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चित्रकूट: गोवंशो के गोबर में खोजी गईं रोजगार की संभावनाएं - गोबर से तैयार किये जा रहे लकड़ी

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में स्वामी शोभन सरकार गो सेवा सदन गो संरक्षण और गो संवर्धन में अहम भूमिका निभा रही है. इस सदन में ऊर्जा केक, ईंधन लकड़ी, गमले, अगरबत्ती बनाने का काम किया जाता है.

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गोवशों के गोबर से तैयार हो रही लकड़ी
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Published : Dec 4, 2019, 10:29 AM IST

चित्रकूट: जिले में स्वामी शोभन सरकार गो सेवा सदन गो संरक्षण और संवर्धन में अहम भूमिका निभा रही है. सेवा सदन ने पशु बाड़े से निकले गोबर को गोबर गैस के जरिए रसोई गैस में प्रयोग करने के योग्य बनाती है. ऊर्जा केक और लकड़ी की तरह ईंधन बनाकर वन संरक्षण को ध्यान में रखते है. राज्य सरकार द्वारा पोषित पशु बाड़े से निकले गोबर को ऊर्जा केक और ईधन लकड़ी की तरह बनाकर खुले बाजार में बेचकर रोजगार दे रहे है.

गोवशों के गोबर से तैयार हो रही लकड़ी
जानिए क्या है खास
  • इस वेद विद्या संस्थान में गोबर बेचना चाहे तो दो रुपये किलो के हिसाब से गोवंश का गोबर खरीदा जाता है.
  • गोबर गोशालाओं से प्राप्त होता है सरकार चाहे तो इस मशीनों को सभी ग्राम पंचायतों के गोशालाओं में स्थापित करे.
  • इससे स्थानीय ग्रामीण वहां पर अपनी सेवाएं दे सकते हैं. बेरोजगार ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा.
  • इसका व्यापार कर गोशाला में गोवंश की देखरेख के लिए प्राप्त हुआ धन काम में आएगा.
  • यह ईंधन बेहद टिकाऊ है इसमें आम उपले और लकड़ी से अधिक देर तक जलते रहने की क्षमता है.
  • इसे ऐसा डिजाइन किया गया है कि आक्सीजन पहुंचने की जगह बनी है. यह धुंआ भी बिल्कुल नहीं देता.
  • आसानी से जलने को तैयार यह धन इस्तेमाल के साथ-साथ उठाने ले जाने में आसान और सुरक्षित भी है.

इस ईंधन को तैयार करने में मशीन के द्वारा ज्यादा दिक्कत भी नहीं होती. अगर इसकी कीमत निकाली जाए तो एक व्यक्ति 1 घंटे में 70 पीस निकाल सकता है और प्रति पीस अगर 1 रुपये की मेहनत भी जोड़ी जाए तो प्रति घंटे में 70 रुपये कमा सकेगा जो कि उसकी जीवन यापन के लिए बहुत ही उचित धनराशि होगी. गोवंश के गोबर से कई चीजें बन सकती हैं, जिसमें ऊर्जा केक ,ईंधन लकड़ी ,गमले ,अगरबत्ती उधोग पूजा के समय इस्तेमाल होने वाला पंचगव्य में भी गोवंश के गोबर का इस्तेमाल किया जाता है.

चित्रकूट: जिले में स्वामी शोभन सरकार गो सेवा सदन गो संरक्षण और संवर्धन में अहम भूमिका निभा रही है. सेवा सदन ने पशु बाड़े से निकले गोबर को गोबर गैस के जरिए रसोई गैस में प्रयोग करने के योग्य बनाती है. ऊर्जा केक और लकड़ी की तरह ईंधन बनाकर वन संरक्षण को ध्यान में रखते है. राज्य सरकार द्वारा पोषित पशु बाड़े से निकले गोबर को ऊर्जा केक और ईधन लकड़ी की तरह बनाकर खुले बाजार में बेचकर रोजगार दे रहे है.

गोवशों के गोबर से तैयार हो रही लकड़ी
जानिए क्या है खास
  • इस वेद विद्या संस्थान में गोबर बेचना चाहे तो दो रुपये किलो के हिसाब से गोवंश का गोबर खरीदा जाता है.
  • गोबर गोशालाओं से प्राप्त होता है सरकार चाहे तो इस मशीनों को सभी ग्राम पंचायतों के गोशालाओं में स्थापित करे.
  • इससे स्थानीय ग्रामीण वहां पर अपनी सेवाएं दे सकते हैं. बेरोजगार ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा.
  • इसका व्यापार कर गोशाला में गोवंश की देखरेख के लिए प्राप्त हुआ धन काम में आएगा.
  • यह ईंधन बेहद टिकाऊ है इसमें आम उपले और लकड़ी से अधिक देर तक जलते रहने की क्षमता है.
  • इसे ऐसा डिजाइन किया गया है कि आक्सीजन पहुंचने की जगह बनी है. यह धुंआ भी बिल्कुल नहीं देता.
  • आसानी से जलने को तैयार यह धन इस्तेमाल के साथ-साथ उठाने ले जाने में आसान और सुरक्षित भी है.

