देवरिया: जिले में चार महीने का मासूम एक भंयकर बीमारी से जूझ रहा है. मासूम के माता पिता ने अपने बच्चे की जान बचाने और उसके ईलाज के लिए देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री से गुहार लगाई है. मासूम कवि जिस गंभीर बीमारी से जूझ रहा है उसका नाम स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉपी है. इस बीमारी का इलाज भारत में नहीं है. इस घातक बीमारी का एक मात्र इलाज एक इंजेक्शन है जिसकी कीमत 22 करोड़ रुपये है और यह इंजेक्शन यूएसए में मिलता है. डॉक्टरों का कहना है कि अगर यह इंजेक्शन दो साल के अंदर मासूम कवि को नहीं लगा तो उसकी मौत हो जाएगी, जिसको लेकर कवि के माता-पिता ने देश के प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और देश की जनता से मदद की गुहार लगाई है.
जानिए पूरा मामला
दरअसल सदर कोतवाली के न्यू कालोनी के रहने वाले कृष्ण शंकर गुप्ता के बेटे मोहित गुप्ता एटा जिले में बिजली विभाग के सहायक अभियंता पद पर तैनात हैं. दो साल पहले उनकी शादी प्रियंका गुप्ता से हुई थी. शादी के करीब एक साल बाद प्रियंका ने एक बच्चे को जन्म दिया था. बच्चे का नाम प्रियंका और मोहित ने कवि रखा. वहीं जन्म के बाद से मासूम कवि के पूरे शरीर में कोई मूमेंट नहीं थी, जिसके बाद मोहित ने अपने बच्चे कवि को डॉक्टरों को दिखाया, तब डॉक्टरों ने मोहित को सलाह दिया कि बच्चे को दिल्ली दिखाइए, जिसके बाद दोनों ने बच्चे को दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल ले गए, जहां जांच के बाद डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे को स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉपी नाम की बीमारी है, जिसका एक मात्र इलाज एक इंजेक्शन है, जो USA से मंगाना पड़ेगा. डॉक्टरों ने बताया कि उस इंजेक्शन की कीमत 22 करोड़ रुपये है. यह सुनते ही मासूम कवि की मां प्रियंका और पिता मोहित के पैरों के नीचे से मानो जमीन ही खिसक गई.
लोगों से की पैसों की अपील
इतनी बड़ी रकम का बंदोबस्त कैसे होगा, तब परिवार ने हिम्मत जुटाई और सोशल मीडिया के माध्यम से क्राउड फंडिंग के जरिये पैसा जुटाने की मुहिम शरू की. बच्चे के माता पिता जनता से गुहार लगा रहे हैं कि प्लीज हमारे बच्चे को बचा लीजिए. इसके साथ ही दंपति ने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपने बच्चे की जिंदगी और उसके इलाज के लिए मदद की गुहार लगाई है.
इस बीमारी के लक्षण क्या हैं
जो बच्चे स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 से पीड़ित होते हैं, उनकी मांसपेशियां कमजोर होती हैं. शरीर में पानी की कमी होने लगती है और स्तनपान करने में और सांस लेने में दिक्कत होती है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की मांसपेशियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि वो हिलने-डुलने लायक तक भी नहीं रहती हैं. जिन बच्चों में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी के लक्षण पाए जाते हैं, वे धीरे-धीरे इतने अक्षम हो जाते हैं कि उन्हें सांस तक लेने के लिए वेंटिलेटर की जरूरत पड़ जाती है. हालांकि लंबे समय तक बच्चों को वेंटिलेटर पर भी नहीं रखा जा सकता है, क्योंकि इससे ट्यूब में संक्रमण फैलने का खतरा होता है.
कितनी खतरनाक है यह बीमारी
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी के लिए जिम्मेदार जीन शरीर में तंत्रिका तंत्र के सुचारु रुप से कार्य करने के लिए आवश्यक प्रोटीन के निर्माण को बाधित कर देता है, जिसके फलस्वरूप तंत्रिका तंत्र नष्ट हो जाता है और पीड़ित बच्चों की मौत हो जाती है. दरअसल, यह मांसपेशियों को खराब कर देने वाली एक दुर्लभ बीमारी है, जब यह बीमारी गंभीर हो जाती है तो बच्चों के दो साल के होने से पहले ही उनकी मौत हो जाती है.
मुंबई के अस्पताल में भी जूझ रही है पांच माह की बच्ची
पांच महीने की मासूम बच्ची तीरा कामत मुंबई के एक अस्पताल में जिंदगी और मौत से जंग लड़ रही है, लेकिन उसके माता-पिता उसकी जिंदगी बचाने के लिए काफी जद्दोजहद कर रहे हैं. दरअसल तीरा को एसएमए- टाइप1 बीमारी है और इलाज के लिए 22 करोड़ के Zolgensma नाम के इंजेक्शन की जरूरत है.