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बुलंदशहर में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल, डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे अस्पताल

जिले में स्वास्थ्य विभाग की हालत बेहद लचर हैं. जिला अस्पताल समेत सभी सरकारी अस्पतालों में स्टाफ की कमी है, जिसके चलते मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

बुलंदशहर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी
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Published : Apr 25, 2019, 12:56 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: जिले के होम्योपैथिक अस्पताल स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं. यहां के सभी 20 अस्पतालों में न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं और न ही पदों के मुताबिक फार्मेसिस्ट हैं. एक ही डॉक्टर को कई डिस्पेंसरी की जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है. ईटीवी भारत ने इस मुद्दे पर एक खास रिपोर्ट तैयार की है.

बुलंदशहर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी

बुलंदशहर में जिला अस्पताल समेत कुल 20 हॉस्पिटल हैं, जहां होम्योपैथिक पद्धति के माध्यम से इलाज कराया जा सकता है. लेकिन इन संस्थानों में पर्याप्त डॉक्टर भी मौजूद नहीं हैं. मरीजों की संख्या के अनुसार जिले में कम से कम 21 डॉक्टर होने चाहिए, लेकिन फिलहाल महज 11 डॉक्टरों के सहारे ही काम चल रहा है. फार्मासिस्ट के मामले में भी इसी तरह के हालात हैं. महकमे में मौजूदा वक्त में केवल 23 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी काम कर रहे हैं, जबकि मानक के अनुसार यह संख्या 40 से अधिक होनी चाहिए.
हालांकि आउटसोर्सिंग के माध्यम से भी कुछ लोगों को नियुक्त किया गया है, लेकिन इसके बावजूद भी जिले में 51 डॉक्टर और कर्मचारी ही मौजूद हैं. इस बारे में जिला होम्योपेथिक चिकित्सा अधिकारी एसएन राय ने बताया कि इस स्थिति में सुधार लाने के लिए वह निजी स्तर पर कई बार प्रयास कर चुके हैं. कई बार शासन को भी इस बारे में पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन कोई भी सकारात्मक जवाब नहीं मिल पाया है. इस वजह से लगातार यह दिक्कत बनी रहती है. स्टाफ की कमी के चलते कई बार तो उन्हें खुद अपने प्रशासनिक कार्यों को छोड़कर मरीजों को देखना होता है.

बुलंदशहर: जिले के होम्योपैथिक अस्पताल स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं. यहां के सभी 20 अस्पतालों में न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं और न ही पदों के मुताबिक फार्मेसिस्ट हैं. एक ही डॉक्टर को कई डिस्पेंसरी की जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है. ईटीवी भारत ने इस मुद्दे पर एक खास रिपोर्ट तैयार की है.

बुलंदशहर के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी

बुलंदशहर में जिला अस्पताल समेत कुल 20 हॉस्पिटल हैं, जहां होम्योपैथिक पद्धति के माध्यम से इलाज कराया जा सकता है. लेकिन इन संस्थानों में पर्याप्त डॉक्टर भी मौजूद नहीं हैं. मरीजों की संख्या के अनुसार जिले में कम से कम 21 डॉक्टर होने चाहिए, लेकिन फिलहाल महज 11 डॉक्टरों के सहारे ही काम चल रहा है. फार्मासिस्ट के मामले में भी इसी तरह के हालात हैं. महकमे में मौजूदा वक्त में केवल 23 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी काम कर रहे हैं, जबकि मानक के अनुसार यह संख्या 40 से अधिक होनी चाहिए.
हालांकि आउटसोर्सिंग के माध्यम से भी कुछ लोगों को नियुक्त किया गया है, लेकिन इसके बावजूद भी जिले में 51 डॉक्टर और कर्मचारी ही मौजूद हैं. इस बारे में जिला होम्योपेथिक चिकित्सा अधिकारी एसएन राय ने बताया कि इस स्थिति में सुधार लाने के लिए वह निजी स्तर पर कई बार प्रयास कर चुके हैं. कई बार शासन को भी इस बारे में पत्र लिखे जा चुके हैं, लेकिन कोई भी सकारात्मक जवाब नहीं मिल पाया है. इस वजह से लगातार यह दिक्कत बनी रहती है. स्टाफ की कमी के चलते कई बार तो उन्हें खुद अपने प्रशासनिक कार्यों को छोड़कर मरीजों को देखना होता है.

