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बुलंदशहर हिंसा का एक साल: आरोपी शिखर अग्रवाल ने बताई पूरी कहानी

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Published : Dec 3, 2019, 12:09 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

उत्तर प्रदेश के बुंलदशहर जिले में गोकशी का मामला सामने आने के बाद 3 दिसंबर 2018 को हिंसा भड़क उठी थी. इस हिंसा को आज एक साल पूरे हो गए हैं. वहीं हिंसा भड़काने के आरोपी शिखर अग्रवाल से ईटीवी भारत ने बातचीत की.

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शिखर अग्रवाल से बातचीत.

बुलंदशहर: 3 दिसंबर 2018 को स्याना कोतवाली के महाव गांव में गोवंशों के अवशेष मिलने के बाद चिंगरावठी पुलिस चौकी पर भड़की हिंसा को एक साल पूरे हो चुके हैं. इन एक साल में यहां काफी कुछ बदला. हिंसा में एक इंस्पेक्टर समेत एक नवयुवक की जान चली गई थी. वहीं 27 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की गई थी, तो वहीं 60 लोगों के खिलाफ अज्ञात में मुकदमा पंजीकृत किया गया था.

बुलंदशहर हिंसा के नामजद आरोपी शिखर अग्रवाल से बातचीत.


चिंगरावठी पुलिस चौकी पर हुई हिंसा के मामले में आरोपी तत्कालीन बीजेपी के स्याना नगर अध्यक्ष शिखर अग्रवाल ने इस पूरी घटना के बारे में ईटीवी भारत से बात की. इस मामले में शिखर अग्रवाल समेत कुल 27 नामजद आरोपी बनाये गए थे, जबकि तत्कालीन एसआई सुभाष चंद्र ने करीब 60 अज्ञात लोगों पर हिंसा भड़काने का मुकदमा दर्ज कराया गया था. इसमें बजरंग दल के तत्कालीन जिला संयोजक योगेशराज, बीजेपी नगर अध्यक्ष शिखर अग्रवाल समेत कुल 27 को नामजद अभियुक्त बनाया गया था.

इसे भी पढ़ें- बुलंदशहर हिंसा का एक साल: मृतक सुमित के पिता के साथ खास बातचीत

स्याना नगर में अपने दादा और पिता के साथ नमक का कारोबार करने वाले शिखर अग्रवाल ने बताया कि उस समय वह अलीगढ़ से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. इस घटना ने उनकी पढ़ाई को एक साल प्रभावित किया. उन्होंने बताया कि उनकी पढ़ाई का एक साल इन्हीं मामलों में बर्बाद हुआ. शिखर अग्रवाल ने पूरे घठनाक्रम के बारे में बताया कि यह एक हादसा था और इसकी कोई प्लानिग नहीं थी. उन्होंने बताया कि गोवंशों के अवशेष मिलने की सूचना के बाद हिंदूवादी संगठनों और स्थानीय लोगों की भावनाए आहत हुईं तो सभी वहां पहुंच गए. आगे उन्होंने कहा कि हालात कब बेकाबू हुए इस बारे में वह खुद भी नहीं जानते.

जानिए कब, क्या हुआ?
3 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर जिले के स्याना कोतवाली क्षेत्र के महाव गांव में पूर्व प्रधान के खेत में गोवंशों के शव मिलने की सूचना मिली. इसके बाद गांव के लोग वहां इकट्ठा होने शुरू हो गए. इसी बीच कई हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता भी वहां इकट्ठा हुए. इस घटना के बाद बेकाबू भीड़ ने चिंगरावठी पुलिस चौकी में आग लगा दी. वहीं इस पूरे घटनाक्रम में एक इंस्पेक्टर सुबोध कुमार और एक युवक सुमित की जान चली गई.

