बुलंदशहर: जिले में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा की जा रही लापरवाही आम आदमी पर भारी पड़ सकती है, क्योंकि यहां जिनके कंधों पर कोरोना की जांच का जिम्मा है, वे ही बिना आवश्यक संसाधनों और बिना पीपीई किट के कोरोना की जांच में मशगूल हैं. जिला अस्पताल में भी इसको लेकर जमकर लापरवाही देखने को मिल रही है.
जान पर भारी पड़ सकती है लापरवाही
देश भर के साथ ही यूपी में भी कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन इस बात का फर्क बुलंदशहर जिले के जिम्मेदारों पर पड़ता नहीं दिख रहा है. यहां के जिला अस्पताल में रोजाना अलग-अलग विधियों से लगभग 3 हजार के करीब कोरोना जांच की जा रही हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि यहां जांच में मशगूल कर्मचारियों को तो जैसे कोरोना से कोई खतरा ही मालूम पड़ रहा है.
दरअसल नियम है कि प्रॉपर पीपीई किट, हैंड ग्लव्स से लेकर मास्क लगाने के बाद ही कोरोना टेस्टिंग की जाए ताकि संक्रमण फैलने का खतरा न रहे, लेकिन जिला अस्पताल में इसके उलट घोर लापरवाही बरती जा रही है. यह हाल तब है जब यहां जिला अस्पताल के सीएमएस से लेकर सीएमओ तक की तैनाती हैं. इतना ही नहीं अस्पताल के कर्मचारी खुद भी मास्क से मुंह ढकने में गुरेज करते हुए दिख रहे हैं. ऐसी ही कुछ तस्वीरें ईटीवी भारत के कैमरे में कैद हुई हैं, जिस पर सीएमओ ने संज्ञान लेते हुए कार्रवाई की बात कही है. सिर्फ इतना ही नहीं मोबाइल टेस्टिंग टीम भी कोरोना जांच के वक्त पीपीई किट पहनना जरूरी नहीं समझती है.
सीएमओ ने कहा कर्मचारियों द्वारा हो रही गलतियां
इस बारे में जिला अस्पताल के सीएमएस जवाब देने की बजाय कैमरे से भागते नजर आए. इस मामले पर जिले के कोरोना संक्रमण मामलों के नोडल डिप्टी सीएमओ रोहताश यादव ने बताया कि उन्होंने पूरे मामले की तस्दीक की है और वो मानते हैं कि कर्मचारियों के द्वारा गलतियां की जा रही हैं. ऐसे में अब लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ एक्शन लेते हुए नई टीम को कोरोना मरीजों की जांच के लिए पीपीई किट के साथ ड्यूटी करने के बारे में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं.