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चित्रकूट का ऐसा अलौकिक धाम, जहां 11 साल रुके थे तुलसी के राम - चित्रकूट रामघाट

चित्रकूट धाम मंदाकिनी नदी के किनारे बसा भारत के सबसे प्राचीन हिंदू तीर्थस्थलों में से एक है. सदियों से हिंदुओं की आस्था का केंद्र चित्रकूट वही स्थान है, जहां भगवान श्रीराम ने देवी सीता और लक्ष्मण जी के साथ 11 वर्ष वनवास के दौरान बिताए थे.

चित्रकूट धाम
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Published : Sep 1, 2019, 9:21 AM IST

चित्रकूट: जिले में हिंदुओं का बहुत ही प्राचीन धार्मिक तीर्थस्थल है, जहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक दर्शन के लिये आते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान 11 वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे. यह तीर्थ स्थल मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है. वहीं तीर्थस्थल की दूसरी मान्यता यह भी है कि यहां स्वयं ब्रह्मा जी ने श्राप से बचने के लिए 360 यज्ञ करवाए थे.

चित्रकूट धाम: जहां तुलसीदास को भगवान श्री राम ने दिए थे दर्शन.

आइये जानते है चित्रकूट धार्मिक स्थल की महिमा के बारे में-

  • मर्यादा पुरुषोत्तम राम की तपोभूमि कहे जाने वाले चित्रकूट रामघाट की महिमा अतुलनीय है.
  • पौराणिक ग्रंथों में वर्णन है कि राम घाट पर पर प्रभु राम नित स्नान करते थे.
  • मां मंदाकिनी नदी के तट पर बने रामघाट पर अनेक धार्मिक रहस्य छिपे हुए हैं और इसी रामघाट में हिंदुओं के धार्मिक स्थान हैं.
  • रामघाट का दर्शन करने देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं.
  • रामघाट पर ब्रह्मा जी की यज्ञ वेदी स्थित है, जहां स्वयं ब्रह्मा जी ने श्राप समाप्त करने के लिए 360 यज्ञ करवाए थे, जिससे यह रामघाट और भी पावन हो जाता है
  • रामघाट में ही स्थित है तुलसी स्मारक स्थित है, जहां तुलसीदास जी ने अपने आराध्य श्री राम के दर्शन पाने के लिए तपस्या की थी.
  • भगवान श्री राम ने तुलसीदास जी को साक्षात दर्शन दिए थे. इसी संबंध में एक दोहा भी प्रचलित है.

'चित्रकूट के घाट में भई संतन की भीर । तुलसीदास चंदन घिसे तिलक देत रघुवीर । ।

  • रामघाट पर तुलसी स्मारक बनवाया गया है ताकि बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को इसके इतिहास के बारे में जानकारी हो सके.
  • वहीं ईटीवी भारत से बात करते हुए श्रद्धालु ने बताया कि यह हिंदुओं का बहुत ही प्राचीन तीर्थ स्थल है और यहां कि बहुत मान्यता है.

वास्तव में में रामघाट चित्रकूट का ह्रदय स्थल है. क्योंकि सबसे पहले भगवान श्री राम का आगमन राम घाट पर हुआ. तभी से इसका घाट का नाम राम घाट पड़ गया. अभी लगभग 500 वर्ष पूर्व संत तुलसीदास ने श्री राम के दर्शन के लिए बाहर वर्ष काशी, वृंदावन, अयोध्या में घूमते रहे लेकिन काशी में हनुमान जी ने तुलसीदास जी को प्रेरणा दी कि ये कलयुग चल रहा है और दैवीय शक्तियों का लोप हो चुका है. केवल एक ही ऐसा स्थल है, जहां आपको श्री राम के दर्शन हो सकते हैं, वह स्थान है चित्रकूट. जिसके बाद तुलसीदास जी यहां आए और उन्हें श्री राम जी के दर्शन प्राप्त हुए.
दिव्य जीवनदास, महंत, भरत मंदिर

चित्रकूट: जिले में हिंदुओं का बहुत ही प्राचीन धार्मिक तीर्थस्थल है, जहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक दर्शन के लिये आते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान 11 वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे. यह तीर्थ स्थल मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है. वहीं तीर्थस्थल की दूसरी मान्यता यह भी है कि यहां स्वयं ब्रह्मा जी ने श्राप से बचने के लिए 360 यज्ञ करवाए थे.

चित्रकूट धाम: जहां तुलसीदास को भगवान श्री राम ने दिए थे दर्शन.

आइये जानते है चित्रकूट धार्मिक स्थल की महिमा के बारे में-

  • मर्यादा पुरुषोत्तम राम की तपोभूमि कहे जाने वाले चित्रकूट रामघाट की महिमा अतुलनीय है.
  • पौराणिक ग्रंथों में वर्णन है कि राम घाट पर पर प्रभु राम नित स्नान करते थे.
  • मां मंदाकिनी नदी के तट पर बने रामघाट पर अनेक धार्मिक रहस्य छिपे हुए हैं और इसी रामघाट में हिंदुओं के धार्मिक स्थान हैं.
  • रामघाट का दर्शन करने देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं.
  • रामघाट पर ब्रह्मा जी की यज्ञ वेदी स्थित है, जहां स्वयं ब्रह्मा जी ने श्राप समाप्त करने के लिए 360 यज्ञ करवाए थे, जिससे यह रामघाट और भी पावन हो जाता है
  • रामघाट में ही स्थित है तुलसी स्मारक स्थित है, जहां तुलसीदास जी ने अपने आराध्य श्री राम के दर्शन पाने के लिए तपस्या की थी.
  • भगवान श्री राम ने तुलसीदास जी को साक्षात दर्शन दिए थे. इसी संबंध में एक दोहा भी प्रचलित है.

