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बुलंदशहर: स्कूल नहीं... कूड़े के ढेर में सिमट रहा देश का भविष्य

जिले में 6-14 वर्ष तक के बच्चों को शारदा अभियान के तहत चिह्नित कर स्कूल में दाखिला दिलाना था, लेकिन जिले में ये अभियान परवान न चढ़ सका. ऐसे में तमाम बच्चे कूड़े के ढेर में सिमट कर रह गए हैं.

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Published : Jul 2, 2019, 2:25 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: जिले में बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से शारदा अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के जरिए दावे किए जा रहे हैं कि जो बच्चे स्कूलों तक नहीं जा रहे हैं, ऐसे 6 से 14 साल तक के बच्चों को चिह्नित करके उनका दाखिला कराया जा रहा है, लेकिन जिले में यह अभियान सिर्फ बेसिक शिक्षा विभाग के दफ्तर की चारदीवारी में ही सिमट कर रह गया है.

कूड़े के ढेर में सिमट रहा देश का भविष्य.

फिसड्डी साबित हो रहा 'शारदा अभियान'

  • जिस उद्देश्य से शारदा अभियान की शुरुआत फरवरी महीने में की गई थी, उसका असर फिलहाल कहीं नजर नहीं आ रहा.
  • इसमें खास तौर पर 6-14 साल तक के बच्चों का चयन किया जाना था, लेकिन ऐसे बच्चे जिले में कूड़ा बीनते देखे जा सकते हैं.
  • हालांकि बेसिक शिक्षा विभाग का दावा है कि इसमें करीब 3800 बच्चों का जिले भर में अब तक चिह्नित कर लिया गया है.
  • महकमे के अफसरों की मानें तो ऐसे सभी पात्र बच्चों के विद्यालयों में एडमिशन भी कराए जा रहे हैं.

जिस शारदा अभियान के जरिए 6 साल से लेकर 14 साल तक के बच्चों को स्कूल की दहलीज पर पहुंचाने की बातें हो रही हैं, वहीं स्कूल टाइम में तमाम ऐसे भी बच्चे हैं, जो नालों की सफाई व कूड़ा बीनने को मजबूर हैं.

बुलंदशहर: जिले में बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से शारदा अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के जरिए दावे किए जा रहे हैं कि जो बच्चे स्कूलों तक नहीं जा रहे हैं, ऐसे 6 से 14 साल तक के बच्चों को चिह्नित करके उनका दाखिला कराया जा रहा है, लेकिन जिले में यह अभियान सिर्फ बेसिक शिक्षा विभाग के दफ्तर की चारदीवारी में ही सिमट कर रह गया है.

कूड़े के ढेर में सिमट रहा देश का भविष्य.

फिसड्डी साबित हो रहा 'शारदा अभियान'

  • जिस उद्देश्य से शारदा अभियान की शुरुआत फरवरी महीने में की गई थी, उसका असर फिलहाल कहीं नजर नहीं आ रहा.
  • इसमें खास तौर पर 6-14 साल तक के बच्चों का चयन किया जाना था, लेकिन ऐसे बच्चे जिले में कूड़ा बीनते देखे जा सकते हैं.
  • हालांकि बेसिक शिक्षा विभाग का दावा है कि इसमें करीब 3800 बच्चों का जिले भर में अब तक चिह्नित कर लिया गया है.
  • महकमे के अफसरों की मानें तो ऐसे सभी पात्र बच्चों के विद्यालयों में एडमिशन भी कराए जा रहे हैं.

जिस शारदा अभियान के जरिए 6 साल से लेकर 14 साल तक के बच्चों को स्कूल की दहलीज पर पहुंचाने की बातें हो रही हैं, वहीं स्कूल टाइम में तमाम ऐसे भी बच्चे हैं, जो नालों की सफाई व कूड़ा बीनने को मजबूर हैं.

