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जिला अस्पताल में डर के साये में ड्यूटी कर रहे चिकित्सक

यूपी के देवरिया स्थित बाबू मोहन सिंह जिला अस्पताल की स्थिति खस्ताहाल है. अस्पताल की बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है. प्रशासन ने कई सालों से इसकी मरम्मत नहीं कराई है.

जिला अस्पताल की बिल्डिंग जर्जर.
जिला अस्पताल की बिल्डिंग जर्जर.
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Published : Feb 7, 2021, 4:38 PM IST

Updated : Feb 7, 2021, 5:37 PM IST

देवरिया: बाबू मोहन सिंह जिला अस्पताल बेहद दयनीय स्थिति में है. अस्पताल की बिल्डिंग जर्जर हो गई है. अधिकारी और डॉक्टर अपनी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करने को मजबूर हैं. अस्पताल के सीएमएस डॉ. आनन्द मोहन वर्मा ने कहा कि डर तो बना रहता है, लेकिन फिर भी नौकरी करनी पड़ती है.

जिला अस्पताल की बिल्डिंग जर्जर.

जर्जर पड़ा जिला अस्पताल परिसर
साल 1952 में बाबू मोहन सिंह जिला अस्पताल का निर्माण हुआ था. अब आलम यह है कि इस अस्पताल के सभी भवन जर्जर हो चुके हैं. डॉक्टर और कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करने को मजबूर हैं. जिस केबिन में सीएमएस बैठते हैं, वह भवन भी जर्जर हो चुका है. भवन की छत का प्लास्टर टूटकर गिरता रहता है. कई बार खुद डॉक्टर और सीएमएस चोटिल होने से बचे हैं, लेकिन भवन की मरम्मत नहीं करवाई जा रही है.

प्रदेश के कई मंत्री कर चुके हैं अस्पताल का निरीक्षण
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, पशुधन मंत्री जय प्रकाश सिंह, जिला प्रभारी मंत्री श्रीराम चौहान और स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव और सांसद-विधायक ने भी बाबू मोहन सिंह जिला अस्पताल का निरीक्षण किया है. बावजूद इसके जिम्मेदारों की नजर इस जर्जर भवन और अस्पताल पर नहीं पड़ी.

सीएमएस डॉ. आनन्द मोहन वर्मा ने बताया कि भवन की छत जर्जर हो चुकी है. बैठते समय डर तो लगता है, लेकिन ड्यटूी निभानी पड़ती है. डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की जिंदगी रिस्क पर ही रहती है. उन्होंने कहा कि मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिलाधिकारी और महानिदेशक स्वास्थ विभाग को अवगत कराया गया है, आवश्यक कार्रवाई की जा रही है.

देवरिया: बाबू मोहन सिंह जिला अस्पताल बेहद दयनीय स्थिति में है. अस्पताल की बिल्डिंग जर्जर हो गई है. अधिकारी और डॉक्टर अपनी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करने को मजबूर हैं. अस्पताल के सीएमएस डॉ. आनन्द मोहन वर्मा ने कहा कि डर तो बना रहता है, लेकिन फिर भी नौकरी करनी पड़ती है.

जिला अस्पताल की बिल्डिंग जर्जर.

जर्जर पड़ा जिला अस्पताल परिसर
साल 1952 में बाबू मोहन सिंह जिला अस्पताल का निर्माण हुआ था. अब आलम यह है कि इस अस्पताल के सभी भवन जर्जर हो चुके हैं. डॉक्टर और कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करने को मजबूर हैं. जिस केबिन में सीएमएस बैठते हैं, वह भवन भी जर्जर हो चुका है. भवन की छत का प्लास्टर टूटकर गिरता रहता है. कई बार खुद डॉक्टर और सीएमएस चोटिल होने से बचे हैं, लेकिन भवन की मरम्मत नहीं करवाई जा रही है.

प्रदेश के कई मंत्री कर चुके हैं अस्पताल का निरीक्षण
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, पशुधन मंत्री जय प्रकाश सिंह, जिला प्रभारी मंत्री श्रीराम चौहान और स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव और सांसद-विधायक ने भी बाबू मोहन सिंह जिला अस्पताल का निरीक्षण किया है. बावजूद इसके जिम्मेदारों की नजर इस जर्जर भवन और अस्पताल पर नहीं पड़ी.

सीएमएस डॉ. आनन्द मोहन वर्मा ने बताया कि भवन की छत जर्जर हो चुकी है. बैठते समय डर तो लगता है, लेकिन ड्यटूी निभानी पड़ती है. डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ की जिंदगी रिस्क पर ही रहती है. उन्होंने कहा कि मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिलाधिकारी और महानिदेशक स्वास्थ विभाग को अवगत कराया गया है, आवश्यक कार्रवाई की जा रही है.

Last Updated : Feb 7, 2021, 5:37 PM IST
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