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मोटी रकम लेकर युवाओं को किन्नर बना रहे यहां के डॉक्टर्स - चित्रकूट न्यूज

भुखमरी और बेरोजगारी से बचने के लिए लोग किन्नर बनने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं. चित्रकूट में किंन्नरों की संख्या में दिनों दिन इजाफा हुआ. कभी एक-दो दिखने वाले ये किन्नर आज दर्जनों की संख्या में दिखाई पड़ने लगे हैं. जब इसकी पड़ताल ईटीवी भारत ने की, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए.

भुखमरी और बेरोजगारी ने बनाया युवाओं को किन्नर
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Published : Apr 14, 2019, 1:31 PM IST

चित्रकूट: ट्रेनों, बस स्टेशनों और शादी-समारोहों में आए दिन बढ़ती किन्नरों की संख्या की वजह आपको हैरान कर देगी. जगह-जगह ताली बजाकर पैसे कमाना इन्हें भी नहीं पसंद, पर सरकार की उपेक्षा और पेट की भूख आज कल के युवाओं को किन्नर बनने पर मजबूर कर रही है. कुछ डॉक्टर उनकी इसी मजबूरी का फायदा उठाकर मनमानी रकम वसूल रहे हैं.

भुखमरी और बेरोजगारी ने बनाया युवाओं को किन्नर

ये तथ्य कर देंगे आपको हैरान

  • परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पुरुष बन रहे किन्नर
  • डॉक्टरों को 30-35 हजार रुपये देकर करवाते हैं ऑपरेशन
  • मध्य प्रदेश के ग्वालियर और बिहार में डॉक्टर करते हैं ऑपरेशन
  • किन्नर बन कर मांगने पर मिलता है खासा पैसा

किन्नर बनने के बाद भी नहीं कम हो रही समस्याएं

  • वोटर आईडी और आधार कार्ड न होने से ये लोग मतदान से वंचित रह जाते हैं.
  • कई सरकारी सुविधाएं नहीं मिलती हैं.
  • लोग किन्नरों को हेय दृष्टि से देखते हैं.
  • किराये का कमरा लेने पर दोगुना किराया देना पड़ता है.

मैंने किन्नर बनने के बाद अपना नाम बदल लिया है. भुखमरी और बेरोजगारी के चलते मैं किन्नर बन गई हूं. मेरे जैसे कई और किन्नर हैं, जो मोटी रकम दे कर बिहार और मध्य प्रदेश के ग्वालियर से ऑपरेशन करा कर किन्नर के धंधे में उतर गए हैं. ऐसी महंगाई और बेरोजगारी में अपने बच्चे को भी तो पालना था. इससे आसान कुछ न था तो मैंने किन्नर बनने का निर्णय ले लिया. किन्नर उषा

चित्रकूट: ट्रेनों, बस स्टेशनों और शादी-समारोहों में आए दिन बढ़ती किन्नरों की संख्या की वजह आपको हैरान कर देगी. जगह-जगह ताली बजाकर पैसे कमाना इन्हें भी नहीं पसंद, पर सरकार की उपेक्षा और पेट की भूख आज कल के युवाओं को किन्नर बनने पर मजबूर कर रही है. कुछ डॉक्टर उनकी इसी मजबूरी का फायदा उठाकर मनमानी रकम वसूल रहे हैं.

भुखमरी और बेरोजगारी ने बनाया युवाओं को किन्नर

ये तथ्य कर देंगे आपको हैरान

  • परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पुरुष बन रहे किन्नर
  • डॉक्टरों को 30-35 हजार रुपये देकर करवाते हैं ऑपरेशन
  • मध्य प्रदेश के ग्वालियर और बिहार में डॉक्टर करते हैं ऑपरेशन
  • किन्नर बन कर मांगने पर मिलता है खासा पैसा

किन्नर बनने के बाद भी नहीं कम हो रही समस्याएं

  • वोटर आईडी और आधार कार्ड न होने से ये लोग मतदान से वंचित रह जाते हैं.
  • कई सरकारी सुविधाएं नहीं मिलती हैं.
  • लोग किन्नरों को हेय दृष्टि से देखते हैं.
  • किराये का कमरा लेने पर दोगुना किराया देना पड़ता है.

