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बुलंदशहर में दरिंदों के लिए काल बना सिस्टम, एक साल में 6 को फांसी, 251 को कारावास

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बुलंदशहर में स्पेशल पॉक्सो कोर्ट (special pocso court) ने साल 2021 में 6 दरिंदों को फांसी की सजा सुनाकर एक नजीर कायम की है. इतना ही नहीं मौजूदा साल में सत्र न्याायालय ने कुल 257 अपराधियों को दोषी मानते हुए सजा मुकर्रर की है.

बुलंदशहर में दरिंदों के लिए काल बना सिस्टम
बुलंदशहर में दरिंदों के लिए काल बना सिस्टम
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Published : Dec 20, 2021, 7:45 AM IST

बुलंदशहर: ‘तारीख पर तारीख… तारीख पर तारीख…तारीख पर तारीख’, दामिनी फिल्म का यह मशहूर डायलॉग भले ही सिस्टम पर कटाक्ष के लिए विख्यात हुआ हो, लेकिन सिस्टम में अब तारीखों का दौर कम हो चला है. क्योंकि सरकारी फाइलों में दर्ज आंकड़ें कुछ यही बयां कर रहे हैं. सूबे के बुलंदशहर (Bulandshahr) में तो हालात ऐसे हैं कि स्पेशल पॉक्सो कोर्ट (special pocso court) ने साल 2021 में 6 दरिंदों को फांसी की सजा सुनाकर एक नजीर कायम कर दी है. इतना ही नहीं मौजूदा साल में सत्र न्यायालय की ओर से कुल 257 अपराधियों को दोषी मानते हुए सजा मुकर्रर की गई है.

न्यायालय ने रेगुलर सुनवाई और पुलिस पैरवी के चलते बच्चियों से दरिंदगी करने वाले 44 दोषियों को भी उम्र कैद से लेकर फांसी तक की कड़ी सजा सुनाई है. हालांकि, यह सब मुमकिन हो पाया है पुलिस की सजग और सतत पैरवी व कोर्ट की रेगुलर सुवाई की वजह से. कुल मिलाकर 257 में से 44 ऐसे मामलों में भी सजा सुनाई गई है, जो सीधे बच्चियों और महिला अपराध से जुड़े थे. आंकड़ों पर गौर करें तो साफ है कि अब सिस्टम में तारीख पर तारीख… तारीख पर तारीख… गुजरे जमाने की बात हो चली है. वहीं, त्वरित न्याय मिलने से आम आदमी में न सिर्फ न्याय के मंदिरों के प्रति विश्वास बढ़ा है, बल्कि पुलिस की छवि भी काफी हद तक बेहतर हुई है.

संतोष कुमार सिंह एसएसपी बुलंदशहर

पुलिस की ओर से बताया गया कि वर्ष 2021 में पॉक्सो (द प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफन्सेस एक्ट) 6 अपराधियों को फांसी, 79 अपराधियों को आजीवन कारावास और 12 अपराधियों को 20 साल की कारावास और 95 मुजरिमों की 5 साल से कम समेत कुल 257 मुजरिमों को अपराध के हिसाब से सजा सुनाई गई है.

इसे भी पढ़ें - पुलिस ने सट्टेबाजों के खिलाफ चलाया अभियान, 37 गिरफ्तार

बुलंदशहर के एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस की यह कोशिश रहती है कि वह मुकदमों से जुड़े दस्तावेजों को जल्द से जल्द कोर्ट को उपलब्ध कराए और पैरवी के लिए सरकारी वकील को खड़ा करे, ताकि सुनवाई का सिलसिला एक निर्धारित समय सीमा के भीतर खत्म हो जाए और अपराधी को उसके किए गुनाह की सजा मिल सके.

इसके अलावा जनपद में मॉनिटरिंग सेल की भी व्यवस्था की गई है, जहां पर तमाम मुकदमों की मॉनिटरिंग की जाती है. समय-समय पर मॉनिटरिंग सेल की कार्यवाही में तेजी लाने के लिए कई अहम कदम भी उठाए जाते हैं. यही कारण है कि हम कोर्ट के सामने सही ढंग से मजबूती के साथ अपना पक्ष रखते हैं और अपराधियों को उनके गुनाह की सजा दिलवाने में कामयाब होते हैं.

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बुलंदशहर: ‘तारीख पर तारीख… तारीख पर तारीख…तारीख पर तारीख’, दामिनी फिल्म का यह मशहूर डायलॉग भले ही सिस्टम पर कटाक्ष के लिए विख्यात हुआ हो, लेकिन सिस्टम में अब तारीखों का दौर कम हो चला है. क्योंकि सरकारी फाइलों में दर्ज आंकड़ें कुछ यही बयां कर रहे हैं. सूबे के बुलंदशहर (Bulandshahr) में तो हालात ऐसे हैं कि स्पेशल पॉक्सो कोर्ट (special pocso court) ने साल 2021 में 6 दरिंदों को फांसी की सजा सुनाकर एक नजीर कायम कर दी है. इतना ही नहीं मौजूदा साल में सत्र न्यायालय की ओर से कुल 257 अपराधियों को दोषी मानते हुए सजा मुकर्रर की गई है.

न्यायालय ने रेगुलर सुनवाई और पुलिस पैरवी के चलते बच्चियों से दरिंदगी करने वाले 44 दोषियों को भी उम्र कैद से लेकर फांसी तक की कड़ी सजा सुनाई है. हालांकि, यह सब मुमकिन हो पाया है पुलिस की सजग और सतत पैरवी व कोर्ट की रेगुलर सुवाई की वजह से. कुल मिलाकर 257 में से 44 ऐसे मामलों में भी सजा सुनाई गई है, जो सीधे बच्चियों और महिला अपराध से जुड़े थे. आंकड़ों पर गौर करें तो साफ है कि अब सिस्टम में तारीख पर तारीख… तारीख पर तारीख… गुजरे जमाने की बात हो चली है. वहीं, त्वरित न्याय मिलने से आम आदमी में न सिर्फ न्याय के मंदिरों के प्रति विश्वास बढ़ा है, बल्कि पुलिस की छवि भी काफी हद तक बेहतर हुई है.

संतोष कुमार सिंह एसएसपी बुलंदशहर

पुलिस की ओर से बताया गया कि वर्ष 2021 में पॉक्सो (द प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफन्सेस एक्ट) 6 अपराधियों को फांसी, 79 अपराधियों को आजीवन कारावास और 12 अपराधियों को 20 साल की कारावास और 95 मुजरिमों की 5 साल से कम समेत कुल 257 मुजरिमों को अपराध के हिसाब से सजा सुनाई गई है.

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बुलंदशहर के एसएसपी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि पुलिस की यह कोशिश रहती है कि वह मुकदमों से जुड़े दस्तावेजों को जल्द से जल्द कोर्ट को उपलब्ध कराए और पैरवी के लिए सरकारी वकील को खड़ा करे, ताकि सुनवाई का सिलसिला एक निर्धारित समय सीमा के भीतर खत्म हो जाए और अपराधी को उसके किए गुनाह की सजा मिल सके.

इसके अलावा जनपद में मॉनिटरिंग सेल की भी व्यवस्था की गई है, जहां पर तमाम मुकदमों की मॉनिटरिंग की जाती है. समय-समय पर मॉनिटरिंग सेल की कार्यवाही में तेजी लाने के लिए कई अहम कदम भी उठाए जाते हैं. यही कारण है कि हम कोर्ट के सामने सही ढंग से मजबूती के साथ अपना पक्ष रखते हैं और अपराधियों को उनके गुनाह की सजा दिलवाने में कामयाब होते हैं.

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