चित्रकूट: जिले में स्थित भरतकूप एक धार्मिक स्थल का केंद्र माना जाता है. इस धार्मिक नगरी के सबसे नजदीक चित्रकूट धाम कर्वी रेलवे स्टेशन है. रेलवे स्टेशन से भरतकूप महज 17 किलोमीटर की दूरी में स्थित है. भरतकूप हिंदू धार्मिक तीर्थ स्थल है और यह प्राचीन स्थल के साक्ष्य महान तुलसीदास जी के रचित महाकाव्य रामचरितमानस अयोध्या कांड में मिलते हैं. इससे यह स्पष्ट होता है कि प्राचीन समय में भगवान श्री राम के छोटे भाई भरत भगवान राम को खोजते हुए चित्रकूट धर्म नगरी पहुंचे थे.
राम को ढूंढते हुए भरत पहुंचे थे चित्रकूट
राजा दशरथ ने राम के राज्यभिषेक के लिए सभी तीर्थों से जल मंगवाया था. उनकी मां के द्वारा मांगे वरदान के चलते उन्हें वनवास काटने चित्रकूट आना पड़ा था. राज्यभिषेक की सामग्री लिए राम के छोटे भाई भरत उनको खोजते हुए चित्रकूट पहुंचे थे. भगवान राम से अयोध्या वापसी के लिए निवेदन किया था. जब भगवान राम उनके साथ वापस नहीं लौटने के लिए राजी नहीं हुए तब भरत ने अपने साथ अयोध्या से लाए राज्यभिषेक सामग्री एवं विभिन्न पवित्र तीर्थो का जल अत्रिमुनि के द्वारा बताए गए बने एक कुएं में डाल दिया था.
भरतकूप के नाम से जाना जाता है कुंआ
उस समय से यह अनादिस्थल भरत के कुएं की नगरी भरतकूप के नाम से जगजाहिर हुआ. मानता के अनुसार, यह आज भी अपनी पवित्रता को बनाए हुए हैं. इसमें से जुड़ी इस पौराणिक घटना के कारण इस धार्मिक नगर का नाम भरतकूप है. इस पौराणिक स्थल में हिंदुओं की पवित्र त्योहार मकर संक्रांति, अमावस्या, कार्तिकेय, माघ मास में तीर्थयात्रियों का यहां पर जमावड़ा लगता है. लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं और मकर संक्रांति के अगले 5 दिनों तक यहां एक विशाल ग्रामीण मेला का आयोजन किया जाता है.
लोग मिठाईयां और जलेबियों का उठाते है लुफ्त
यहां सैलानियों को लोक कला से रूबरू होने का सुनहरा मौका मिलता है. मेले में बनी स्थानीय मिठाइयां मिष्ठान जैसे गुड़ की जलेबी और लाई से बने लड्डू ,तिल के बने लड्डू इस मेले में अपना अलग ही महत्व रखते हैं. यहां आए सैलानी, तीर्थयात्री यहां पर आकर पवित्र कुएं की जल से स्नान का आनंद उठाते हैं और साथ ही पुण्य भी अर्जित करते हैं. तीर्थयात्री कुएं से जल निकालने के लिए पारंपरिक विधि का प्रयोग करते हैं और रस्सीऔर बाल्टी का प्रयोग करते हैं.
मंदिर के गर्भाशय में भरत और उनकी पत्नी मांडवी की है मूर्ति
यहां पर यह मान्यता है कि रस्सी बाल्टी का दान करने से पूण्य मिलता है. इस मान्यतानुसार यहां पर आने वाले सैलानी रस्सी और बाल्टी भी दान करते हैं. इस कुएं के पास ही एक प्राचीन श्री भगत मंदिर है और इस मंदिर के अहाते में ही एक पवित्र कुआं है. यह मंदिर भारत की प्राचीनतम मंदिरों में से एक भरत मंदिर है. इस मंदिर के गर्भाशय में भरत और उसकी पत्नी मांडवी की संयुक्त मूर्ति विराजमान है.
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