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एस्मा के बाद भी कर्मचारियों की हड़ताल, पेंशन बहाली की मांग पर अड़े कर्मी - demonstration demanding pension restoration

योगी सरकार की चेतावनी के बाद भी बुलंदशहर में कर्मचारी हड़ताल पर हैं. पुरानी पेंशन की बहाली की मांग को लेकर कर्मचारियों की हड़ताल जारी है. जिसमें सफाई कर्मचारी यूनियन, सेंट्रल ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियन, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद मजदूर यूनियन आदि ने हिस्सा लिया.

employees strike in bulandshahr
एस्मा के बावजूद कर्मचारियों का हड़ताल
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Published : Nov 26, 2020, 5:24 PM IST

बुलंदशहरः योगी सरकार की चेतावनी के बाद भी कर्मचारी हड़ताल पर आमदा है. पुरानी पेंशन बहाली मोर्चा के संयोजक सुरेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार के आदेश के बावजूद राज्य कर्मचारी और अन्य कर्मचारी हड़ताल करेंगे. इस हड़ताल में सफाई कर्मचारी यूनियन, यूपी बिजली बोर्ड एंप्लाइज, सेंटर ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियन, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, आशा कर्मचारी, यूनियन केमिकल उद्योग, मजदूर यूनियन आदि ने हिस्सा लिया.

पेंशन बहाली की मांग को लेकर हड़ताल

'पेंशन का अधिकार छीना गया'

कर्मचारियों का कहना है कि केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों को जो पेंशन मिलती थी, वह पेंशन खत्म कर दी गई है और नई पेंशन स्कीम के तहत पीएफ का पैसा कर्मचारियों को मिलेगा. कर्मचारियों का मानना है कि उनका अधिकार छीना जा रहा है.

कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की दी चेतावनी
पुरानी पेंशन बहाली मंच के संयोजक सुरेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार के आदेश के बावजूद राज्य कर्मचारी और अन्य कर्मचारी हड़ताल के लिए प्रतिबद्ध हैं. पेंशन संघर्ष समिति के कर्मचारियों द्वारा हड़ताल के दौरान यूपी बोर्ड परीक्षा का भी बहिष्कार किया जाएगा. इसके साथ ही सहायता प्राप्त विद्यालय के दोपहर के भोजन को भी नहीं बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि 6 दिवसीय हड़ताल के दौरान बात नहीं बनी, तो अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी.

कोरोना महामारी के चलते जिले में एस्मा लागू

बुलंदशहर सहित प्रदेश भर में कोरोना महामारी के दौरान सरकारी मशीनरी को सुचारू रूप से लागू करने के लिए योगी सरकार ने एस्मा कानून लागू कर दिया है. इस कानून के लागू हो जाने के बाद राज्य में अति-आवश्यक सेवाओं में लगे राज्य कर्मचारी छुट्टी और हड़ताल पर नहीं जा सकते. सभी कर्मचारियों को सरकार के निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा. जो कर्मचारी आदेशों का उल्लंघन करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.

क्यों लगाया जाता है एस्मा
एस्मा सांसद द्वारा पारित अधिनियम है. जिसे 1968 में लागू किया गया था. इसके जरिए हड़ताल के दौरान लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाली आवश्यक सेवाओं की बहाली सुनिश्चित करने की कोशिश की जाती है. इससे आवश्यक सेवाओं की एक लंबी सूची है. जिसमें सार्वजनिक परिवहन, बस, रेल, हवाई, डाक सेवा, स्वास्थ्य सेवाएं, डॉक्टर और अस्पताल जैसी सेवाएं शामिल हैं. अपने जरूरत के हिसाब से राज्य सरकारें कभी भी एस्मा लागू कर सकती हैं. एस्मा लागू हो जाने के बाद हड़ताली कर्मचारियों को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है. इसके अलावा इसके कारावास और जुर्माने का भी प्रावधान है.

बुलंदशहरः योगी सरकार की चेतावनी के बाद भी कर्मचारी हड़ताल पर आमदा है. पुरानी पेंशन बहाली मोर्चा के संयोजक सुरेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार के आदेश के बावजूद राज्य कर्मचारी और अन्य कर्मचारी हड़ताल करेंगे. इस हड़ताल में सफाई कर्मचारी यूनियन, यूपी बिजली बोर्ड एंप्लाइज, सेंटर ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियन, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, आशा कर्मचारी, यूनियन केमिकल उद्योग, मजदूर यूनियन आदि ने हिस्सा लिया.

पेंशन बहाली की मांग को लेकर हड़ताल

'पेंशन का अधिकार छीना गया'

कर्मचारियों का कहना है कि केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों को जो पेंशन मिलती थी, वह पेंशन खत्म कर दी गई है और नई पेंशन स्कीम के तहत पीएफ का पैसा कर्मचारियों को मिलेगा. कर्मचारियों का मानना है कि उनका अधिकार छीना जा रहा है.

कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की दी चेतावनी
पुरानी पेंशन बहाली मंच के संयोजक सुरेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार के आदेश के बावजूद राज्य कर्मचारी और अन्य कर्मचारी हड़ताल के लिए प्रतिबद्ध हैं. पेंशन संघर्ष समिति के कर्मचारियों द्वारा हड़ताल के दौरान यूपी बोर्ड परीक्षा का भी बहिष्कार किया जाएगा. इसके साथ ही सहायता प्राप्त विद्यालय के दोपहर के भोजन को भी नहीं बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि 6 दिवसीय हड़ताल के दौरान बात नहीं बनी, तो अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी.

कोरोना महामारी के चलते जिले में एस्मा लागू

बुलंदशहर सहित प्रदेश भर में कोरोना महामारी के दौरान सरकारी मशीनरी को सुचारू रूप से लागू करने के लिए योगी सरकार ने एस्मा कानून लागू कर दिया है. इस कानून के लागू हो जाने के बाद राज्य में अति-आवश्यक सेवाओं में लगे राज्य कर्मचारी छुट्टी और हड़ताल पर नहीं जा सकते. सभी कर्मचारियों को सरकार के निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा. जो कर्मचारी आदेशों का उल्लंघन करेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.

क्यों लगाया जाता है एस्मा
एस्मा सांसद द्वारा पारित अधिनियम है. जिसे 1968 में लागू किया गया था. इसके जरिए हड़ताल के दौरान लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाली आवश्यक सेवाओं की बहाली सुनिश्चित करने की कोशिश की जाती है. इससे आवश्यक सेवाओं की एक लंबी सूची है. जिसमें सार्वजनिक परिवहन, बस, रेल, हवाई, डाक सेवा, स्वास्थ्य सेवाएं, डॉक्टर और अस्पताल जैसी सेवाएं शामिल हैं. अपने जरूरत के हिसाब से राज्य सरकारें कभी भी एस्मा लागू कर सकती हैं. एस्मा लागू हो जाने के बाद हड़ताली कर्मचारियों को बिना वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है. इसके अलावा इसके कारावास और जुर्माने का भी प्रावधान है.

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