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चित्रकूटः व्यापारी ने की लाखों की स्टाम्प चोरी - chitrakoot today news

चित्रकूट के मानिकपुर के कस्बे में व्यापारी द्वारा व्यवसायिक भूमि को आवासीय भूमि और उसमें हुए निर्माण को न दिखाकर लाखों रुपए के स्टांप की चोरी कर ली गई है. मामला उजागर होने के बाद संबंधित अधिकारियों ने कार्यवाही की बात कही है.

लाखों की स्टाम्प शुल्क की चोरी
लाखों की स्टाम्प शुल्क की चोरी
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Published : Feb 5, 2020, 10:29 AM IST

Updated : Feb 5, 2020, 3:03 PM IST

चित्रकूटः जिले के मानिकपुर में एक व्यापारी ने जर्जर अवस्था में पड़ी पूर्व सांसद के भाई महेंद्र त्रिपाठी की हवेली को आवासीय भूमि बताकर रजिस्ट्री करवा ली. संपत्ति की कीमत मात्र 57 लाख रुपये दर्शाया गया है. जबकि इसके पूर्व हवेली की मालियत लगभग एक करोड़ रुपये की थी.

लाखों की स्टाम्प शुल्क की चोरी.

शिवनगर वार्ड के गाटा संख्या 488 की 206 हेक्टेयर में बनी महेंद्र त्रिपाठी की हवेली को आवासीय प्लाट बताकर रजिस्ट्री करवा ली गई. आरोप है कि इसमें कम स्टांप लगाकर लाखों रुपये के राजस्व की चोरी की गई है. इस हवेली की रजिस्ट्री में न ही व्यवसायिक गतिविधियां दर्शायी गईं और न ही इनमें लगे पेड़, मंदिर, बाउंड्री और न ही मुख्य सड़क दिखाई गई है. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि रातों-रात मशीनों से इमारत ढहा दी गई.

बता दें मानिकपुर कस्बे के रहने वाले रसोई गैस के एजेंसी मालिक संजय अग्रवाल ने हवेली को आवासीय भूमि बताकर रजिस्ट्री करवाई है. इसमें मात्र 4 लाख 3 हजार रुपये के स्टांप पेपर लगाए गए हैं और इस संपत्ति की कीमत मात्र 57 लाख रुपये दिखाई गई है. जबकि हवेली की मालियत लगभग एक करोड़ रुपये थी. वहीं इनमें लगे पेड़ और व्यवसायिक भूमि के चलते इस पर कई गुना मालियत और बढ़ सकती थी.

अगर यह स्टांप पेपर सही मालीयत के लगते तो लाखों रुपये का राजस्व सरकार की झोली में जा सकता था. वही अब व्यवसाई द्वारा यह कहा जा रहा है कि हवेली टूट चुकी है. यह कोई साबित करने वाला नहीं है कि हवेली बिक्री के समय बनी हुई थी.

जबकि उसी हवेली में रहने वाली बिट्टल देवी का कहना है कि रजिस्ट्री होने के दूसरे दिन ही क्रेता द्वारा हवेली मशीनों से ढाहाई जाने लगी. मुझे भी पता नहीं था और नहीं पहले मुझे इस संबंध में कुछ अवगत कराया गया. मेरा दैनिक उपयोग का सामान भी उसके मलबे में दब गया. मेरे पास कुछ भी नहीं बचा. जब इसकी शिकायत मेरे भाई नें डायल 112 पर दी थी तो मौके पर पहुंची पुलिस से व्यापारी ने यह बता दिया कि यह हवेली उसने खरीद ली है.