Intro:बुलंदशहर में बेसिक शिक्षा विभाग के द्वारा शारदा अभियान के जरिए दावे किए जा रहे हैं कि जो बच्चे स्कूलों तक नहीं जा रहे हैं, ऐसे 6 से 14 साल तक के बच्चों को चिन्हित करके उनका दाखिला कराया जा रहा है, लेकिन जिले में यह अभियान जैसे सिर्फ बेसिक शिक्षा विभाग के दफ्तर की चारदीवारी में ही सिमट कर रह गया है।जबकि सड़कों पर देश का भविष्य भटकता और कूड़े के ढेर और गंदगी में घुसा देखा जा सकता है।
देखिये ईटीवी भारत की ये अभियान की सच्चाई से रूबरू कराती एक्सक्लुसिव खबर।




Body:नया सत्र प्रारंभ हो चुका है और एक बार फिर स्कूल की घंटी की आवाज अब सुनाई देने लगी है ,तो वहीं यहां हैरान करने वाला एक सच जो है वो ये है कि जिस शारदा अभियान की शुरुआत फरवरी महीने में की गयी थी उसका असर टॉफिल्हाल नहीं नजर आता,हम आपको बता दें कि इसमें खास तौर पर ऐसे बच्चों का चयन किया जाना था जो कि न सिर्फ शहर में या अन्य गली कूचे में गंदगी के अंबार और मलबे पर कूड़ा बीनते देखे जा सकते हैं ,या फिर जो विद्यालय में जाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं,या एक तय समयसीमा में स्कूल नहीं गए, लेकिन जिले में यह अभियान चलाया जरूर जा रहा है, और इसमें जो दावे किए जा रहे हैं, वह भी काफी कानों को अच्छे लगने वाले हैं ।
लेकिन जो इसकी वास्तविक हकीकत है वह बिल्कुल उसके उलट है ,इटीवी भारत की पड़ताल में ऐसे काफी बच्चे न सिर्फ गन्दगी के अम्बरों और कूड़े के ढेरों और गलियों में पढ़ाई और किताबों से बेखबर होकर बोरा लेकर विचरण करते देखे जा रहे हैं, हालांकि बेसिक शिक्षा विभाग का दावा है कि इसमें करीब 3800 बच्चों का जिले भर में अब तक चिन्हांकन कर लिया गया है ,और महकमे के अफसरों की मानें तो ऐसे सभी पात्र बच्चों के विद्यालयों में एडमिशन भी कराए जा रहे हैं, लेकिन वहीं दूसरी तरफ ईटीवी भारत ने अपनी पड़ताल में जो देखा उसे देखकर आपका चोंकना भी लाजिमी है आखिर जिस शारदा अभियान के जरिए 6 साल से लेकर 14 साल तक के बच्चों को स्कूल की दहलीज पर पहुंचाने की बातें हो रही है, स्कूल टाइम में यह बच्चे ना सिर्फ गंदगी के अंबार ऊपर बल्कि गली कूचे में हाथ में बोरा लिए कुछ और ही करते देखे जा रहे हैं जिससे कहीं ना कहीं साफ तौर पर यह समझा जा सकता है कि जो अभियान इन बच्चों को पढ़ाने के नाम पर और इन्हें विद्यालय तक पहुंचाने के नाम पर चलाया जा रहा है जो किया गया है वह आखिर कौन से बच्चे हैं जिन्हें स्कूल पहुंचाया जा रहा है या इस अभियान के अंतर्गत उन्हें जोड़ा गया है क्योंकि यहां शहर भर में धूल फांक के बच्चों को सड़कों पर अभी भी देखा जा सकता है फिलहाल 21 मई से दूसरा चरण 30 जून तक चलाए जाने की बात हो रही थी,और अफसरों के मुताबिक अब तक करीब 4000 ऐसे बच्चों के चिन्हांकन की बाते भी बेसिक शिक्षा अधिकारी बता रहे हैं,लेकिन जो विसुअल में बच्चे हैं उनका साफ तौर पर कहना है कि उन्होंने स्कूल के भीतर की दुनिया है कि आज तक देखी ही नहीं है,
बाइट....अम्बरीष कुमार यादव,
बेसिक शिक्षा अधिकारी,बुलन्दशहर

बाइट...एक किशोर,


श्रीपाल तेवतिया,
बुलन्दशहर,
9213400888.





Conclusion:सवाल ये खड़ा होता है कि आखिर ये अभियान क्या फिर सिर्फ कागजी घोड़ा बनकर ही बेसिक शिक्षा विभाग की फाइलों में घुड़सवारी कर रहा है या फिर जो बच्चे अपने मुँह से बता रहे हैं कि शिक्षा और स्कूल शब्द से उनका कोई सरोकार नहीं है ये सच्चाई झूठी है।
उम्मीद है इस खबर के बाद सीएम योगी के जिम्मेदारों का ध्यान इस तरफ जाएगा,और इस तश्वीर में बदलाव होगा,अगर नहीं हुआ तो आखिर कैसे पढ़ेगा इंडिया और कैसे बढ़ेगा इंडिया।

श्रीपाल तेवतिया,
बुलन्दशहर,
9213400888.
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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