चित्रकूट: जिले में बीएसएनएल की स्थिति अब दयनीय होती जा रही है. वहीं ऑफिस में मशीनें कबाड़ हो गई हैं और मशीनों में से तारों का जाल ही दिखाई देता है. ग्राहक कम हो जाने के बाद कर्मचारी ऑफिस आते नहीं बल्कि उनके खाली पड़े दफ्तरों में आवारा कुत्तों को आराम करते हुए जरूर देखा जा सकता है. ऐसे में डिजिटल इंडिया का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना आखिर कैसे पूरा होगा.
जानिए क्या है पूरा मामला-
- पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया का मुख्य घटक बीएसएनएल की स्थिती जनपद में दयनीय है.
- जिले में नेटवर्क लगातार गायब रहने से परेशान ग्राहकों ने बीएसएनएल से अपना नाता तोड़ लिया है.
- ग्राहकों ने दूसरी कंपनी में अपना नंबर पोर्ट करा लिया है.
- इससे बीएसएनएल की आर्थिक स्थिति और भी डामाडोल होती जा रही है.
वहीं ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उपभोक्ता जनमेजन द्विवेदी ने बताया कि जिले में बैठे बड़े अधिकारी हमारी समस्याओं का निपटारा नहीं कर पा रहे हैं. महीनों नेटवर्क गोल रहने के बावजूद भी हमें बीएसएनएल का बिल लगातार भरना पड़ रहा है, जिससे परेशान होकर हम लोग अब बीएसएनएल का कनेक्शन कटवा रहे हैं.
बीएसएनएल की आर्थिक स्थिति काफी दयनीय है. कई महीनों से कर्मचारियों का वेतन भी नहीं मिल पा रहा है. वहीं वेतन न होने से कर्मचारियों के मन में भय की स्थिति बनी हुई है. आर्थिक समस्या से जूझ रहे बीएसएनल के ऑफिस में सफाई और मरम्मत के टेंडर भी खारिज गए है, जिसकी वजह से यहां गंदगी और भी फैल रही है. बीएसएनएल के लगभग 10 प्रतिशत उपभोक्ता की गिरावट हुई है और बीएसएनएल छोड़कर दूसरे नेटवर्क को अपना रहे हैं.
-विनय सिंह, उपमण्डल अभियंता, बीएसएनएल
जनपद के थानों मे लगातार बीएसएनएल के नेटवर्क न मिलने से परेशान अधिकारियों ने बीएसएनल की जगह अब निजी कंपनियों को चुनकर सीयूजी नंबर बदलने का काम भी कर चालू कर दिया है. सभी थानों और चौकियों में बीएसएनएल के साथ-साथ अब जिओ के नंबर दे दिए गए हैं, ताकि परेशान वादियों को फोन पर सूचना देने पर किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े.