मेरे द्वारा क्रय की गई जमीन में किसी तरह का राजस्व चोरी नहीं किया की गई है. पर मुझे पेड़ों के संबंध में यह बिलकुल भी पता नहीं था कि पेड़ को अलग से दर्शाना पड़ता है.
संजय अग्रवाल, व्यापारी

इस संबंध में विभाग की तरफ से जांच की जा रही है. रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी.
अभिलाष मिश्रा,उपनिबन्धक सदर

चित्रकूटः जिले के मानिकपुर में एक व्यापारी ने जर्जर अवस्था में पड़ी पूर्व सांसद के भाई महेंद्र त्रिपाठी की हवेली को आवासीय भूमि बताकर रजिस्ट्री करवा ली. संपत्ति की कीमत मात्र 57 लाख रुपये दर्शाया गया है. जबकि इसके पूर्व हवेली की मालियत लगभग एक करोड़ रुपये की थी.

लाखों की स्टाम्प शुल्क की चोरी.

शिवनगर वार्ड के गाटा संख्या 488 की 206 हेक्टेयर में बनी महेंद्र त्रिपाठी की हवेली को आवासीय प्लाट बताकर रजिस्ट्री करवा ली गई. आरोप है कि इसमें कम स्टांप लगाकर लाखों रुपये के राजस्व की चोरी की गई है. इस हवेली की रजिस्ट्री में न ही व्यवसायिक गतिविधियां दर्शायी गईं और न ही इनमें लगे पेड़, मंदिर, बाउंड्री और न ही मुख्य सड़क दिखाई गई है. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि रातों-रात मशीनों से इमारत ढहा दी गई.

बता दें मानिकपुर कस्बे के रहने वाले रसोई गैस के एजेंसी मालिक संजय अग्रवाल ने हवेली को आवासीय भूमि बताकर रजिस्ट्री करवाई है. इसमें मात्र 4 लाख 3 हजार रुपये के स्टांप पेपर लगाए गए हैं और इस संपत्ति की कीमत मात्र 57 लाख रुपये दिखाई गई है. जबकि हवेली की मालियत लगभग एक करोड़ रुपये थी. वहीं इनमें लगे पेड़ और व्यवसायिक भूमि के चलते इस पर कई गुना मालियत और बढ़ सकती थी.

अगर यह स्टांप पेपर सही मालीयत के लगते तो लाखों रुपये का राजस्व सरकार की झोली में जा सकता था. वही अब व्यवसाई द्वारा यह कहा जा रहा है कि हवेली टूट चुकी है. यह कोई साबित करने वाला नहीं है कि हवेली बिक्री के समय बनी हुई थी.

जबकि उसी हवेली में रहने वाली बिट्टल देवी का कहना है कि रजिस्ट्री होने के दूसरे दिन ही क्रेता द्वारा हवेली मशीनों से ढाहाई जाने लगी. मुझे भी पता नहीं था और नहीं पहले मुझे इस संबंध में कुछ अवगत कराया गया. मेरा दैनिक उपयोग का सामान भी उसके मलबे में दब गया. मेरे पास कुछ भी नहीं बचा. जब इसकी शिकायत मेरे भाई नें डायल 112 पर दी थी तो मौके पर पहुंची पुलिस से व्यापारी ने यह बता दिया कि यह हवेली उसने खरीद ली है.

मेरे द्वारा क्रय की गई जमीन में किसी तरह का राजस्व चोरी नहीं किया की गई है. पर मुझे पेड़ों के संबंध में यह बिलकुल भी पता नहीं था कि पेड़ को अलग से दर्शाना पड़ता है.
संजय अग्रवाल, व्यापारी

इस संबंध में विभाग की तरफ से जांच की जा रही है. रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी.
अभिलाष मिश्रा,उपनिबन्धक सदर

Intro: चित्रकूट मानिकपुर के कस्बा में व्यापारी द्वारा व्यवसायिक भूमि को आवासीय भूमि और उसमें हुए निर्माण को न दिखाकर लाखों रुपए के स्टांप की चोरी कर ली गई है ।मामला उजागर होने के बाद संबंधित अधिकारियों ने कार्यवाही की बात की है।


