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गौवंशों का नहीं मिल रहा चारा, ये है परेशानी - कोटा कडिला गौशाला

चित्रकूट के ग्राम पंचायत कोटा कडिला गौशाला में गौवंशों को 4 से 5 भूसा नहीं मिल रहा है. चौकीदार का कहना है कि अगर भूसा चारे की बात की जाए तो वह पिछले 3 से 4 महीने से इन पशुओं को नहीं दिया गया है.

गौवंशों का नहीं मिल रहा चारा
गौवंशों का नहीं मिल रहा चारा
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Published : Jan 31, 2021, 1:19 PM IST

Updated : Jan 31, 2021, 2:05 PM IST

चित्रकूट: जनपद के ग्राम पंचायत कोटा काडिला में गौवंशो के संरक्षण व संवर्धन के लिए ग्राम पंचायत से संचालित पशु आश्रय केंद्र में पिछले 4 से 5 दिनों से गौवंश के भरण-पोषण में समस्या आ रही है. वहीं, अधिकारियों का कहना है कि भरण-पोषण के लिए सभी व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई है.

गौवंशों का नहीं मिल रहा चारा.

उत्तर प्रदेश सरकार ने गौ संरक्षण व संवर्धन के लिए करोड़ों रुपये ग्राम पंचायत के खर्च किए हैं. जिसमें प्रत्येक ग्राम पंचायतों में गौशाला निर्माण की गई और गोवंश के रहने व खान-पान की पूर्ण व्यवस्था के आदेश दिए गए थे. इसमे संबंधित विभाग पशु चिकित्सा विभाग भी सम्मिलित था ताकि पशुओं की स्वास्थ्य व खानपान की व्यवस्था पूर्ण हो सके. ऐसे में जनपद चित्रकूट में भी 5 विकासखंड के संबंधित ग्राम पंचायतों में पशु आश्रय केंद्र बनवाए गए. जिनकी लागत परिस्थिति अनुसार 3 लाख से 4 लाख थी.

25 दिसंबर 2020 में ग्राम पंचायत के प्रधानों का कार्यकाल खत्म होने के बाद से पशु आश्रय केंद्र में उनकी खानपान की व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं हो पा रही है. ऐसा ही मामला मानिकपुर विकासखंड के मध्य प्रदेश सीमा से सटे ग्राम पंचायत कोटा कडिला का है. क्योंकि दूर की ग्राम पंचायत होने के चलते ज्यादातर अधिकारी यहां जाने से बचते हैं ऐसे में मौके में मिले सफाई कर्मी दीपक ने बताया कि इस गौशाला में तीन चरवाहे एक चौकीदार कार्यरत हैं जिनमें एक व्यक्ति कभी भी गौशाला पशुओं को देखने नहीं आता था. अब परिस्थिति ये है कि इन चारों कमर्चारियों के नियमित वेतन न मिलने के चलते उन्होंने भी पिछले 1 सप्ताह से गोवंश को जंगल में ले जाकर चराने का कार्य छोड़ दिया है और गौशाला में भूसा व चारे की कोई व्यवस्था ही नहीं है.

चौकीदार का कहना है कि अगर भूसा चारे की बात की जाए तो वह पिछले 3 से 4 महीने से इन पशुओं को नहीं दिया गया है. क्योंकि पहले चरवाहे गौवंश को लेकर जंगल जाते थे. जिससे इनका भरण पोषण हो जाता था और भूसे की आवश्यकता होती थी पर आज की स्थिति यह है कि कर्मचारियों के काम छोड़ देने के बाद गौवंश इस गौशाला में भूखे हैं. सिर्फ इन्हें सामने भरे पोखर से पानी पिला कर वापस बाड़े में बंद कर दिया जाता है.

चरवाहे ने बताया कि क्योंकि इस समय ग्रामीणों की फसलें खड़ी हुई हैं और यह गौवंश उनके खेत चट कर सकते हैं. जिसके इन्हें बाहर निकलते ही ही ग्रामीणों द्वारा इन पशुओ को बाड़े में बंद कर दिया जाता है.

खंड विकास अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि प्रधानों के कार्यकाल खत्म होने पर सभी विकास खण्ड में प्रशासक प्रशासक नियुक्त हैं, जिसके देखरेख में ग्रामविकास अधिकारी प्रत्येक ग्रामपंचायतों में कार्य कर रहे हैं. प्रधानों का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद गौशाला संचालन पूर्वत है. ग्राम पंचायत स्तर से बाड़े में तार फेन्सिंग, पीने के लिए चरही, भूसा के लिए चरही, बढ़ती ठंड को देखे हुए टीन शेड की व्यवस्था और भूसा रखने के लिए भूसा बैंक बनवाए गए हैं ताकि गौवंश के संरक्षण व संवर्धन के लिए किसी भी तरह दिक्कतें न आ सके.