इस दौरान जिले में तब्लीगी इस्तेमा के चलते रूट डायवर्जन भी लागू था. इसमें शामिल होने के लिए बहुत बड़ी संख्या में लोग यहां आए थे, जिन्हें पुलिस प्रशासन ने सुनियोजित तरीके से जिले की सीमा से बाहर निकाला गया. मेरठ से भी अधिकारियों को बुलंदशहर बुला लिया गया था. जिले में तनावपूर्ण माहौल को काबू में करने के तमाम प्रयास किेये जा रहे थे. इसी क्रम में कुछ अधिकारियों को जिले से हटाया भी गया. सबसे पहले एसएसपी केबी सिंह को 8 दिसम्बर को जिले से हटाया गया और आईपीएस प्रभाकर चौधरी को तत्काल बुलन्दशहर में भेजा गया.

इसे भी पढ़ें- उन्नाव दुष्कर्म कांड: उन्नाव दुष्कर्म से जुड़े दूसरे मामले में तीन लोगों के खिलाफ आरोप तय

हिंसा के नामजद आरोपी जितेंद्र उर्फ जीतू फौजी को सेना ने पुलिस को 9 दिसम्बर को सौंप दिया. 18 दिसम्बर को जिले के कई विधायकों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इस घटनाक्रम पर चर्चा की. वहीं 10 जनवरी को शिखर अग्रवाल को गिरफ्तार किया गया. इस मामले में कुल 44 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया गया, जिनमें से 40 लोग फिलहाल जमानत पर हैं, जबकि इंस्पेक्टर की हत्या के आरोप में 4 आरोपी अभी भी जेल में हैं.

बुलंदशहर: 3 दिसंबर 2018 को स्याना कोतवाली के महाव गांव में गोवंशों के अवशेष मिलने के बाद चिंगरावठी पुलिस चौकी पर भड़की हिंसा को एक साल पूरे हो चुके हैं. इन एक साल में यहां काफी कुछ बदला. हिंसा में एक इंस्पेक्टर समेत एक नवयुवक की जान चली गई थी. वहीं 27 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज की गई थी, तो वहीं 60 लोगों के खिलाफ अज्ञात में मुकदमा पंजीकृत किया गया था.

बुलंदशहर हिंसा के नामजद आरोपी शिखर अग्रवाल से बातचीत.


चिंगरावठी पुलिस चौकी पर हुई हिंसा के मामले में आरोपी तत्कालीन बीजेपी के स्याना नगर अध्यक्ष शिखर अग्रवाल ने इस पूरी घटना के बारे में ईटीवी भारत से बात की. इस मामले में शिखर अग्रवाल समेत कुल 27 नामजद आरोपी बनाये गए थे, जबकि तत्कालीन एसआई सुभाष चंद्र ने करीब 60 अज्ञात लोगों पर हिंसा भड़काने का मुकदमा दर्ज कराया गया था. इसमें बजरंग दल के तत्कालीन जिला संयोजक योगेशराज, बीजेपी नगर अध्यक्ष शिखर अग्रवाल समेत कुल 27 को नामजद अभियुक्त बनाया गया था.

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स्याना नगर में अपने दादा और पिता के साथ नमक का कारोबार करने वाले शिखर अग्रवाल ने बताया कि उस समय वह अलीगढ़ से मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे. इस घटना ने उनकी पढ़ाई को एक साल प्रभावित किया. उन्होंने बताया कि उनकी पढ़ाई का एक साल इन्हीं मामलों में बर्बाद हुआ. शिखर अग्रवाल ने पूरे घठनाक्रम के बारे में बताया कि यह एक हादसा था और इसकी कोई प्लानिग नहीं थी. उन्होंने बताया कि गोवंशों के अवशेष मिलने की सूचना के बाद हिंदूवादी संगठनों और स्थानीय लोगों की भावनाए आहत हुईं तो सभी वहां पहुंच गए. आगे उन्होंने कहा कि हालात कब बेकाबू हुए इस बारे में वह खुद भी नहीं जानते.

जानिए कब, क्या हुआ?
3 दिसंबर 2018 को बुलंदशहर जिले के स्याना कोतवाली क्षेत्र के महाव गांव में पूर्व प्रधान के खेत में गोवंशों के शव मिलने की सूचना मिली. इसके बाद गांव के लोग वहां इकट्ठा होने शुरू हो गए. इसी बीच कई हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता भी वहां इकट्ठा हुए. इस घटना के बाद बेकाबू भीड़ ने चिंगरावठी पुलिस चौकी में आग लगा दी. वहीं इस पूरे घटनाक्रम में एक इंस्पेक्टर सुबोध कुमार और एक युवक सुमित की जान चली गई.

इस दौरान जिले में तब्लीगी इस्तेमा के चलते रूट डायवर्जन भी लागू था. इसमें शामिल होने के लिए बहुत बड़ी संख्या में लोग यहां आए थे, जिन्हें पुलिस प्रशासन ने सुनियोजित तरीके से जिले की सीमा से बाहर निकाला गया. मेरठ से भी अधिकारियों को बुलंदशहर बुला लिया गया था. जिले में तनावपूर्ण माहौल को काबू में करने के तमाम प्रयास किेये जा रहे थे. इसी क्रम में कुछ अधिकारियों को जिले से हटाया भी गया. सबसे पहले एसएसपी केबी सिंह को 8 दिसम्बर को जिले से हटाया गया और आईपीएस प्रभाकर चौधरी को तत्काल बुलन्दशहर में भेजा गया.

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हिंसा के नामजद आरोपी जितेंद्र उर्फ जीतू फौजी को सेना ने पुलिस को 9 दिसम्बर को सौंप दिया. 18 दिसम्बर को जिले के कई विधायकों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इस घटनाक्रम पर चर्चा की. वहीं 10 जनवरी को शिखर अग्रवाल को गिरफ्तार किया गया. इस मामले में कुल 44 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया गया, जिनमें से 40 लोग फिलहाल जमानत पर हैं, जबकि इंस्पेक्टर की हत्या के आरोप में 4 आरोपी अभी भी जेल में हैं.

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अपडेटेड...

3 दिसंबर 2018 को बुलन्दशहर के स्याना के महाव गांव में गोवंशों के अवशेष मिलने के बाद चिंगरावठी पुलिस चौकी पर भड़की हिंसा को पूरा 1 साल हो चुका है, इस दौरान यहां काफी कुछ बदला ,हिंसा में इंस्पेक्टर समेत एक नवयुवक की जान गई थी। 27 लोगों के खिलाफ नामजद एफ आई आर दर्ज की गई थी ,तो वहीं 60 लोगों के खिलाफ अज्ञात में मुकदमा पंजीकृत किया गया था ,उस वक्त इस हिंसा की वजह से अधिकारियों पर गाज भी गिरी ,हिंसा के आरोपी रहे शिखर अग्रवाल से ईटीवी भारत ने खास एक्सक्लूसिव बातचीत की है पेश है उस बातचीत के प्रमुख अंश।


Body:3 दिसंबर 2018 वह दिन जब बुलंदशहर जिले के थाना कोतवाली क्षेत्र के गांव गांव में दिन निकला तो लोग खेतों की तरफ जाते देखे गए दर्शन महा गांव के पूर्व प्रधान के खेत में गोवंश के अवशेष पढ़ें होने की सूचना लोगों को मिली थी जिसके बाद गांव के लोग वहां इकट्ठा होने शुरू हो गए इसी बीच बजरंग दल के कार्यकर्ताओं समेत और भी कई हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता वहां इकट्ठा होना शुरू हो गए अवशेषों को ट्रैक्टर ट्रॉली की मदद से चिंगरावटी पुलिस चौकी पर लाया गया और फिर जो वहां भीड़ तंत्र इकट्ठा हुआ ,उससे माहौल खराब होता चला गया,कानून व्यवस्था बिगड़ती चली गईं ,पर्याप्त पुलिसबल तब वहां नहीं था,इस बारे में ईटीवी भारत ने चिंगरावठी पुलिस चौकी पर हुई हिंसा मामले में आरोपी बनाए गए तत्कालीन बीजेपी के स्याना नगर अध्यक्ष शिखर ग्वाल से इस गठना को सिलसिलेबार ढंग से जानने की कोशिश की ,शिखर अग्रवाल समेत कुल 27 नामजद आरोपी तब बनायर गए थे,जबकि करीब 60 अज्ञात लोगों पर हिंसा भड़काने का मुकदमा तत्कालीन एसआई सुभाष चन्द्र ने दर्ज कराया था, हिंदूवादी संघठन के कार्यकर्ताओं को इसमें नामजद किया गया था,जिसमे बजरंग दल के तत्कालीन जिला संयोजक योगेशराज ,बीजेपी नगर अध्यक्ष शिखर अग्रवाल समेत कुल 27 के खिलाफ नामजद अभियुक्त बनाया गया था,इस बारे में स्याना नगर में अपना दादा और पिता के साथ नमक का कारोबार करने वे और अलीगढ़ से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले शिखर अग्रवाल ने पूरे घठनाक्रम के बारे में बताया कि ये एक हादसा था,कोई प्लानिग नहीं थी,गोवंशों के अवशेष मिले हिंदूवादी संघठनों और सस्थानीय लोगों की भावनायें आहत हुईं तो वहां सभी पहुंच गए ,लेकिन हालात कब बेकाबू हुए इस बारे में वो खुद भी नहीं जानते,शिखर अग्रवाल ने बताया कि इस घठनाक्रम ने काफी नुकसान सभी का किया तो वहीं मेडिकल की पढ़ाई भी बाधित हुई,

जानिए कब क्या हुआ एक नजर में....
3 दिसम्बर को महाव गांव में पूर्व प्रधान राजकुमार के खेतों में गोवंशों के अवशेष मिलने के बाद हंगामा ,पथराव हुआ,चिंगरावठी पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया गया,वाहनों में आग लगा दी गयी।
दोपहर होते होते सूचना मिली कि चिंगरावठी के नवयुवक की गोली लगने से मौत,तो वहीं स्याना इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की भी हत्या,जिसके बाद माहौल बेकाबू।
जिलेभर से फोर्स वहां पहुंचा,क्योंकि तब्लीगी इस्तेमा बुलन्दशहर में चल रहा था,रूठ डायवर्ट किया गया,लाखों लोग तब्लीगी इस्तेमा से अपने अपने गंतव्य को लौट रहे थे, पुलिस और प्रशासन ने हालातों को मद्देनजर रखते हुए बहुत ही सुनियोजित तरीके से लाखों लोगों को जिले की सीमाओं के बाहर सकुशल निकाला,
मेरठ से भी सभी अधिकारी बुलन्दशहर में डेरा तब डाल चुके थे,
तनावपूर्ण माहौल को काबू करने के तमाम प्रयास किये जा रहे थे।
अधिकारियों को भी जिले से हटाया गया,
सबसे पहले एसएसपी के.बी सिंह 8 दिसम्बर को जिले से हटाये गए औऱ तेजतर्रार आईपीएस प्रभाकर चौधरी को तब तत्काल बुलन्दशहर में भेजा गया।हिंसा के नामजद आरोपी के तौर पर नामजद अभियुक्त महाव गांव के निवासी जितेंद्र उर्फ जीतू फौजी सेना ने पुलिस को 9 दिसम्बर को सौंप दिया,18 दिसम्बर को जिले के कई विधायकों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर इस घठनाक्रम पर चर्चा की थी,तो वहीं 10 जनवरी को शिखर अग्रवाल को अरेस्ट किया गया,कुल 44 लोग अब तक अरेस्ट किये गए,जिनमे से 40 फिलहाल जमानत पर हैं,जबकि इंस्पेक्टर की हत्या के आरोप में 4 अभी भी जेल में हैं।


वन टू वन.....शिखर अग्रवाल,चिंगरावठी हिंसा के नामजद आरोपी , (फिलहाल जमानत पर)


Conclusion:श्रीपाल तेवतिया,
बुलन्दशहर,
9213400888

Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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