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12 मजदूर गांव के बाहर हुए क्वारंटाइन, नहीं मिल रही सरकारी सुविधाएं - coronavirus

ईटीवी भारत से बातचीत में छलका कामगारों का दर्द. उत्तर प्रदेश के चित्रकुट में नागपुर से लौटे 12 मजदूरों को क्वॉरेंटाइन किया गया है. प्रशासन द्वारा उनकी अब तक कोई मदद नहीं हो सकी. स्थानीय लोग ही एकमात्र उनका सहारा हैं.

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क्वारंटाइन किए गए मजदूर
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Published : Apr 3, 2020, 9:39 PM IST

चित्रकूट: कोरना संक्रमण की खौफ के चलते नागपुर से लौटे 12 मजदूर जनपद चित्रकुट में क्वारंटाइन किए गए हैं. 12 कामगार मजदूर अब प्रशासनिक सहायता की राह देख रहे हैं. वहीं, ग्रामीणों द्वारा गांव के बाहर ही एक विद्यालय में इन्हें क्वारंटाइन किया गया है. स्थानीय लोग ही इन कामगारों का भरण-पोषण कर रहे हैं. इनमें से कई लोग बाहर के भी हैं. मजदूरों ने बताया कि मौके पर पहुंचकर कई अधिकारियों ने उनसे पूछताछ की, लेकिन मदद के नाम पर अभी तक कुछ भी नहीं किया गया.

चित्रकुट के रहने वाले यह मजदूर नागपुर में काम कर रहे थें, तभी कोरोना वायरस संक्रमण के चलते पूरे देश को अचानक लॉकडाउन कर दिया गया. जिसके चलते इनके मालिक द्वारा इन्हें वापस घर जाने की सलाह दी गई. चित्रकुट के मजदूरों के साथ कुछ बाहर के भी लोग पैदल ही नागपुर से चल पड़ें, रास्ते में ट्रक की सहायता से किसी तरह यह लोग जबलपुर पहुंचे. जबलपुर से मध्य प्रदेश शासन ने सतना मध्य प्रदेश तक इन्हें बस से पहुंचाया. इसके बाद यह पैदल ही चित्रकूट के लिए चल पड़े.

लगभग सौ किमी की यात्रा कर यह चित्रकूट तो पहुंच गए, लेकिन गांव वालों ने इन्हें गांव के अंदर आने से रोक दिया. स्थानीय लोगों का मानना है कि यह लोग कोरोना संक्रमित हैं, इनसे पूरा गांव भी संक्रमित हो सकता है. हालांकि स्थानीय लोगों ने इन 12 लोगों को गांव के बाहर मानिकपुर में बने एक परिषदीय विद्यालय में क्वारंटाइन कर दिया. जब प्रशासन को इसकी सूचना मिली तो प्रशासनिक अमला इनका हालचाल जानने पहुंचा और स्वास्थ्य परीक्षण करवाया.

कामगार शिव कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य जांच के बाद अधिकारियों ने उनसे सहायता का वादा किया था, पर आज तक वादा पूरा नहीं किया गया. उन्होॆने बताया कि हम लोग यहां ग्रामीणों की सहायता पर ही टीके हुए हैं, उन्हीं से हमें भोजन और जरूरत का सामान मिल पा रहा है.

जब ईटीवी भारत मौके पर पहुंचा तो इन कामगारों का दर्द जुवां तक छलक उठा. कामगार भरत कुमार ने बताया कि हम लोगों के पास अब हाथ धोने के लिए साबुन तक नहीं रहा, हमारी हालत दिनों दिन बद से बदतर होती जा रही है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहें. लोगों ने बताया कि उनके साथ कुछ बाहरी व्यक्ति भी हैं, जिनका एकमात्र सहारा अब चित्रकुट के लोग ही रह गए हैं. यह लोग करीब 4 दिनों से यहां क्वारंटाइन किए गए हैं.

चित्रकूट: कोरना संक्रमण की खौफ के चलते नागपुर से लौटे 12 मजदूर जनपद चित्रकुट में क्वारंटाइन किए गए हैं. 12 कामगार मजदूर अब प्रशासनिक सहायता की राह देख रहे हैं. वहीं, ग्रामीणों द्वारा गांव के बाहर ही एक विद्यालय में इन्हें क्वारंटाइन किया गया है. स्थानीय लोग ही इन कामगारों का भरण-पोषण कर रहे हैं. इनमें से कई लोग बाहर के भी हैं. मजदूरों ने बताया कि मौके पर पहुंचकर कई अधिकारियों ने उनसे पूछताछ की, लेकिन मदद के नाम पर अभी तक कुछ भी नहीं किया गया.

चित्रकुट के रहने वाले यह मजदूर नागपुर में काम कर रहे थें, तभी कोरोना वायरस संक्रमण के चलते पूरे देश को अचानक लॉकडाउन कर दिया गया. जिसके चलते इनके मालिक द्वारा इन्हें वापस घर जाने की सलाह दी गई. चित्रकुट के मजदूरों के साथ कुछ बाहर के भी लोग पैदल ही नागपुर से चल पड़ें, रास्ते में ट्रक की सहायता से किसी तरह यह लोग जबलपुर पहुंचे. जबलपुर से मध्य प्रदेश शासन ने सतना मध्य प्रदेश तक इन्हें बस से पहुंचाया. इसके बाद यह पैदल ही चित्रकूट के लिए चल पड़े.

लगभग सौ किमी की यात्रा कर यह चित्रकूट तो पहुंच गए, लेकिन गांव वालों ने इन्हें गांव के अंदर आने से रोक दिया. स्थानीय लोगों का मानना है कि यह लोग कोरोना संक्रमित हैं, इनसे पूरा गांव भी संक्रमित हो सकता है. हालांकि स्थानीय लोगों ने इन 12 लोगों को गांव के बाहर मानिकपुर में बने एक परिषदीय विद्यालय में क्वारंटाइन कर दिया. जब प्रशासन को इसकी सूचना मिली तो प्रशासनिक अमला इनका हालचाल जानने पहुंचा और स्वास्थ्य परीक्षण करवाया.

कामगार शिव कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य जांच के बाद अधिकारियों ने उनसे सहायता का वादा किया था, पर आज तक वादा पूरा नहीं किया गया. उन्होॆने बताया कि हम लोग यहां ग्रामीणों की सहायता पर ही टीके हुए हैं, उन्हीं से हमें भोजन और जरूरत का सामान मिल पा रहा है.

जब ईटीवी भारत मौके पर पहुंचा तो इन कामगारों का दर्द जुवां तक छलक उठा. कामगार भरत कुमार ने बताया कि हम लोगों के पास अब हाथ धोने के लिए साबुन तक नहीं रहा, हमारी हालत दिनों दिन बद से बदतर होती जा रही है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहें. लोगों ने बताया कि उनके साथ कुछ बाहरी व्यक्ति भी हैं, जिनका एकमात्र सहारा अब चित्रकुट के लोग ही रह गए हैं. यह लोग करीब 4 दिनों से यहां क्वारंटाइन किए गए हैं.

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