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चित्रकूट: ठंड में ठिठुरते लोग, अलाव की नहीं है व्यवस्था - चित्रकूट में प्रशासन की लापरवाही

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में बेमौसम बारिश ने ठंड का प्रकोप बढ़ा दिया है. प्रशासन ने मुख्यालय के बस स्टैंड के अलावा रेलवे स्टेशन परिसर में अलाव जलाने का दावा किया है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

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कड़ाके की ठंड में ठिठुर रहे लोग.
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Published : Dec 19, 2019, 8:14 AM IST

चित्रकूट: जिले में ठंड का प्रकोप जारी है. बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के बाद लुढ़के पारे ने चित्रकूट की ठंड को और बढ़ा दिया है. धर्मनगरी चित्रकूट में बाहर से आए श्रद्धालुओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. चित्रकूट जिला प्रशासन ने बढ़ी हुई ठंड को नजरअंदाज कर लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया है.

कड़ाके की ठंड में ठिठुर रहे लोग.


जिला प्रशासन ने मुख्यालय के बस स्टैंड के अलावा रेलवे स्टेशन परिसर में अलाव जलाने का दावा किया है. पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. बाहर से आए श्रद्धालुओं को बस स्टैंड के कचरे और पॉलीथिन जलाकर ठंड से बचाव करना पड़ रहा है. यही स्थिति कमोवेश धर्म नगरी के रेलवे परिसर की भी है.

ये भी पढ़ें- रामपुर: दुष्कर्म के बाद हत्या के दोषी नाजिल को 6 महीने के अंदर सजा-ए-मौत

जिला मुख्यालय के चौराहे, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन में लोग ठंड से बेहाल हो रहे हैं. श्रद्धालुओं और मुसाफिरों का कहना है कि प्रशासन ने अलाव की कहीं कोई व्यवस्था नहीं की है. वहीं नगरपालिका इंस्पेक्टर कमलाकांत शुक्ला ने बताया कि पिछले 12 तारीख से 12 से 15 जगह अलाव जलाए जा रहे हैं, जिसकी जगह चिन्हित हैं.

चित्रकूट: जिले में ठंड का प्रकोप जारी है. बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के बाद लुढ़के पारे ने चित्रकूट की ठंड को और बढ़ा दिया है. धर्मनगरी चित्रकूट में बाहर से आए श्रद्धालुओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. चित्रकूट जिला प्रशासन ने बढ़ी हुई ठंड को नजरअंदाज कर लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया है.

कड़ाके की ठंड में ठिठुर रहे लोग.


जिला प्रशासन ने मुख्यालय के बस स्टैंड के अलावा रेलवे स्टेशन परिसर में अलाव जलाने का दावा किया है. पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. बाहर से आए श्रद्धालुओं को बस स्टैंड के कचरे और पॉलीथिन जलाकर ठंड से बचाव करना पड़ रहा है. यही स्थिति कमोवेश धर्म नगरी के रेलवे परिसर की भी है.

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जिला मुख्यालय के चौराहे, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन में लोग ठंड से बेहाल हो रहे हैं. श्रद्धालुओं और मुसाफिरों का कहना है कि प्रशासन ने अलाव की कहीं कोई व्यवस्था नहीं की है. वहीं नगरपालिका इंस्पेक्टर कमलाकांत शुक्ला ने बताया कि पिछले 12 तारीख से 12 से 15 जगह अलाव जलाए जा रहे हैं, जिसकी जगह चिन्हित हैं.

Intro:चित्रकूट में ठंड का प्रकोप जारी है। बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के बाद लुढ़के पारे ने चित्रकूट की ठंड को और बढ़ा दिया है ।धर्मनगरी चित्रकूट में बाहर से आए श्रद्धालुओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि जिला प्रशासन ने कड़ाके की ठंड से बचने के लिए रैन बसेरा जगह-जगह अलाव की व्यवस्था करने का दावा किया है।


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जनपद चित्रकूट में अचानक हुई बारिश और ओलावृष्टि के बाद बढ़ी ठंड ने लोगों को काँपने को मजबूर कर दिया है ।किंतु चित्रकूट जिला प्रशासन ने बढ़ी हुई ठंड को नजरअंदाज कर लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। जिला मुख्यालय के चौराहे बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन में लोग ठंड से बेहाल हो रहे हैं ।तो कहीं लोग पन्नी और कागज व खुद लकड़ी खरीद कर ठंड से बचने के उपाय कर रहे हैं। श्रद्धालुओ और मुसाफिरों का कहना है कि प्रशासन ने कहीं कोई व्यवस्था नहीं की है।
वहीं नगरपालिका इंस्पेक्टर कमला कांत शुक्ला ने बताया कि पिछले 12 तारीख से 12 से 15 जगह अलाव जलाए जा रहे हैं जिसकी जगह चिन्हित हैं। बस स्टैंड चौराहे व रेल्वे परिसर व सीतापुर तमाम अन्य जगहों में अलाव का इंतजाम हैं। हम लगातार गाड़ियों से अपनी लकड़िया पहुंचाते हैं। और कहीं भी कोई भी कोई ऐसी अव्यवस्था नहीं है कि कोई दिक्कत आ सके । नगर पालिका द्वारा चार् जगह स्थाई रैन बसेरा बस रेल्वे परिसर आदि में करवा दिया गया है।वही कड़ाके की ठंड में बसस्टैंड में पालीथिन से रेन बसेरे का इंतजाम नगर पालिका द्वारा किया गया है।बने पानी की जगह का भाव है ।वही रेल्वे स्टेशन में तीन से बने रैन बसेरा में बैठने और लेटने की व्यवस्था ही नही है।
प्रशासन की दावों की जमीनी हकीकत क्या है यह साफ दिख रहा है ।जिला प्रशासन ने मुख्यालय के बस स्टैंड के अलावा रेलवे स्टेशन परिसर में अलाव जलाने का दावा किया है ।पर आप साफ-साफ देख सकते हैं कि बाहर से आए श्रद्धालुओं को बस स्टैंड के कचरे और पॉलीथिन जला कर ठंड से बचाव करना पड़ रहा है ।यही स्थिति कमोवेश धर्म नगरी के रेल्वे परिसर की भी थी ।जिसमें एक महात्मा द्वारा लकड़ी देने के बाद कुछ देर आग थमी। प्रशासन ने बड़े-बड़े दावे तो किए थे पर जमीनी हकीकत यही कि सभी प्रशासनिक दावे हवा-हवाई साबित हुए हैं।
बाइट-महेंद्र पटेल(स्थानीय निवासी)
बाइट-रामस्वरूप(श्रद्धालु)
बाइट-जयपाल सिंह लोधी(श्रद्धालु)
बाइट-कमलाकान्त शुक्ला(इंस्पेक्टर नगर पालिका)



Conclusion:
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