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एटा: निर्वाचन आयोग के निर्देशों की अवहेलना कर रहे शिक्षा विभाग के कर्मचारी

यूपी के एटा में सरकारी विभागों में तैनात 107 कर्मचारियों द्वारा खुलेआम निर्वाचन आयोग के निर्देशों की अवहेलना करने का मामला सामने आया है. जिसके बाद जिला प्रशासन ने सभी कर्मचारियों के वेतन पर रोक लगा दी है.

एडीएम वित्त केशव प्रसाद
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Published : Oct 23, 2019, 2:42 PM IST

एटा: जिले के विभिन्न सरकारी विभागों में तैनात 107 कर्मचारी खुलेआम निर्वाचन आयोग के निर्देशों की अवहेलना कर रहे हैं. निर्वाचन आयोग के निर्देशों की धज्जियां उड़ाने में सबसे आगे शिक्षा विभाग के अध्यापक हैं. इन कर्मचारियों ने राष्ट्रीय महत्व के कार्य यानी कि मतदाता सत्यापन को भी करने से इंकार कर दिया है. जिसके बाद मामले में कड़ा रुख दिखाते हुए जिला प्रशासन ने 107 कर्मचारियों के वेतन पर रोक लगा दी है.

बातचीत करते एडीएम वित्त केशव प्रसाद.

इसे भी पढ़ें- गोरखपुर में बोले प्रदेश संस्कृत संस्थान अध्यक्ष, संस्कृत भाषा ही नहीं अपितु शिक्षा का माध्यम होना चाहिए

निर्वाचन आयोग के निर्देशों की अवहेलना कर रहे शिक्षा विभाग के कर्मचारी

  • भारत निर्वाचन आयोग ने 1 सितंबर से पूरे भारत में एक साथ मतदाता सत्यापन कार्यक्रम चलाने के निर्देश दिए थे.
  • इसके तहत जिले में भी मतदाता सत्यापन कार्यक्रम चलाया जाना था.
  • मतदाता सत्यापन कार्य की जिम्मेदारी बीएलओ को दी जाती है.
  • बीएलओ की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा अध्यापक निभाते हैं, इसीलिए उन्हें इसके लिए नियुक्त किया जाता है
  • इसके साथ ही किसी को भी ड्यूटी से छूट देने से मना कर दिया गया था.
  • शिक्षा विभाग के 90% शिक्षक शामिल है, जिन्हें बीएलओ की जिम्मेदारी दी गई थी.
  • शिक्षकों को मतदाता सत्यापन का कार्य समय पर पूरा करना था.
  • शिक्षकों ने काम करना तो दूर ड्यूटी रिसीव करने से भी मना कर दिया.
  • प्रशासन ने शिक्षकों की लापरवाही पर सख्त कदम उठाते हुए सभी 107 सरकारी कर्मचारियों का वेतन रोक दिया है.

आए दिन मतदाता सूची में दर्ज मतदाताओं के नाम,उम्र में भारी गलतियां देखने को मिलती थी, जिससे मतदाताओं को मतदान के समय काफी दिक्कतें आती थी. इन्हीं तमाम दिक्कतों को दूर करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाता सत्यापन कार्यक्रम की शुरुआत 1 सितंबर से की थी. लेकिन सरकारी कर्मचारियों की उदासीनता इस पर भारी पड़ रही है. करीब 2 महीने पूरे होने को हैं, लेकिन इस कार्य की शुरुआत भी उचित ढंग से नहीं हो पाई है.
-केशव प्रसाद, एडीएम वित्त

एटा: जिले के विभिन्न सरकारी विभागों में तैनात 107 कर्मचारी खुलेआम निर्वाचन आयोग के निर्देशों की अवहेलना कर रहे हैं. निर्वाचन आयोग के निर्देशों की धज्जियां उड़ाने में सबसे आगे शिक्षा विभाग के अध्यापक हैं. इन कर्मचारियों ने राष्ट्रीय महत्व के कार्य यानी कि मतदाता सत्यापन को भी करने से इंकार कर दिया है. जिसके बाद मामले में कड़ा रुख दिखाते हुए जिला प्रशासन ने 107 कर्मचारियों के वेतन पर रोक लगा दी है.

बातचीत करते एडीएम वित्त केशव प्रसाद.

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निर्वाचन आयोग के निर्देशों की अवहेलना कर रहे शिक्षा विभाग के कर्मचारी

  • भारत निर्वाचन आयोग ने 1 सितंबर से पूरे भारत में एक साथ मतदाता सत्यापन कार्यक्रम चलाने के निर्देश दिए थे.
  • इसके तहत जिले में भी मतदाता सत्यापन कार्यक्रम चलाया जाना था.
  • मतदाता सत्यापन कार्य की जिम्मेदारी बीएलओ को दी जाती है.
  • बीएलओ की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा अध्यापक निभाते हैं, इसीलिए उन्हें इसके लिए नियुक्त किया जाता है
  • इसके साथ ही किसी को भी ड्यूटी से छूट देने से मना कर दिया गया था.
  • शिक्षा विभाग के 90% शिक्षक शामिल है, जिन्हें बीएलओ की जिम्मेदारी दी गई थी.
  • शिक्षकों को मतदाता सत्यापन का कार्य समय पर पूरा करना था.
  • शिक्षकों ने काम करना तो दूर ड्यूटी रिसीव करने से भी मना कर दिया.
  • प्रशासन ने शिक्षकों की लापरवाही पर सख्त कदम उठाते हुए सभी 107 सरकारी कर्मचारियों का वेतन रोक दिया है.

आए दिन मतदाता सूची में दर्ज मतदाताओं के नाम,उम्र में भारी गलतियां देखने को मिलती थी, जिससे मतदाताओं को मतदान के समय काफी दिक्कतें आती थी. इन्हीं तमाम दिक्कतों को दूर करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाता सत्यापन कार्यक्रम की शुरुआत 1 सितंबर से की थी. लेकिन सरकारी कर्मचारियों की उदासीनता इस पर भारी पड़ रही है. करीब 2 महीने पूरे होने को हैं, लेकिन इस कार्य की शुरुआत भी उचित ढंग से नहीं हो पाई है.
-केशव प्रसाद, एडीएम वित्त

Intro:एटा जिले के विभिन्न सरकारी विभागों में तैनात 107 कर्मचारी खुलेआम निर्वाचन आयोग के निर्देशों की अवहेलना कर रहे हैं। निर्वाचन आयोग के निर्देशों की धज्जियां उड़ाने में सबसे आगे शिक्षा विभाग के अध्यापक है। इन कर्मचारियों के उदासीनता का आलम यह है कि राष्ट्रीय महत्व के कार्य मतदाता सत्यापन को भी करने से इंकार कर दिया है। जिसके बाद जिला प्रशासन ने इन 107 कर्मचारियों के वेतन पर रोक लगा दी है।


Body:दरअसल भारत निर्वाचन आयोग ने 1 सितंबर से पूरे भारत में एक साथ मतदाता सत्यापन कार्यक्रम चलाने के निर्देश दिए थे। इसी के तहत जिले में भी मतदाता सत्यापन कार्यक्रम चलाया जाना था। मतदाता सत्यापन कार्य की जिम्मेदारी बीएलओ की बताई जाती है। बीएलओ की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा अध्यापक निभाते हैं । उन्हें इस कार्य के लिए नियुक्त किया जाता है। मतदाता सत्यापन का कार्य समय पर पूरा हो इसके लिए जिले के डीएम ने बीएसए व अन्य अधिकारियों के साथ बैठक कर रणनीति तैयार की थी। साथ ही किसी को भी ड्यूटी से छूट देने से मना कर दिया गया था। उसके बाद भी सरकारी कर्मचारियों जिसमें शिक्षा विभाग के 90% शिक्षक शामिल है। जिन्हें बीएलओ की जिम्मेदारी दी गई थी और उन्हें मतदाता सत्यापन का कार्य समय पर पूरा करना था । उन्होंने काम करना तो दूर ड्यूटी रिसीव करने से भी मना कर दिया। जिसके बाद प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए सभी 107 सरकारी कर्मचारियों की जो बीएलओ की जिम्मेदारी उठा रहे थे, उनका वेतन रोक दिया है।


Conclusion:आपको बता दें कि आए दिन मतदाता सूची में दर्ज मतदाताओं के नाम उम्र लिंग में भारी गलतियां देखने को मिलती थी । जिससे मतदाताओं को मतदान के समय काफी दिक्कतें आती थी। इन्हीं तमाम दिक्कतों को दूर करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने मतदाता सत्यापन कार्यक्रम की शुरुआत 1 सितंबर से की थी लेकिन सरकारी कर्मचारियों की उदासीनता इस पर भारी पड़ रही है। मतदाता सत्यापन का कार्य एक माह में समाप्त हो जाना था। लेकिन करीब 2 महीने पूरे होने को है और इस कार्य की शुरुआत भी उचित ढंग से नहीं हो पाई है।
बाइट:केशव प्रसाद ( एडीएम वित्त एटा)
पीटूसी:वीरेन्द्र पाण्डेय
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