चित्रकूट: क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें विभिन्न राज्य के वेद शिक्षा से संबंधित वेदाचार्यों ने वेदों के भाषा और वेद संवर्धन के संबंध में अपने-अपने विचार व्यक्त किए. गांव एचवारा में आयोजित इस कार्यक्रम में वेदों के वेदाचार्यों सहित प्रदेश के प्रमुख सचिव ग्राम विकास, जिलाधिकारी और ग्राम विकास से संबंधित सभी अधिकारी मौजूद रहे.
वैदिक सम्मेलन का उद्देश्य वेद मंत्रों के उच्चारण, भाष के अर्थ को समझना और वैदिक शिक्षा को आधुनिक शिक्षा से जोड़ना था. महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के वेद आचार्य प्रणव कुमार पांडा ने बताया कि भारत में वेद के बहुत महत्व हैं. वेद में बहुत ही गुणकारी रहस्य छिपे हुए हैं. इनका शोध पश्चिम के लोगों ने किया और वह उसका लाभ उठा रहे हैं. ऋषि-मुनियों द्वारा रचित ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद की शाखाएं विलुप्त होने के कगार पर हैं.
हमारे प्रतिष्ठान में तीन शाखाओं में शिक्षा दी जा रही है, जिसमें पहला शुक्ल यजुर्वेद माध्यमिनी शाखा, दूसरा अथर्ववेद सोनक शाखा, तीसरा अथर्ववेद प्रीपलक शाखा है. आम वेदाचार्यो द्वारा मंत्रों का उच्चारण तो सहर्ष कर लिया जाता है, लेकिन उसके भाव, भाष और अर्थ को नहीं समझा जाता, जो कि महत्वपूर्ण है. मंत्रों के उच्चारण का क्या अर्थ निकलता है, उसका ज्ञान भी मंत्र बोलने या पढ़ने वाले वालों को आना चाहिए. इन्हीं सब चीजों की शिक्षा हमारे प्रतिष्ठान में दी जाती है.
प्रतिष्ठान में वेद के भाष और अर्थ का दिया जाता है ज्ञान
एचवारा के वेद विद्या प्रतिष्ठान के संरक्षक ओम बाबा ने कहा कि इस प्रतिष्ठान को शिक्षा ही नहीं बल्कि शोध संस्थान के रूप में विकसित किया गया. संस्थान में वेदों के उच्चारण से लेकर वेद के भाष और अर्थ को वेद पढ़ने वाले और बोलने वाले को समझ में आए की इस मंत्र का अर्थ क्या है, इस पर ध्यान दिया गया.
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वेद शिक्षा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए इसका आधुनिकीकरण भी किया गया है. राष्ट्रीय सचिव वेद विद्या प्रतिष्ठान ने एनसीईआरटी में छठवीं कक्षा से दसवीं कक्षा तक में वेद शिक्षा लागू करने की घोषणा की है.