Body:चित्रकूट के कस्बे मानिकपुर में एक व्यापारी द्वारा जीर्ण शीर्ण अवस्था में पड़ी पूर्व सांसद के भाई महेंद्र त्रिपाठी की शिवनगर वार्ड के गाटा संख्या 488 की 206 हेयर में बनी हवेली को प्लाट बताकर रजिस्ट्री करवा ली गई है। जिसमें कम स्टांप लगाकर लाखों रुपए के राजस्व की चोरी की गई है। इस हवेली की रजिस्ट्री में ना ही व्यवसायिक गतिविधियां दर्शाई गई और ना ही इनमें लगे पेड़ ,मंदिर, बाउंड्री और ना ही मुख्य सड़क दर्शाई गई। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि रातों-रात मशीनों से इमारत ढहा दी गई ।वहीं बता दें मानिकपुर कस्बे के रहने वाले रसोई गैस के एजेंसी मालिक संजय अग्रवाल द्वारा रजिस्ट्री करवा ली गई। जिसमें मात्र चार लाख तीन हजार के स्टांप पेपर लगाए गए और इस संपत्ति की कीमत मात्र 57 लाख रुपया मालिया लगाई गई है। जबकि इसके पूर्व हवेली की मालीयत लगभग एक करोड़ रुपए की थी। जिसके चलते स्टांप पेपर की कीमत और भी बढ़ सकती थी। वहीं इनमें लगे पेड़ और व्यवसायिक भूमि के चलते इस पर कई गुना मलियत और बढ़ सकती थी । जिसके चलते क्रेता को और भी ज्यादा राजस्व के स्टांप पेपर लगाए जाने थे पर अधिकारियों की मिली सांठगांठ से व्यवसाई संजय अग्रवाल ने कम राजस्व के स्टांप पेपर लगाए। जिससे कहीं ना कहीं सरकार को रजिस्ट्री अधिकारी और क्रेता की मिली भगत से चूना लगाया गया है। अगर यही स्टांप पेपर सही मालीयत के लगते तो लाखों रुपए का राजस्व सरकार के झोली में जा सकता था। वही अब संजय व्यवसाई संजय द्वारा यह कहा जा रहा है कि चुकी हवेली टूट चुकी है। यह कोई साबित करने वाला नहीं है कि हवेली बिक्री के समय बनी हुई थी ।
उसी हवेली में रहने वाली बिट्टल देवी का कहना है कि रजिस्ट्री होने के दूसरे दिन ही क्रेता द्वारा हवेली मशीनों से ढाहाई जाने लगी मुझे भी पता नहीं था और नहीं पहले मुझे इस संबंध में कुछ अवगत कराया गया जबकि मेरा दैनिक उपयोग और घरेलू सामान भी उसमें उस इमारत के मलबे में दब गए मेरे पास कुछ भी नहीं बचा जिसकी शिकायत मेरे भाई द्वारा डायल 112 में दी गई थी और मौके पर पहुची पुलिस से व्यापारी द्वारा यह बता दिया गया कि यह हवेली मेरे द्वारा खरीद गई है।
वही व्यापारी संजय अग्रवाल का कहना है कि मेरे द्वारा क्रय की गई जमीन में कोई किसी तरह का राजस्व चोरी नहीं किया की गई है पर मुझे पेड़ों के संबंध में यह बिलकुल भी पता नहीं था कि पेड़ को अलग से दर्शाना पड़ता है। जबकि बता दें भू माफिया के नाम से पूरे कस्बे में विख्यात संजय अग्रवाल द्वारा कई ऐसी ही जमीने खरीद-फरोख्त पहले भी कर चुके है ।

रजिस्ट्री दफ्तर में तैनात अधिकारियों का मामले के खुलासा होने के बाद अब मीडिया के सामने कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं ।वही जब इस संबंध में बारीकी से बात की गई तब टालते हुए अधिकारी ने कहा कि यह सब जांच का विषय है रिपोर्ट आने के बाद सभी बातों का खुलासा किया जाएगा।

बाइट-बिट्ठल देवी(प्रत्यक्षदर्शी)

बाइट-संजय अग्रवाल(क्रेता व्यवसायी)

बाइट- अभिलाष मिश्रा (उपनिबन्धक सदर)


Conclusion:
Last Updated : Feb 5, 2020, 3:03 PM IST
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