प्रयागराज: कुंभ का आयोजन अब दूसरे शाही स्नान की तरफ आगे बढ़ रहा है. मकर संक्रांति पर हुए शाही स्नान के बाद अब 29 जनवरी को दूसरा और प्रमुख मौनी अमावस्या का शाही स्नान है. इस महत्वपूर्ण स्नान को लेकर हर संत और अखाड़ा अपने स्तर पर तैयारी कर रहा है. इन सब के बीच कुंभ के इस भव्य, दिव्य और नव्य स्वरूप को लेकर संतों में काफी खुशी भी है और योगी सरकार के प्रयास को संत सराह भी रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी और अक्सर उनके साथ दिखाई देने वाले महामंडलेश्वर संतोष दास सतुआ बाबा भी इस पूरे आयोजन से बेहद खुश हैं.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उन्होंने इसे सरकार की तरफ से किए गए आयोजन का एक सफल रूप बताया. इतना ही नहीं, उन्होंने कुछ नेताओं की तरफ से लगातार कुंभ को लेकर की जा रही बयानबाजी पर कहा कि ऐसे लोग जो सनातन की इस बड़ी परंपरा के खिलाफ बोल रहे हैं, वह बांग्लादेश और पाकिस्तान से ऑपरेट हो रहे हैं. इनका ऑपरेटर पाकिस्तान और बांग्लादेश में बैठा है, इसलिए ऐसी बात कर रहे हैं.
आचार्य संतोष दास का कहना है कि विश्व के सनातन के इतिहास में सनातन के श्रृंगार का इतिहास के पन्नों में लिखने वाला यह पहला महाकुंभ होगा. इसलिए इसमें किसी को टीका टिप्पणी नहीं करनी चाहिए. यह संतों के आवाहन दर्शन और एक जगह हो रहे भजन और साधना के भव्य कुंभ का घड़ा है. अमृत गिरा है, अनादि काल से उसे अमृत स्नान में लोग नहा रहे हैं, लेकिन अमृत का मतलब है कि अमृत कलश में भरा हुआ जो भजन और साधना का अमृत है, वह प्रयागराज है. उन्होंने इसका श्रेय पीएम मोदी और सीएम योगी को दिया.
महामंडलेश्वर संतोष दास ने कहा कि 29 जनवरी को मौनी अमावस्या को लेकर तैयारियां पूरी हैं. मकर संक्रांति पर चार करोड़ लोगों ने स्नान किया, यह पूरे विश्व की व्यवस्था का एक पन्ना है. मौनी अमावस्या पर सरकार ने 10 करोड़ जनता की व्यवस्था की है. मुझे लगता है कि बस, ट्रेन, रिक्शा पैदल हर रास्ते से लोग इस दिन यहां पहुंचेंगे.
वहीं कुंभ को लेकर लगातार कभी अखिलेश तो कभी कांग्रेस के नेताओं की तरफ से की जा रही टिप्पणी पर संतोष दास ने कहा कि मुझे लगता है कि विपक्ष यदि अपने आप को सनातनी मान रहा है तो सनातन को स्वीकार करना सीख ले. केवल वोट के लिए तिलक ना लगाए, वोट के लिए जनेऊ ना पहने और वोट के लिए भगवा गमछा ना धारण करे. अगर उनकी प्राथमिकता सिर्फ वोट है, तो जिससे उन्हें वोट मिल रहा है, चाहे वह टोपी हो, चाहे वह बुर्का हो, उसको धारण करें, मुझे उस पर टीका टिप्पणी करने का अवसर नहीं मिलेगा.
कहा कि योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री ने यह कुंभ नहीं बनाया है. उन्होंने आध्यात्म के कुंभ को व्यवस्थाओं से जोड़ा है. लोगों की आस्थाओं को जानकर उसकी व्यवस्था के साथ जोड़कर आगे बढ़ाया है. पहले जो सरकारें थीं, उन्होंने कभी कुंभ और जन सैलाब को लेकर विचार किया था? सवाल उठाया कि क्यों वह साफ जल गंगा में नहीं देना चाह रहे थे, क्यों भगदड़ से बचने के लिए सुगम रास्ते नहीं बनाये जा रहे थे, क्यों प्रयागराज में अच्छे रास्तो का निर्माण नहीं किया गया, क्यों सीवर लाइनों की व्यवस्था पहले नहीं की गई.
कहा कि अब वर्तमान सरकार ने इस पर ध्यान दिया, इस वजह से अब विपक्ष घबरा गया है. इन्हें लगा है कि हमने पहले सत्ता में बैठकर सिर्फ परिवार का ही भरण पोषण किया, देश की जनता को गुमराह करते हुए उनको छलने का काम किया है, लेकिन मकर संक्रांति पर जिस तरह से श्रद्धा की करोड़ों लोगों ने डुबकी लगाई. उन्होंने बता दिया कि विपक्ष के जो लोग बैठे हैं, वह आध्यात्म पर, सनातन पर टिप्पणी कर रहे हैं, उनको भारत की जनता जवाब दे रही है. संतोष दास ने कहा कि लगता है कि भारत के व्यक्ति में सनातन और विश्वास में जो कमी दिख रही है, उसका ऑपरेटर है. वह पाकिस्तान या बांग्लादेश ही हो सकता है.