इसे भी पढे़ं- बांदा: जहरीला चारा खाने से हुई थी 15 पशुओं की मौत

चित्रकूट: जनपद के ग्राम पंचायत कोटा काडिला में गौवंशो के संरक्षण व संवर्धन के लिए ग्राम पंचायत से संचालित पशु आश्रय केंद्र में पिछले 4 से 5 दिनों से गौवंश के भरण-पोषण में समस्या आ रही है. वहीं, अधिकारियों का कहना है कि भरण-पोषण के लिए सभी व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई है.

गौवंशों का नहीं मिल रहा चारा.

उत्तर प्रदेश सरकार ने गौ संरक्षण व संवर्धन के लिए करोड़ों रुपये ग्राम पंचायत के खर्च किए हैं. जिसमें प्रत्येक ग्राम पंचायतों में गौशाला निर्माण की गई और गोवंश के रहने व खान-पान की पूर्ण व्यवस्था के आदेश दिए गए थे. इसमे संबंधित विभाग पशु चिकित्सा विभाग भी सम्मिलित था ताकि पशुओं की स्वास्थ्य व खानपान की व्यवस्था पूर्ण हो सके. ऐसे में जनपद चित्रकूट में भी 5 विकासखंड के संबंधित ग्राम पंचायतों में पशु आश्रय केंद्र बनवाए गए. जिनकी लागत परिस्थिति अनुसार 3 लाख से 4 लाख थी.

25 दिसंबर 2020 में ग्राम पंचायत के प्रधानों का कार्यकाल खत्म होने के बाद से पशु आश्रय केंद्र में उनकी खानपान की व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं हो पा रही है. ऐसा ही मामला मानिकपुर विकासखंड के मध्य प्रदेश सीमा से सटे ग्राम पंचायत कोटा कडिला का है. क्योंकि दूर की ग्राम पंचायत होने के चलते ज्यादातर अधिकारी यहां जाने से बचते हैं ऐसे में मौके में मिले सफाई कर्मी दीपक ने बताया कि इस गौशाला में तीन चरवाहे एक चौकीदार कार्यरत हैं जिनमें एक व्यक्ति कभी भी गौशाला पशुओं को देखने नहीं आता था. अब परिस्थिति ये है कि इन चारों कमर्चारियों के नियमित वेतन न मिलने के चलते उन्होंने भी पिछले 1 सप्ताह से गोवंश को जंगल में ले जाकर चराने का कार्य छोड़ दिया है और गौशाला में भूसा व चारे की कोई व्यवस्था ही नहीं है.

चौकीदार का कहना है कि अगर भूसा चारे की बात की जाए तो वह पिछले 3 से 4 महीने से इन पशुओं को नहीं दिया गया है. क्योंकि पहले चरवाहे गौवंश को लेकर जंगल जाते थे. जिससे इनका भरण पोषण हो जाता था और भूसे की आवश्यकता होती थी पर आज की स्थिति यह है कि कर्मचारियों के काम छोड़ देने के बाद गौवंश इस गौशाला में भूखे हैं. सिर्फ इन्हें सामने भरे पोखर से पानी पिला कर वापस बाड़े में बंद कर दिया जाता है.

चरवाहे ने बताया कि क्योंकि इस समय ग्रामीणों की फसलें खड़ी हुई हैं और यह गौवंश उनके खेत चट कर सकते हैं. जिसके इन्हें बाहर निकलते ही ही ग्रामीणों द्वारा इन पशुओ को बाड़े में बंद कर दिया जाता है.

खंड विकास अधिकारी सुनील कुमार सिंह ने बताया कि प्रधानों के कार्यकाल खत्म होने पर सभी विकास खण्ड में प्रशासक प्रशासक नियुक्त हैं, जिसके देखरेख में ग्रामविकास अधिकारी प्रत्येक ग्रामपंचायतों में कार्य कर रहे हैं. प्रधानों का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद गौशाला संचालन पूर्वत है. ग्राम पंचायत स्तर से बाड़े में तार फेन्सिंग, पीने के लिए चरही, भूसा के लिए चरही, बढ़ती ठंड को देखे हुए टीन शेड की व्यवस्था और भूसा रखने के लिए भूसा बैंक बनवाए गए हैं ताकि गौवंश के संरक्षण व संवर्धन के लिए किसी भी तरह दिक्कतें न आ सके.

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Last Updated : Jan 31, 2021, 2:05 PM IST
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