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एटा: कोर्ट ने सुनाया फैसला, दुष्कर्म के मामले में पांच को उम्रकैद - एससी/ एसटी एक्ट न्यायालय ने सुनाई

यूपी के एटा में शनिवार को विशेष न्यायाधीश एससी/एसटी एक्ट न्यायालय ने पांच दोषियों के खिलाफ सजा सुनाई है. इन सभी पर साल 2012 में एक नाबालिग को भगाने और उसके साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगा था. न्यायालय ने सभी दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.

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Published : Oct 6, 2019, 12:34 PM IST

एटा: जनपद में शनिवार को विशेष न्यायाधीश एससी/ एसटी एक्ट न्यायालय ने पांच दोषियों के खिलाफ सजा सुनाई है. इन दोषियों के खिलाफ साल 2012 में एक नाबालिग किशोरी को भगाने और उसके साथ दुष्कर्म करने का आरोप है. इसके साथ ही आरोपियों ने पीड़िता के परिजनों को जातिसूचक शब्द भी कहा था. इस मामले में आरोपित महिला, पुरुष और उनके दोनों पुत्रों समेत 5 लोगों को सजा सुनाई गई है.

दुष्कर्म के पांच आरोपियों को आजीवन कारावास.

इसे भी पढ़ें- योगी सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से झटका, अनुसूचित जाति में नहीं शामिल होंगी 17 ओबीसी जातियां

जानिए पूरा मामला:

  • मामला सकीट थाना क्षेत्र का है.
  • 28 नवंबर 2012 को पढ़ने गई नाबालिग किशोरी स्कूल से गायब हो गई थी.
  • परिजनों ने तलाश की तो पता चला किशोरी आखिरी बार लालू नाम के एक युवक के साथ देखी गई थी.
  • दोषी लालू अपने मित्र सुबोध कुमार और भाई अनिल कुमार के साथ मिलकर किशोरी को बहला-फुसलाकर ले गये थे.
  • इस मामले में लालू के परिजनों ने भी साथ दिया था.
  • पुलिस इस मामले में 4 दिसंबर 2012 को एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी थी.


आरोपित लालू और पीड़िता के परिजन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में डाली थी एक रिट याचिका
इस याचिका में हाईकोर्ट ने संबंधित जिले के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराने और आयु संबंधित जांच कराने के आदेश दिए थे. जांच के बाद पीड़िता नाबालिग पाई गई. इस पर पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया. इसके बाद न्यायालय ने पक्ष-विपक्ष की दलीलों और सबूतों के आधार पर पाया कि पीड़िता के साथ आरोपी लालू और सुबोध ने दुष्कर्म किया है.

जनपद के विशेष न्यायाधीश एससी/ एसटी एक्ट न्यायालय ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा
शनिवार को मामले में फैसला सुनाते हुए विशेष न्यायाधीश एससी/ एसटी न्यायालय श्री खलीकुज्ज्मा ने आरोपित लालू ,अनिल, सुबोध ,खचेर सिंह और शकुंतला देवी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इसके साथ प्रत्येक को 19 -19 हजार के अर्थदंड से दंडित किया है.

साथ ही मुख्य आरोपी लालू और सुबोध को दुष्कर्म मामले में अलग से आजीवन कारावास और 10 -10 हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई है. हालांकि दोनों सजा एक साथ चलेंगी. इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता योगेंद्र कुमार ने पैरवी की. जिससे पीड़ित को न्याय मिल सका.

एटा: जनपद में शनिवार को विशेष न्यायाधीश एससी/ एसटी एक्ट न्यायालय ने पांच दोषियों के खिलाफ सजा सुनाई है. इन दोषियों के खिलाफ साल 2012 में एक नाबालिग किशोरी को भगाने और उसके साथ दुष्कर्म करने का आरोप है. इसके साथ ही आरोपियों ने पीड़िता के परिजनों को जातिसूचक शब्द भी कहा था. इस मामले में आरोपित महिला, पुरुष और उनके दोनों पुत्रों समेत 5 लोगों को सजा सुनाई गई है.

दुष्कर्म के पांच आरोपियों को आजीवन कारावास.

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जानिए पूरा मामला:

  • मामला सकीट थाना क्षेत्र का है.
  • 28 नवंबर 2012 को पढ़ने गई नाबालिग किशोरी स्कूल से गायब हो गई थी.
  • परिजनों ने तलाश की तो पता चला किशोरी आखिरी बार लालू नाम के एक युवक के साथ देखी गई थी.
  • दोषी लालू अपने मित्र सुबोध कुमार और भाई अनिल कुमार के साथ मिलकर किशोरी को बहला-फुसलाकर ले गये थे.
  • इस मामले में लालू के परिजनों ने भी साथ दिया था.
  • पुलिस इस मामले में 4 दिसंबर 2012 को एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी थी.


आरोपित लालू और पीड़िता के परिजन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में डाली थी एक रिट याचिका
इस याचिका में हाईकोर्ट ने संबंधित जिले के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराने और आयु संबंधित जांच कराने के आदेश दिए थे. जांच के बाद पीड़िता नाबालिग पाई गई. इस पर पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया. इसके बाद न्यायालय ने पक्ष-विपक्ष की दलीलों और सबूतों के आधार पर पाया कि पीड़िता के साथ आरोपी लालू और सुबोध ने दुष्कर्म किया है.

जनपद के विशेष न्यायाधीश एससी/ एसटी एक्ट न्यायालय ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा
शनिवार को मामले में फैसला सुनाते हुए विशेष न्यायाधीश एससी/ एसटी न्यायालय श्री खलीकुज्ज्मा ने आरोपित लालू ,अनिल, सुबोध ,खचेर सिंह और शकुंतला देवी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इसके साथ प्रत्येक को 19 -19 हजार के अर्थदंड से दंडित किया है.

साथ ही मुख्य आरोपी लालू और सुबोध को दुष्कर्म मामले में अलग से आजीवन कारावास और 10 -10 हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई है. हालांकि दोनों सजा एक साथ चलेंगी. इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता योगेंद्र कुमार ने पैरवी की. जिससे पीड़ित को न्याय मिल सका.

Intro:एटा के जनपद न्यायालय में शनिवार को वर्ष 2012 में एक नाबालिग लड़की को भगाने व उसके साथ दुष्कर्म करने तथा पीड़ित के परिजनों को जातिसूचक शब्द कहने के मामले में आरोपित महिला व पुरुष तथा उनके दोनों पुत्रों समेत 5 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। आरोपितों को यह सजा जनपद न्यायालय के विशेष न्यायाधीश एससी/ एसटी एक्ट न्यायालय ने सुनाई है।


Body:एटा के सकीट थाना क्षेत्र स्थित गांव कर्मचंद्रपुर में 28 नवंबर साल 2012 को एक 13 वर्षीय लड़की स्कूल पढ़ने गई थी। स्कूल से वह लड़की गायब हो जाती है। परिजन लड़की की तलाश करते हुए इधर-उधर भटकते रहते हैं। इस दौरान उन्हें पता चलता है कि लड़की आखरी बार लालू नाम के एक युवक के साथ देखी गई थी। पीड़ित परिजनों ने जब और अधिक जानकारी की तो उन्हें पता चला कि आरोपित लालू अपने मित्र सुबोध कुमार व भाई अनिल कुमार के साथ मिलकर लड़की को कहीं बहला-फुसलाकर ले गया । इसमें लालू का साथ उनके माता-पिता शकुंतला व खचेर सिंह ने भी दिया था। पुलिस ने इस मामले में 4 दिसंबर 2012 को एफ आई आर दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी।


Conclusion:इसी बीच आरोपित लालू व पीड़िता ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक रिट याचिका डाली इस याचिका में हाईकोर्ट द्वारा संबंधित जिले के मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत होने बयान दर्ज कराने तथा आयु संबंधित जांच कराने के आदेश दिए गए। जांच के बाद पीड़िता नाबालिक पाई गई। इस पर पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया। जिसके बाद न्यायालय ने पक्ष - विपक्ष की दलीलों व सबूतों के आधार पर पाया कि पीड़िता के साथ आरोपित लालू आरोपीत सुबोध द्वारा दुष्कर्म किया गया है। शनिवार को मामले में फैसला सुनाते हुए विशेष न्यायाधीश एससी/ एसटी न्यायालय श्री खलीकुज्ज्मा आरोपित लालू ,अनिल, सुबोध ,खचेर सिंह तथा शकुंतला देवी को एससी/एसटी एक्ट में आजीवन कारावास व प्रत्येक को 19 -19 हजार के अर्थदंड से दंडित किया है । साथ ही आरोपित लालू व सुबोध को दुष्कर्म के मामले में अलग से आजीवन कारावास व 10 -10 हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई है । हालांकि दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता योगेंद्र कुमार द्वारा पैरवी की गई। जिससे पीड़ितों को न्याय मिल सका

बाइट: योगेंद्र कुमार ( सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता)
बाइट: विनोद पचौरी (जिला शासकीय अधिवक्ता)
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