चित्रकूटः जिले में स्वास्थ्य विभाग कितना सतर्क है और ग्राम पंचायत अपनी शासकीय संपत्ति का कितना ख्याल रख रही है, इसकी बानगी चित्रकूट के विकासखंड मानिकपुर के गांव गोपीपुर से साफ-साफ सामने आ जाती है. गोपीपुर गांव में डॉ. मौर्य नाम से आस-पास के गांव में पहचान बना चुके तथाकथित डॉक्टर पिछले 20 वर्षों से ग्रामीणों का लगातार इलाज सरकारी इमारत में करते आ रहे हैं.
20 साल से सरकारी भवन का प्रयोग
डॉक्टर मौर्य से जब इस संबंध में बात की गई तो, झोलाछाप डॉक्टर ने बताया कि 12वीं पास करने के बाद आरएमपी का डिप्लोमा लखनऊ से उसने लिया. इसके बाद वह सीधा गोपीपुर गांव में रहने लगा. प्रधान द्वारा उसे ग्राम पंचायत की बिल्डिंग में रहने की इजाजत दे दी गई. समय-समय पर ग्राम पंचायत से संबंधित अधिकारियों का आना जाना भी इस गांव में लगा रहा और कभी किसी ने एतराज नहीं किया. कुछ वर्षों बाद बिजली का भी कनेक्शन दे दिया गया जबकि बिजली भुगतान का खर्च भी ग्राम पंचायत द्वारा किया जा रहा है.
गांव में लग चुके हैं स्वास्थ्य कैंप
ऐसे में सवाल यह है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई बार इस गांव में कैंप लगाया गया, लेकिन आजतक स्वास्थ्य विभाग ने भी इस तथाकथित डॉक्टर पर कोई कार्रवाई नहीं की. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के बजट में बुंदेलखंड के गांव में जहां पंचायत भवन नहीं थे वहां पंचायत भवन बनावाने के आदेश के साथ बजट दिए गए. जिस ग्राम पंचायत में पंचायत भवन हैं उनकी मरम्मत के साथ उस पर फर्नीचर की भी व्यवस्था के लिए आदेश दिए गए थे. तब भी संबंधित अधिकारी की कान में जुं नहीं रेंगी.
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जिम्मेदार को नहीं है जानकारी
प्रतिवर्ष ग्राम पंचायत की ओर से इमारत की मरम्मत के साथ रंग रोगन किया जाता रहा है तो क्या जिम्मेदार अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर वास्तविक स्थिति की जानकारी आज तक नहीं की थी. वहीं जब इस मसले पर खण्ड विकास अधिकारी सुनील सिंह से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि उनको ऐसी कोई जानकारी नहीं है. अब जानकारी हुई है तो मामले की जांच कराएंगे.