसके साथ ही सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने के बाद पैसे के लिए चक्कर काटना भी किसानों को भारी पड़ता है.

'गेहूं के दाम मंडी में बढ़ गए हैं जिसके बाद अब महज 20 रुपये का ही अंतर रह गया है. सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने के लिए कई औपचारिकताएं करनी पड़ती हैं लेकिन किसान औपचारिकताएं करना नहीं चाहते. हमारे यहां पंजीकरण अनिवार्य रूप से कराना होता है. बिना पंजीकरण के हम सरकारी केंद्रों पर गेहूं नहीं खरीद सकते'.
- प्रज्ञा शर्मा, जिला खाद्य विपणन अधिकारी


एटा: प्रशासन की तमाम कोशिशों के बाद भी किसानों का सरकारी क्रय केंद्रों से मोहभंग हो गया है. मौजूदा समय में मंडी और सरकारी क्रय केंद्रों पर एक कुंटल पर महज 20 रुपए का अंतर ही रह गया है. इसके चलते किसान सरकारी क्रय केंद्रों की औपचारिकताओं से बचने के लिए मंडियों में अपना गेहूं बेच रहे हैं.

कागजी कार्रवाई से बचने के लिए किसान मंडियों में बेच रहे गेहूं

क्या है मामला

  • प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद सरकारी केंद्रों पर सन्नाटा पसरा रहता है.
  • किसानों को मंडी में गेहूं का1820 रुपये प्रति कुंटल का भाव मिल रहा है जबकि सरकारी क्रय केंद्रों पर 1840 रुपए प्रति कुंतल का भाव है.
  • किसानों को सरकारी क्रय केंद्रों पर कई औपचारिकताएं करनी पड़ती हैं जबकि मंडी में किसानों को आधार कार्ड और खसरा-खतौनी भी नहीं लगाना पड़ता.
  • इसके साथ ही सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने के बाद पैसे के लिए चक्कर काटना भी किसानों को भारी पड़ता है.

'गेहूं के दाम मंडी में बढ़ गए हैं जिसके बाद अब महज 20 रुपये का ही अंतर रह गया है. सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने के लिए कई औपचारिकताएं करनी पड़ती हैं लेकिन किसान औपचारिकताएं करना नहीं चाहते. हमारे यहां पंजीकरण अनिवार्य रूप से कराना होता है. बिना पंजीकरण के हम सरकारी केंद्रों पर गेहूं नहीं खरीद सकते'.
- प्रज्ञा शर्मा, जिला खाद्य विपणन अधिकारी


Intro:एंकर

एटा जिले में प्रशासनिक कोशिशों के बाद भी किसानों का सरकारी क्रय केंद्रों से मोहभंग हो गया है । हालात यह है कि किसान सरकारी केंद्रों पर गेहूं बेचने जाना ही नहीं चाहते। जिसके चलते सरकारी क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा रहता है । किसानों को मंडी में 1820 रुपये प्रति कुंटल का भाव मिल रहा है। मंडी में उन्हें आधार कार्ड व खसरा खतौनी भी नहीं लगानी पड़ती। इतना ही नहीं मंडी में उनके माल का भुगतान भी तुरंत मिल जाता है । जबकि सरकारी क्रय केंद्रों पर कागजी कार्यवाही व महज 1840 रुपए प्रति कुंतल की कीमत पर गेहूं बेचने के बाद पैसे के लिए चक्कर काटना भी किसानों पर भारी पड़ता है।


Body:वीओ-जिले के सरकारी क्रय केंद्रों पर किसानों की राह तकते कर्मचारी आसानी से देखे जा सकते हैं। सबसे बुरे हालात मंडी समिति के अंदर बने एफसीआई सेंटर का बताया जा रहा है। यहां पर तो किसानों का इस कदर टोटा है कि केंद्र पर मौजूद कर्मचारियों के पास कोई काम ही नहीं है। वह दिन के समय आराम करते हुए नजर आते हैं। केंद्र पर तैनात कर्मचारी हो या विभाग के अधिकारी सभी इस बात को मानते हैं कि मंडी में गेहूं का रेट बढ़ जाने के चलते मौजूदा समय में मंडी और सरकारी क्रय केंद्रों पर एक कुंटल पर महज 20 रुपए का अंतर ही रह गया है। साथ ही सरकारी क्रय केंद्रों पर कागजी औपचारिकताएं ज्यादा होने के चलते किसान सरकारी केंद्रों पर आना नहीं चाहते।
जिला खाद्य विपणन अधिकारी प्रज्ञा शर्मा के मुताबिक गेहूं के दाम मंडी में बढ़ गए हैं। जिसके बाद अब 20 रुपये का ही अंतर रह गया है। किसान औपचारिकता पूर्ण करना नहीं चाहते हैं। हमारे यहां पंजीकरण अनिवार्य रूप से कराना होता है। बिना पंजीकरण के हम सरकारी केंद्रों पर गेहूं नहीं खरीद सकते। इसके अलावा मंडी में किसानों को अपने अनाज के बदले तुरंत पैसा मिल जाता है और हमारे यहां 72 घंटे के अंदर भुगतान किया जाता है।
बाइट: शिशुपाल (कर्मचारी)
बाइट: प्रज्ञा शर्मा( जिला खाद्य विपणन अधिकारी,एटा)


Conclusion:
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