इस ईंधन को तैयार करने में मशीन के द्वारा ज्यादा दिक्कत भी नहीं होती. अगर इसकी कीमत निकाली जाए तो एक व्यक्ति 1 घंटे में 70 पीस निकाल सकता है और प्रति पीस अगर 1 रुपये की मेहनत भी जोड़ी जाए तो प्रति घंटे में 70 रुपये कमा सकेगा जो कि उसकी जीवन यापन के लिए बहुत ही उचित धनराशि होगी. गोवंश के गोबर से कई चीजें बन सकती हैं, जिसमें ऊर्जा केक ,ईंधन लकड़ी ,गमले ,अगरबत्ती उधोग पूजा के समय इस्तेमाल होने वाला पंचगव्य में भी गोवंश के गोबर का इस्तेमाल किया जाता है.

Intro:जिला चित्रकूट में गौ संरक्षण व संवर्धन में अहम भूमिका निभा रही स्वामी शोभन सरकार गौ सेवा सदन ने पशु बाड़े से निकले गोबर को गोबर गैस के जरिए रसोई गैस में प्रयोग हो चुकी गोबर को ।ऊर्जा केक और लकड़ी की तरह इधर बनाकर जहां वन संरक्षण की बात की। तो वही राज्य सरकार द्वारा पोषित पशु बाड़े से निकले गोबर को ऊर्जा केक और ईधन लकड़ी की तरह बनाकर खुले बाजार में बेचकर रोजगार व पशु बाड़े की आर्थिक मदद की संभावनाओं को किसानों व ग्राम प्रधानों से साझा किया।


Body: जिला चित्रकूट के गांव एचवारा में वेद विद्या प्रतिष्ठान में संचालित स्वामी शोभन सरकार गौ सेवा सदन में हजारों गायों का संरक्षण और संवर्धन किया जा रहा है ।वहीं गोशाला में गोवंश से प्राप्त गोबर से विद्या प्रतिष्ठान के संरक्षक हरि ओम बाबा ने बताया कि इस गोबर का संग्रहण कर के इससे आधुनिक तरह के ऊर्जा केक ईंधन लकड़ी की शक्ल देकर खुले बाजार में बेचा जा सकता है ।जिससे ग्रामीणों और किसानों को काफी लाभ पहुंचेगा ।
हरि ओम बाबा ने कहा कि मेरे इस वेद विद्या संस्थान में गोबर बेचना चाहे तो मैं दो रुपए किलो के हिसाब से गोवंश का गोबर खरीद लूंगा ।क्योंकि मैं इसे प्रोसेस कर अपनी वेदविद्या संस्थान में इस्तेमाल कर सकूंगा
हरि ओम बाबा ने बताया यही गोबर गौशालाओं से प्राप्त होता है सरकार चाहे तो इस मशीनों को सभी ग्राम पंचायतों के गोशालाओं में स्थापित करे तो स्थानीय ग्रामीण वहां पर अपनी सेवाएं दे सकते हैं ।और बेरोजगार ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा और इसका व्यापार कर गौशाला में गोवंश की देखरेख के लिए प्राप्त हुआ धन काम में आएगा।
हरि ओम बाबा ने बताया कि यह ईंधन बेहद टिकाऊ है इसमें आम उपले और लकड़ी से अधिक देर तक जलते रहने की क्षमता है।और इसे ऐसा डिजाइन किया गया है कि ऑक्सशीजन पहुचने की जगह बनी है। इससे यह धुआ भी बिल्कुल नहीं देता आसानी से जलने को तैयार यह धन इस्तेमाल के साथ-साथ उठाने ले जाने में आसान और सुरक्षित भी है। इस ईंधन को तैयार करने में मशीन मशीन के द्वारा इस ईंधन को तैयार करने में ज्यादा दिक्कत भी नहीं होती अगर इसकी कीमत निकाली जाए तो एक व्यक्ति 1 घंटे में 70 पीस निकाल सकता है। और प्रति पीस अगर ₹1 मेहनत भी जोड़ी जाए तो प्रति घंटे में ₹70 कमा सकेगा जो कि उसकी जीवन यापन के लिए बहुत ही उचित धन राशि होगी ।ओम बाबा ने बताया कि गोवंश के गोबर से कई चीजें बन सकती हैं। जिसमें ऊर्जा केक ,ईंधन लकड़ी ,गमले ,अगरबत्ती उधोग पूजा के समय स्तेमाल होने वाला पंचगव्य में भी गोवंश के गोबर का इस्तेमाल किया जाता है।
byte_ हरि ओम बाबा(संरक्षक वेद विद्या प्रतिष्ठान
बाइट-अनुराग श्रीवास्तव(प्रमुख सचिव ग्राम विकास पंचायती राज


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