मैंने किन्नर बनने के बाद अपना नाम बदल लिया है. भुखमरी और बेरोजगारी के चलते मैं किन्नर बन गई हूं. मेरे जैसे कई और किन्नर हैं, जो मोटी रकम दे कर बिहार और मध्य प्रदेश के ग्वालियर से ऑपरेशन करा कर किन्नर के धंधे में उतर गए हैं. ऐसी महंगाई और बेरोजगारी में अपने बच्चे को भी तो पालना था. इससे आसान कुछ न था तो मैंने किन्नर बनने का निर्णय ले लिया. किन्नर उषा

Intro:एंकर- अक्सर ट्रेनों में सफर करते समय ट्रेनों के डिब्बो में किंन्नरो को ताली बजा कर यात्रियों से पैसा लेते देखा जाता है और आज के परिवेश में इन किंन्नरो की संख्या में खाशी बढ़ोतरी होती जा रही है आखिर ये किन्नर आते कहाँ से है इनकी संख्या में दिनों दिन बढ़ोत्तरी का कारण क्या है क्या हमारा समाज मे कुछ विकार है या कोई वैज्ञानिक कारण समाज से विरक्त ये किन्नर आखिर अपना जीवन कैसे बिताते हैं किया है किन्नर समाज की मान्यताये
या पिछले सरकारों से उपेछित या बेरोजगारी उनको बना रही है किन्नर । भुखमरी और बेरोजगारीया से तंन्ग हमारे ही समाज के कुछ लोग दो वक्त की रोटी और बच्चों को पालने के लिए अपना रहे हैं किन्नर बनना देखिए ये रपट


Body:वी-ओ-चित्रकूट के मानिकपुर रेल्वे जक्शन में दिनों दिन किंन्नरो की संख्या में हुआ इजाफा समाज को सोचने को मजबूर कर रहा है कि कभी इक्का दुक्का दिखने वाले ये किन्नर आज रेल्वे स्टेशन के इर्दगिर्द गिर्द दर्जनो की संख्या में दिखाई पड़ने लगे है जब इसकी पड़ताल ईटीवी भारत ने की तो ऐसे चौकाने वाले तथ्य सामने आये की हमारे सरकारों को सोचने को मजबूर कर देंगे कि इक्कसवीं सदी में भुखमरी और बेरोजगारी से बचने के लिये लोग किन्नर बनने से भी परहेज नही कर रहे हैं ।अपना परिवार का भरणपोषण करने- बच्चो को पालने के लिए पुरुष आज डॉक्टरों के पास जा एक मोटी रकम दे कर अपना लिग को ऑपरेशन के जरिये हटा बन जाते है किन्नर उषा ,मनचली,गोमती,पलक जैसे दर्जनो उदाहरण है जो मध्य प्रदेश के ग्वालियर और बिहार में जा कर 30 से 35 हजार रुपयों में ऑपरेशन करा कर बन जाते है किन्नर और फिर जाते है ट्रेनों में या शहरों में लोग इन्हें किन्नर समझ कर इनका लेते है आशिर्वाद और बदले में लोग देते है पैसे
समाज से विरग किन्नर समाज की भी अपनी समस्याएं है पलक किन्नर ने बताया कि हमे वोट डालने का अधिकार तो मिल गया है लोकसभा चुनाव में हमलोग भी मतदान कर सहभागी बनना चाहते है पर हमारा वोटर आईडी और आधार कार्ड न होने से हम लोग मतदान से वंचित रह जाते है सरकार ने लोगो को आवास दिया शौचालय दिया पर हम लोगो का परिवार ने होने के वजह से सभी सुविधाओं से वंचित है । लोग हमें हेय दृष्टि से देखते है कोई भी मकान हमे किराये से नही देना चाहता डबल किराया दे कर रहने को मजबूर है
वहीं किन्नर उषा ने बताया मैने किन्नर बनने के बाद अपना नाम बदल लिया है भुखमरी और बेरोजगारी के चलते मै किन्नर बन गई हूं मेरे जैसे कई और किन्नर है जो मोटी रकम दे कर बिहार और मध्य प्रदेश के ग्वालियर से ऑपरेशन करा कर किन्नर के धंधे में उतार गए हैं आखिर हमे ऐसी महगाई और बेरोजगारी में अपने बच्चे भी तो पालना था यही आसान था तो मैंने किन्नर बनने का निर्णय ले लिया


Conclusion:1बाइट-पलक( किन्नर )
2बाइट--उषा (किन्नर )
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