चित्रकूट: यूपी व एमपी पुलिस के लिए सिरदर्द बने कुख्यात डाकू गौरी यादव के मारे जाने के साथ उसके गांव के लोगों का सिरदर्द भी खत्म हो गया. गौरी के मारे जाने पर ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है. उनका कहना है कि भले ही डकैत गौरी गांव में उत्पात नहीं करता था लेकिन उन्हें हमेशा उनके गांव में डाकू होने का डर सताए रहता था. ग्रामीणों का कहना है कि इसके चलते उनके क्षेत्र का विकास बाधित था. अब उसके न रहने पर लोग चैन की सांस ले सकेंगे.
बता दें कि उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश पुलिस के लिए सिरदर्द बने कुख्यात डकैत गौरी यादव की कहानी आज खत्म हो गई. चित्रकूट में शनिवार सुबह साढ़े तीन बजे एसटीएफ की एक टीम से गौरी यादव गैंग की मुठभेड़ हुई. इस एनकाउंटर में डकैत गौरी यादव मारा गया. गौरी यादव पर उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश ने संयुक्त रूप से साढ़े पांच लाख का इनाम रखा था.
एसटीएफ को मौके से एके-47 समेत कई असलहे बरामद हुए हैं. डकैत गौरी यादव के मारे जाने के बाद चित्रकूट जिले के बहिलपुरवा थाना क्षेत्र के बेलहरी गांव के लोगों ने राहत की सांस ली है. एक छोटे से किसान बाबू प्रसाद यादव के घर जन्मा डकैत गौरी भी इसी गांव का रहने वाला था.
ADG अमिताभ यश की अगुवाई में चित्रकूट में STF को मिली बड़ी कामयाबी-
एक था गौरी यादव
जानकारी के मुताबिक चित्रकूट में यूपी STF को ADG अमिताभ यश की अगुवाई में यह एनकाउंटर किया गया. गौरी यादव काफी समय से अंडरग्राउंड चल रहा था. चार महीने पहले अचानक इसने चित्रकूट के जंगलों में फायरिंग कर दहशत फैला दी थी. करीब बीस साल पहले डकैती की दुनिया में एंट्री लेने वाले गौरी ने 2005 में अपना अलग गैंग बनाया था.
2008 में ददुआ और कुछ दिन बाद ठोकिया के मारे जाने के बाद 2009 में गौरी यादव भी गिरफ्तार हो गया था. लेकिन बाद में वह जमानत पर बाहर आ गया. बाहर आने के बाद भी जब उसके कारनामे नहीं रुके तो आज तड़के साढ़े तीन बजे एसटीएफ की एक टीम मुठभेड़ के दौरान डकैत गौरी यादव को मार गिराया. गौरी यादव पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में हत्या, अपहरण, फिरौती के साथ ही सरकारी काम में बाधा डालने के लगभग 50 मामले दर्ज थे. काफी लंबे वक्त से पुलिस को उसकी तलाश थी.
यह भी पढ़ें - औरंगजेब का पोस्टर लगाने के आरोप में महंत सहित पुजारियों पर एफआईआर दर्ज
उधर, ईटीवी भारत के संवाददाता से बातचीत में बेलहरी गांव के निवासी घनश्याम ने बताया कि डाकू गौरी यादव उनके गांव का था. वह 3 साल पहले उन्हें दिखाई पड़ा था. हालांकि उसका ग्रामीणों से कोई बैर नहीं थी. इससे उन्हें इस डाकू से कोई दिक्कत भी नहीं थी.
वहीं, ग्रामीण बड़कावन ने कहा कि डकैत तो हमेशा डकैत होता है. डकैत किसी का नहीं होता. डकैतों के ही चलते क्षेत्र का विकास बाधित था. यहां की मुख्य सड़क के निर्माण को भी किसी दबंग ने रुकवाया था. इसके बाद पुलिस के सहयोग से सड़क बन पाई है. कहा कि अब लोगों को फायदा होगा. पशु चराने के लिए हम लोग जंगल नहीं जा पाते थे. हर वक्त डकैतों का डर सताता रहता था. इस आखिरी डकैत के खात्मे के बाद लोग चैन की सांस लेंगे.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप