चित्रकूट: जिले में हिंदुओं का बहुत ही प्राचीन धार्मिक तीर्थस्थल है, जहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु और पर्यटक दर्शन के लिये आते हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीराम ने अपने वनवास के दौरान 11 वर्ष चित्रकूट में ही बिताए थे. यह तीर्थ स्थल मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है. वहीं तीर्थस्थल की दूसरी मान्यता यह भी है कि यहां स्वयं ब्रह्मा जी ने श्राप से बचने के लिए 360 यज्ञ करवाए थे.
आइये जानते है चित्रकूट धार्मिक स्थल की महिमा के बारे में-
- मर्यादा पुरुषोत्तम राम की तपोभूमि कहे जाने वाले चित्रकूट रामघाट की महिमा अतुलनीय है.
- पौराणिक ग्रंथों में वर्णन है कि राम घाट पर पर प्रभु राम नित स्नान करते थे.
- मां मंदाकिनी नदी के तट पर बने रामघाट पर अनेक धार्मिक रहस्य छिपे हुए हैं और इसी रामघाट में हिंदुओं के धार्मिक स्थान हैं.
- रामघाट का दर्शन करने देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं.
- रामघाट पर ब्रह्मा जी की यज्ञ वेदी स्थित है, जहां स्वयं ब्रह्मा जी ने श्राप समाप्त करने के लिए 360 यज्ञ करवाए थे, जिससे यह रामघाट और भी पावन हो जाता है
- रामघाट में ही स्थित है तुलसी स्मारक स्थित है, जहां तुलसीदास जी ने अपने आराध्य श्री राम के दर्शन पाने के लिए तपस्या की थी.
- भगवान श्री राम ने तुलसीदास जी को साक्षात दर्शन दिए थे. इसी संबंध में एक दोहा भी प्रचलित है.
'चित्रकूट के घाट में भई संतन की भीर । तुलसीदास चंदन घिसे तिलक देत रघुवीर । ।
- रामघाट पर तुलसी स्मारक बनवाया गया है ताकि बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को इसके इतिहास के बारे में जानकारी हो सके.
- वहीं ईटीवी भारत से बात करते हुए श्रद्धालु ने बताया कि यह हिंदुओं का बहुत ही प्राचीन तीर्थ स्थल है और यहां कि बहुत मान्यता है.
वास्तव में में रामघाट चित्रकूट का ह्रदय स्थल है. क्योंकि सबसे पहले भगवान श्री राम का आगमन राम घाट पर हुआ. तभी से इसका घाट का नाम राम घाट पड़ गया. अभी लगभग 500 वर्ष पूर्व संत तुलसीदास ने श्री राम के दर्शन के लिए बाहर वर्ष काशी, वृंदावन, अयोध्या में घूमते रहे लेकिन काशी में हनुमान जी ने तुलसीदास जी को प्रेरणा दी कि ये कलयुग चल रहा है और दैवीय शक्तियों का लोप हो चुका है. केवल एक ही ऐसा स्थल है, जहां आपको श्री राम के दर्शन हो सकते हैं, वह स्थान है चित्रकूट. जिसके बाद तुलसीदास जी यहां आए और उन्हें श्री राम जी के दर्शन प्राप्त हुए.
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