Intro:बुलंदशहर जनपद में होम्योपैथिक के कुल 20 हॉस्पिटल हैं,और इन 20 अस्पताल में सभी में पर्याप्त डॉक्टर तक भी नहीं है, आलम यह है कि न हीं तो जिले में फार्मेसिस्ट पर्याप्त मात्रा में हैं और ना ही डॉक्टर तो वहीं अन्य स्टाफ की तो बात ही छोड़िए फिलहाल एक एक डॉक्टर को कई कई डिस्पेंसरी की जिम्मेदारी निभानी पड़ रही है, देखिये इटीवी भारत की एक्सक्लुसिव रिपोर्ट ।


Body:होम्योपैथिक पद्धति के तहत बुलंदशहर जिले में अगर बात की जाए तो जिला अस्पताल स्थित हॉस्पिटल समेत कुल 20 हॉस्पिटल हैं, जहां होम्योपैथिक के पद्धति के माध्यम से इलाज कराया जा सकता है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इन 20 हॉस्पिटल पर पर्याप्त डॉक्टर तक भी मौजूद नहीं है जिले में डिस्पेंसरी है जबकि डॉक्टर सिर्फ 11 हैं, तो वहीं जिले में करीब 21 डॉक्टर कम से कम होने चाहिऐं इतना ही नहीं अगर फार्मेसिस्ट की बात की जाए तो बुलंदशहर जनपद में होम्योपैथिक विभाग में 21 फार्मेसिस्ट होने चाहिए जबकि जिले में सिर्फ 11 फार्मेसिस्ट के जरिए किसी तरह काम चलाया जा रहा है ,चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और क्लैरिकल स्टाफ की तो बात ही छोड़िए 23 चतुर्थश्रेणी कर्मचारी इन हॉस्पिटल्स पर उपलब्ध हैं,जबकि मानक के मुताबिक अधिकारियों का कहना है करीब 40 से अधिक का स्टाफ होना चाहिए ऐसे में हालांकि आउटसोर्सिंग के माध्यम से भी कुछ लोग हायर किए हुए हैं ,लेकिन उसके बावजूद भी जिले में 51 डॉक्टर और कर्मचारी ही मौजूद हैं, जो कि जिला मुख्यालय स्थित होम्योपैथिक डिस्पेंसरी के अलावा अन्य सभी को भी किसी तरह संभाल रहे हैं, जब हमने इस बारे में एसएन राय से बात की तो उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि उनके स्तर से काफी बार प्रयास किए गए हैं, शासन को पत्र भी इस बारे में कई बार लिखा गया है, लेकिन कोई भी संतुष्ट जवाब वहां से नहीं आता जिसकी वजह से यह दिक्कत बनी रहती है और स्टाफ की कमी के चलते कई बार तो उन्हें खुद अपने प्रशासनिक कार्यो को अधर में छोड़ कर मरीजों को देखना होता है। इज़ इन राय कहते हैं कि करीब 500 से 600 मरीज इलाज के लिए प्रत्येक दिन यहां आते हैं ,वही उनका कहना है कि अस्पतालों पर डॉक्टरों का टोटा बना हुआ है,जिसके बाद आसानी से ये समझा जा सकता है की मरीज को क्या दिक्कत यहां होती होगी और बाकी की तो हालत आसानी से समझी जा सकती है, फिलहाल जिम्मेदार जिला होम्योपैथिक अधिकारी एसएन राय का कहना है कि पूरे दिन गर्मी का माहौल बना रहता है तो वहीं मरीजों को समय से इलाज मुहैया कराने के चक्कर में एक डॉक्टर को कई कई हॉस्पिटल पर भेजा जाता है जिसकी वजह से कई बार ना सिर्फ मरीजों की लंबी-लंबी कतारें लग जाया करती है बल्कि कई बार तो मरीज बिना उपचार के ही वापिस लौट जाया करते हैं।
बाइट....एस एन राय,जिला होमियोपैथिक चिकित्सा अधिकारी,बुलन्दशहर,

पीटीसी....श्रीपाल तेवतिया,
बुलन्दशहर,
9213400888.


Conclusion:
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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