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चित्रकूट में क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन का हुआ आयोजन - महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान

यूपी के चित्रकूट के गांव एचवारा में क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें वेदाचार्यों ने वेदों की भाष और वेद संवर्धन के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए. सम्मेलन का उद्देश्य वेद मंत्रों के उच्चारण, भाष के अर्थ को समझना और वैदिक शिक्षा को आधुनिक शिक्षा से जोड़ना रहा.

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क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन का आयोजन.
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Published : Nov 29, 2019, 3:02 PM IST

चित्रकूट: क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें विभिन्न राज्य के वेद शिक्षा से संबंधित वेदाचार्यों ने वेदों के भाषा और वेद संवर्धन के संबंध में अपने-अपने विचार व्यक्त किए. गांव एचवारा में आयोजित इस कार्यक्रम में वेदों के वेदाचार्यों सहित प्रदेश के प्रमुख सचिव ग्राम विकास, जिलाधिकारी और ग्राम विकास से संबंधित सभी अधिकारी मौजूद रहे.

क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन का आयोजन.
वैदिक सम्मेलन का आयोजन

वैदिक सम्मेलन का उद्देश्य वेद मंत्रों के उच्चारण, भाष के अर्थ को समझना और वैदिक शिक्षा को आधुनिक शिक्षा से जोड़ना था. महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के वेद आचार्य प्रणव कुमार पांडा ने बताया कि भारत में वेद के बहुत महत्व हैं. वेद में बहुत ही गुणकारी रहस्य छिपे हुए हैं. इनका शोध पश्चिम के लोगों ने किया और वह उसका लाभ उठा रहे हैं. ऋषि-मुनियों द्वारा रचित ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद की शाखाएं विलुप्त होने के कगार पर हैं.


हमारे प्रतिष्ठान में तीन शाखाओं में शिक्षा दी जा रही है, जिसमें पहला शुक्ल यजुर्वेद माध्यमिनी शाखा, दूसरा अथर्ववेद सोनक शाखा, तीसरा अथर्ववेद प्रीपलक शाखा है. आम वेदाचार्यो द्वारा मंत्रों का उच्चारण तो सहर्ष कर लिया जाता है, लेकिन उसके भाव, भाष और अर्थ को नहीं समझा जाता, जो कि महत्वपूर्ण है. मंत्रों के उच्चारण का क्या अर्थ निकलता है, उसका ज्ञान भी मंत्र बोलने या पढ़ने वाले वालों को आना चाहिए. इन्हीं सब चीजों की शिक्षा हमारे प्रतिष्ठान में दी जाती है.


प्रतिष्ठान में वेद के भाष और अर्थ का दिया जाता है ज्ञान
एचवारा के वेद विद्या प्रतिष्ठान के संरक्षक ओम बाबा ने कहा कि इस प्रतिष्ठान को शिक्षा ही नहीं बल्कि शोध संस्थान के रूप में विकसित किया गया. संस्थान में वेदों के उच्चारण से लेकर वेद के भाष और अर्थ को वेद पढ़ने वाले और बोलने वाले को समझ में आए की इस मंत्र का अर्थ क्या है, इस पर ध्यान दिया गया.

इसे भी पढ़ें:- काशी में वैदिक धर्म महासम्मेलन का आयोजन, गुजरात समेत सिक्किम के गवर्नर हुए शामिल

वेद शिक्षा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए इसका आधुनिकीकरण भी किया गया है. राष्ट्रीय सचिव वेद विद्या प्रतिष्ठान ने एनसीईआरटी में छठवीं कक्षा से दसवीं कक्षा तक में वेद शिक्षा लागू करने की घोषणा की है.

चित्रकूट: क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें विभिन्न राज्य के वेद शिक्षा से संबंधित वेदाचार्यों ने वेदों के भाषा और वेद संवर्धन के संबंध में अपने-अपने विचार व्यक्त किए. गांव एचवारा में आयोजित इस कार्यक्रम में वेदों के वेदाचार्यों सहित प्रदेश के प्रमुख सचिव ग्राम विकास, जिलाधिकारी और ग्राम विकास से संबंधित सभी अधिकारी मौजूद रहे.

क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन का आयोजन.
वैदिक सम्मेलन का आयोजन

वैदिक सम्मेलन का उद्देश्य वेद मंत्रों के उच्चारण, भाष के अर्थ को समझना और वैदिक शिक्षा को आधुनिक शिक्षा से जोड़ना था. महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के वेद आचार्य प्रणव कुमार पांडा ने बताया कि भारत में वेद के बहुत महत्व हैं. वेद में बहुत ही गुणकारी रहस्य छिपे हुए हैं. इनका शोध पश्चिम के लोगों ने किया और वह उसका लाभ उठा रहे हैं. ऋषि-मुनियों द्वारा रचित ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद की शाखाएं विलुप्त होने के कगार पर हैं.


हमारे प्रतिष्ठान में तीन शाखाओं में शिक्षा दी जा रही है, जिसमें पहला शुक्ल यजुर्वेद माध्यमिनी शाखा, दूसरा अथर्ववेद सोनक शाखा, तीसरा अथर्ववेद प्रीपलक शाखा है. आम वेदाचार्यो द्वारा मंत्रों का उच्चारण तो सहर्ष कर लिया जाता है, लेकिन उसके भाव, भाष और अर्थ को नहीं समझा जाता, जो कि महत्वपूर्ण है. मंत्रों के उच्चारण का क्या अर्थ निकलता है, उसका ज्ञान भी मंत्र बोलने या पढ़ने वाले वालों को आना चाहिए. इन्हीं सब चीजों की शिक्षा हमारे प्रतिष्ठान में दी जाती है.


प्रतिष्ठान में वेद के भाष और अर्थ का दिया जाता है ज्ञान
एचवारा के वेद विद्या प्रतिष्ठान के संरक्षक ओम बाबा ने कहा कि इस प्रतिष्ठान को शिक्षा ही नहीं बल्कि शोध संस्थान के रूप में विकसित किया गया. संस्थान में वेदों के उच्चारण से लेकर वेद के भाष और अर्थ को वेद पढ़ने वाले और बोलने वाले को समझ में आए की इस मंत्र का अर्थ क्या है, इस पर ध्यान दिया गया.

इसे भी पढ़ें:- काशी में वैदिक धर्म महासम्मेलन का आयोजन, गुजरात समेत सिक्किम के गवर्नर हुए शामिल

वेद शिक्षा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए इसका आधुनिकीकरण भी किया गया है. राष्ट्रीय सचिव वेद विद्या प्रतिष्ठान ने एनसीईआरटी में छठवीं कक्षा से दसवीं कक्षा तक में वेद शिक्षा लागू करने की घोषणा की है.

Intro:जिला चित्रकूट में क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न राज्य के वेद शिक्षा से संबंधित वेदाचार्यो ने वेदों के भाष व वेद संवर्धन के संबंध में अपने अपने विचार व्यक्त किए ।चित्रकूट के गांव एचवारा में आयोजित इस कार्यक्रम में जहां वेदों के वेदाचार्य उपस्थित रहे। वहीं उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव ग्राम विकास ,जिला अधिकारी व ग्राम विकास से संबंधित सभी अधिकारी मौजूद रहे ।वैदिक सम्मेलन का उद्देश्य वेद मंत्रों के उच्चारण भाष के अर्थ को समझना और वैदिक शिक्षा को आधुनिक शिक्षा से जोड़ना था।


Body:एचवारा के महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद शिक्षा प्रतिष्ठान के वेद आचार्य प्रणव कुमार पांडा ने बताया कि भारत के वेद इतने महत्वपूर्ण हैं कि उनके अंदर बहुत ही गुणकारी रहस्य छिपे हुए हैं। जिनका शोध पश्चिम के लोगों ने किया और वह उसका लाभ उठा रहे हैं। हमारे भारतीय ऋषि-मुनियों द्वारा रचित वेद -ऋग्वेद ,सामवेद , यजुर्वेद , अथर्ववेद, कई वेद ऐसे हैं जिसकी शाखाए विलुप्त के कगार पर हैं।विलुप्त हो रही वेद शाखाओ की 11 से12 शाखा है। जो आज भी जीवित है। हमारे प्रतिष्ठान में तीन शाखाओं में शिक्षा दी जा रही है ।जिसमें पहला शुक्ल यजुर्वेद माध्यमिनी शाखा, दूसरा अथर्ववेद सोनक शाखा तीसरा अथर्ववेद प्रीपलक शाखा है । आम वेदाचार्यो द्वारा मंत्रों का उच्चारण तो सहर्ष कर लिया जाता है। पर उसके भाव व भाष और अर्थ को नहीं समझा जाता जो कि इतना महत्वपूर्ण है की मंत्रों के उच्चारण का क्या अर्थ निकलता है उसका ज्ञान भी मंत्र बोलने या पढ़ने वाले वालों को आना चाहिए। इन्हीं सब चीजों की शिक्षा हमारे प्रतिष्ठान में दी जाती हैं।

एचवारा के वेद विद्या प्रतिष्ठान के संरक्षक ॐ बाबा ने कहा कि-भारत सरकार के उपक्रम से चल रहे संस्थान महर्षि संदीपनी वेद विद्या प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित किया गया है।
और चित्रकूट के गांव एचवारा खुलने के बाद मेरे द्वारा गौर किया गया कि प्रतिष्ठान में वेद मंत्रों को कंठस्थ करवाया जाता रहा है ।पर इसका भाव भाषा वार्थ पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था ।जिसके लिए मैंने गहराई से चिंतन किया और इस प्रतिष्ठान को शिक्षा ही नहीं बल्कि शोध संस्थान के रूप में विकसित किया ।जिसमें वेदों के उच्चारण से लेकर वेद के भाष व अर्थ को वेद पढ़ने वाले व बोलने वाले को समझ में आए की इस वेद मंत्र का आखिर क्या अर्थ है।
राष्ट्रीय सचिव वेद विद्या प्रतिष्ठान ने उन्होंने वेद शिक्षा पर काफी ध्यान दिया है ।वेद शिक्षा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए आधुनिकीकरण भी किया गया है ।जिसमें उन्होंने आधुनिक शिक्षा पद्धति पर ध्यान देते हुए एन सी आर टी की शिक्षा पद्धति में छठवीं कक्षा से दसवीं कक्षा तक इस बार एनसीआरटी में भी लागू किये जाने की घोषणा की है। वहीं कंप्यूटर क्षेत्र में पिछले 2 सालों से मैं प्रयासरत था। और राष्ट्रीय सचिव वेद विद्या प्रतिष्ठान ने मेरी बात को मानते हुए अगले सत्र से कंप्यूटर शिक्षा को भी वेद विद्या में शामिल कर लिया गया है।
बाइट-प्रणव कुमार पंडा(वेदाचार्य)
बाइट-ओम बाबा(संरक्षक एचवारा वेद विद्या प्रतिष्ठान)


Conclusion:
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