चित्रकूटः जिले के मानिकपुर में एक व्यापारी ने जर्जर अवस्था में पड़ी पूर्व सांसद के भाई महेंद्र त्रिपाठी की हवेली को आवासीय भूमि बताकर रजिस्ट्री करवा ली. संपत्ति की कीमत मात्र 57 लाख रुपये दर्शाया गया है. जबकि इसके पूर्व हवेली की मालियत लगभग एक करोड़ रुपये की थी.
शिवनगर वार्ड के गाटा संख्या 488 की 206 हेक्टेयर में बनी महेंद्र त्रिपाठी की हवेली को आवासीय प्लाट बताकर रजिस्ट्री करवा ली गई. आरोप है कि इसमें कम स्टांप लगाकर लाखों रुपये के राजस्व की चोरी की गई है. इस हवेली की रजिस्ट्री में न ही व्यवसायिक गतिविधियां दर्शायी गईं और न ही इनमें लगे पेड़, मंदिर, बाउंड्री और न ही मुख्य सड़क दिखाई गई है. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि रातों-रात मशीनों से इमारत ढहा दी गई.
बता दें मानिकपुर कस्बे के रहने वाले रसोई गैस के एजेंसी मालिक संजय अग्रवाल ने हवेली को आवासीय भूमि बताकर रजिस्ट्री करवाई है. इसमें मात्र 4 लाख 3 हजार रुपये के स्टांप पेपर लगाए गए हैं और इस संपत्ति की कीमत मात्र 57 लाख रुपये दिखाई गई है. जबकि हवेली की मालियत लगभग एक करोड़ रुपये थी. वहीं इनमें लगे पेड़ और व्यवसायिक भूमि के चलते इस पर कई गुना मालियत और बढ़ सकती थी.
अगर यह स्टांप पेपर सही मालीयत के लगते तो लाखों रुपये का राजस्व सरकार की झोली में जा सकता था. वही अब व्यवसाई द्वारा यह कहा जा रहा है कि हवेली टूट चुकी है. यह कोई साबित करने वाला नहीं है कि हवेली बिक्री के समय बनी हुई थी.
जबकि उसी हवेली में रहने वाली बिट्टल देवी का कहना है कि रजिस्ट्री होने के दूसरे दिन ही क्रेता द्वारा हवेली मशीनों से ढाहाई जाने लगी. मुझे भी पता नहीं था और नहीं पहले मुझे इस संबंध में कुछ अवगत कराया गया. मेरा दैनिक उपयोग का सामान भी उसके मलबे में दब गया. मेरे पास कुछ भी नहीं बचा. जब इसकी शिकायत मेरे भाई नें डायल 112 पर दी थी तो मौके पर पहुंची पुलिस से व्यापारी ने यह बता दिया कि यह हवेली उसने खरीद ली है.
मेरे द्वारा क्रय की गई जमीन में किसी तरह का राजस्व चोरी नहीं किया की गई है. पर मुझे पेड़ों के संबंध में यह बिलकुल भी पता नहीं था कि पेड़ को अलग से दर्शाना पड़ता है.
संजय अग्रवाल, व्यापारी
इस संबंध में विभाग की तरफ से जांच की जा रही है. रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी.
अभिलाष मिश्रा,उपनिबन्धक सदर