'चित्रकूट के घाट में भई संतन की भीर । तुलसीदास चंदन घिसे तिलक देत रघुवीर । ।

  • रामघाट पर तुलसी स्मारक बनवाया गया है ताकि बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को इसके इतिहास के बारे में जानकारी हो सके.
  • वहीं ईटीवी भारत से बात करते हुए श्रद्धालु ने बताया कि यह हिंदुओं का बहुत ही प्राचीन तीर्थ स्थल है और यहां कि बहुत मान्यता है.

वास्तव में में रामघाट चित्रकूट का ह्रदय स्थल है. क्योंकि सबसे पहले भगवान श्री राम का आगमन राम घाट पर हुआ. तभी से इसका घाट का नाम राम घाट पड़ गया. अभी लगभग 500 वर्ष पूर्व संत तुलसीदास ने श्री राम के दर्शन के लिए बाहर वर्ष काशी, वृंदावन, अयोध्या में घूमते रहे लेकिन काशी में हनुमान जी ने तुलसीदास जी को प्रेरणा दी कि ये कलयुग चल रहा है और दैवीय शक्तियों का लोप हो चुका है. केवल एक ही ऐसा स्थल है, जहां आपको श्री राम के दर्शन हो सकते हैं, वह स्थान है चित्रकूट. जिसके बाद तुलसीदास जी यहां आए और उन्हें श्री राम जी के दर्शन प्राप्त हुए.
दिव्य जीवनदास, महंत, भरत मंदिर

Intro:चित्रकूट आर्थिक संसाधनों से सुसज्जित आस्था किया भूमि सभी धार्मिक नगरों में से यूं ही नहीं कहलाती है चित्रकूट में मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने कलयुग में तुलसीदास को दर्शन दिए यहां पर स्वयं ब्रह्मा जी ने श्राप से बचने के लिए 360 यज्ञ वेदी बनाकर यज्ञ किए और अपने तपोबल से सती अनुसूया ने मंदा नदी को प्रकट किया था त्रिदेव ब्रह्मा विष्णु महेश को इसी रूप में गोद में खिलाया कलयुग के जागृत देवता के रूप में जाने जाने वाली राम के परम भक्त संकट मोचन हनुमान ने लंका दहन के बाद अपनी शरीर की जा रही शांत की थी इतना ही नहीं मानता के अनुसार प्रभु राम के वनवास काल में सारे तीर्थ चित्रकूट आ गए थे


Body: चित्रकूट के कण कण में भगवान श्री राम बसते हैं चित्रकूट की रज (धूल) पाने के लिए देवता भी तरसते हैं क्योंकि भगवान श्री राम यहां पर पैदल चले हैं चित्रकूट की पहचान है श्री राम चित्रकूट की आत्मा भक्ति की मिठास खोलते हैं यहां के मठ मंदिर और साधु सन्यासी प्राकृतिक ,सुरमई संगीत से होती है सुबह की शुरुआत और संध्या स्वागत होता है घंटे घड़िया मजीरा जैसे यंत्रो से तो विभिन्न धार्मिक मंत्र के उच्चारण से चारों दिशाओं में जंगल पहाड़ छोटे झरने को गुफाये गूंज उठती है। चित्रकूट की प्राचीन का ही नहीं अपितु आदिकालीन अस्तित्व की प्रमाणिकता स्पष्ट करती है इस पावन धरा पर तन मन में एक अलग सी प्राकृतिक ऊर्जा का एहसास करती है है मन को एकाग्र करने वाली शांति मिलती है इस पवित्र भूमि में आकर। बुंदेलखंड की धर्म के लिए ऐतिहासिक चित्रकूट में पवित्र मंदाकिनी नदी की धारा बहती है यह नदी चित्रकूट में धनुष के आकार की हो जाती यहां पर श्रद्धालु के दर्शनीय स्थलों में शुमार है रामघाट , कामदगिरि पर्वत, जानकीकुंड , स्फटिक शिला, सती अनसूया आश्रम ,गुप्त गोदावरी हनुमान धारा ,लक्ष्मण झूला आदि तमाम धार्मिक स्थल हैं जिसके दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं के पाप क्षम हो जाते हैं और कामदगिरि पर्वत के की 5 कोसी परिक्रमा करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है ऐसा है यह धार्मिक स्थल चित्रकूट जहां पर एक नहीं कई महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है इसी लिए इसे तीर्थों में बड़ा तीर्थ माना जाता है चित्रकूट में श्रद्धालु बुंदेलखंड से ही नहीं वरन देश विदेश से यहां पर आते हैं और राम की आस्था में डुबकी लगा कर अपने को धन्य मानते हैं। चित्रकुट में शिव जी ने ही तप नही किया वरण मार्कण्डेय ऋषि और चित्र ऋषि ने भी यह तप किया अनसूया ने तो अपने तप के दम पर मंदाकनी नदी को धरती पर उतारा । वही अमावस्या को चित्रकूट का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि इसी अमावस की रात में मर्यादा पुरषोत्तम भगवान रामचंद्र जी ने दुष्टों का संहार करके सत्य से विजय प्राप्त की थी और दुष्टों का विनाश किया था
बाइट-उमेश पयासी(श्रद्धालु)
बाइट -दिव्य जीवन दास


Conclusion:
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