एटा: जनपद में शनिवार को विशेष न्यायाधीश एससी/ एसटी एक्ट न्यायालय ने पांच दोषियों के खिलाफ सजा सुनाई है. इन दोषियों के खिलाफ साल 2012 में एक नाबालिग किशोरी को भगाने और उसके साथ दुष्कर्म करने का आरोप है. इसके साथ ही आरोपियों ने पीड़िता के परिजनों को जातिसूचक शब्द भी कहा था. इस मामले में आरोपित महिला, पुरुष और उनके दोनों पुत्रों समेत 5 लोगों को सजा सुनाई गई है.
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जानिए पूरा मामला:
- मामला सकीट थाना क्षेत्र का है.
- 28 नवंबर 2012 को पढ़ने गई नाबालिग किशोरी स्कूल से गायब हो गई थी.
- परिजनों ने तलाश की तो पता चला किशोरी आखिरी बार लालू नाम के एक युवक के साथ देखी गई थी.
- दोषी लालू अपने मित्र सुबोध कुमार और भाई अनिल कुमार के साथ मिलकर किशोरी को बहला-फुसलाकर ले गये थे.
- इस मामले में लालू के परिजनों ने भी साथ दिया था.
- पुलिस इस मामले में 4 दिसंबर 2012 को एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी थी.
आरोपित लालू और पीड़िता के परिजन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में डाली थी एक रिट याचिका
इस याचिका में हाईकोर्ट ने संबंधित जिले के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराने और आयु संबंधित जांच कराने के आदेश दिए थे. जांच के बाद पीड़िता नाबालिग पाई गई. इस पर पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया. इसके बाद न्यायालय ने पक्ष-विपक्ष की दलीलों और सबूतों के आधार पर पाया कि पीड़िता के साथ आरोपी लालू और सुबोध ने दुष्कर्म किया है.
जनपद के विशेष न्यायाधीश एससी/ एसटी एक्ट न्यायालय ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा
शनिवार को मामले में फैसला सुनाते हुए विशेष न्यायाधीश एससी/ एसटी न्यायालय श्री खलीकुज्ज्मा ने आरोपित लालू ,अनिल, सुबोध ,खचेर सिंह और शकुंतला देवी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इसके साथ प्रत्येक को 19 -19 हजार के अर्थदंड से दंडित किया है.
साथ ही मुख्य आरोपी लालू और सुबोध को दुष्कर्म मामले में अलग से आजीवन कारावास और 10 -10 हजार के अर्थदंड की सजा सुनाई है. हालांकि दोनों सजा एक साथ चलेंगी. इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता योगेंद्र कुमार ने पैरवी की. जिससे पीड़ित को न्याय मिल सका.