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150 गज जमीन को लेकर दुश्मनी, 9 हत्याएं: पूर्व आईबी हेड कांस्टेबल के मर्डर के पीछे 31 साल पुरानी रंजिश - बुलंदशहर रामभूल हत्याकांड

बुलंदशहर के एक गांव में 150 गज जमीन के लिए नौ हत्याएं हो गईं. 31 साल पुरानी यह रंजिश अभी तक चल रही है. बीते दिनों पूर्व आईबी हेड कांस्टेबल की हत्या भी इसी रंजिश में कर दी गई. हत्यारोपियों को जब पुलिस ने पकड़ा तो उन्होंने कबूला कि पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए उन्होंने ऐसा किया. पढ़िए यह खास रिपोर्ट.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 7, 2023, 9:34 AM IST

Updated : Nov 7, 2023, 10:35 AM IST

पुलिस की गिरफ्त में हत्या के दो आरोपी आ चुके हैं.

बुलंदशहर : सलेमपुर के नासिरपुर भैंसरोली गांव की 150 गज की जमीन और ईंट भट्ठे के विवाद में अब तक नौ लोगों का कत्ल हो चुका है. 31 साल पुरानी इस रंजिश के चलते 30 अक्टूबर को इसी रंजिश में आईबी के पूर्व हेड कांस्टेबल को भी गोलियों से भून दिया गया था. एक-दूसरे की जान लेने पर आमादा दोनों पक्ष कई सालों से खून बहाते चले आ रहे हैं. पुलिस पूर्व आईबी कर्मी की हत्या में दो आरोपियों को गिरफ्तार भी कर चुकी है. पूछताछ में हत्यारोपियों ने कबूला कि पिता की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए उन्होंने यह वारदात अंजाम दी. उन्होंने पुलिस को और भी कई चौंकाने वाली जानकारियां दी. रंजिश कब से चल रही है, विवाद क्या है, खूनी खेल की शुरुआत कब हुई थी, इन सभी बिंदुओं को लेकर ईटीवी भारत की टीम उस गांव में पहुंची जहां से बदले की आग भड़की थी. पढ़िए रिपोर्ट...

पुलिस ने दो आरोपियों को पकड़ा है.
पुलिस ने दो आरोपियों को पकड़ा है.

150 गज की जमीन के लिए बहाया कई का खून : नासिरपुर भैंसरोली निवासी रामभूल आईबी में हेड कांस्टेबल थे. वह रिटायर हो चुके थे. 30 अक्टूबर को गोलियों से भूनकर उनकी हत्या कर दी गई थी. ईटीवी भारत की टीम नासिरपुर भैंसरोली पहुंची. गांव के लोगों ने बताया कि रामभूल मूल रूप से जहांगीराबाद थाना क्षेत्र के गांव रोंडा के निवासी थे. उनकी मां सलेमपुर थाना क्षेत्र के गांव नासिरपुर भैंसरोली की रहने वाली थीं. उनके कोई भाई नहीं थे. इसकी वजह से रामभूल के पिता रिसाल सिंह साल 1978 में ससुराल में ही आकर रहने लगे. रिसाल सिंह करीब 110 बीघा जमीन के मालिक थे. उनका ससुराल पक्ष के बिजेंद्र सिंह पुत्र महेंद्र सिंह से 150 गज जमीन और एक ईंट भट्ठे को लेकर विवाद चल रहा था. इसी विवाद में साल 1986 में रिसाल के बेटे रामभूल पर फायरिंग कर दी गई थी. इससे वह बच गए थे.

31 साल से चली आ रही रंजिश.
31 साल से चली आ रही रंजिश.

साल 1992 में रामभूल के तीन भाइयों और पिता की हुई थी हत्या : गांव के लोगों ने बताया कि 1991 रामभूल के बड़े भाई श्रीपाल, 1992 में भाई रतनपाल और सतपाल सिंह, पिता रिसाल सिंह की गोली बरसाकर हत्या कर दी गई थी. इस घटना में दूसरे पक्ष के बिरेंद्र सिंह पुत्र महेंद्र सिंह, विरेंद्र सिंह पुत्र साेहनपाल, सुनील सिंह पुत्र बिजेंद्र सिंह, कुंवरपाल सिंह पुत्र चेतराम सिंह और सतपाल सिंह पुत्र हरवीर सिंह सहित पांच लोगों को आजीवन कारावास हुई थी. इनमें से विरेंद्र सिंह की मौत हो चुकी है, जबकि अन्य 2021 में आजीवन कारावास की सजा काटकर जेल से बाहर आ गए थे. इसके बाद गांव छोड़कर अन्य जनपदों में जाकर रहने लगे.

दूसरे पक्ष के भी 4 लोग भी मार डाले गए : साल 1993 में बिजेंद्र सिंह पक्ष के भी दो लोगों की हत्या कर दी गई थी. आरोप रामभूल पक्ष पर लगा था. मामले में रामभूल को पुलिस ने जेल भेजा था. रंजिश के चलते दोनों परिवार गांव छोड़कर बुलंदशहर, नोएडा और गाजियाबाद में रहने लगे थे. उनके घर खंडहर हो चुके हैं. रामभूल यदा-कदा खेती करने आते थे. मौजूदा समय में रामभूल रौंडा गांव में रह रहे थे, जबकि दूसरे पक्ष के लोग नासिरपुर भैंसरोली रह रहे हैं. रामभूल के बड़े भाई श्रीपाल के मर्डर के बाद उनकी पत्नी मुनेश को ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान बनाया था. बिजेंद्र सिंह पक्ष से बिजेंद्र सिंह, महेंद्र, कृपाल, करनवीर की हत्या की गई थी. जमीन के विवाद में अब तक नौ लोगों का खून बह चुका है. नौवां कत्ल रामभूल का किया गया. जिस जमीन के लिए दोनों पक्षों का विवाद है, वह भी अब बंजर हो चुकी है.

जान बचाकर कई सालों तक छिपता रहा रामभूल : ग्रामीणों ने बताया कि गांव छोड़ने के बाद दोनों पक्षों के कुछ लोग संभल में रहे थे. सात साल बाद वे यहां से भी चले गए थे. इसके बाद रामभूल दिल्ली में रहने लगे. वह 16 वर्षों तक वहां रहे. दूसरे पक्ष ने वहां उनकी घेराबंदी की तो वह अपने बहनाई के यहां मथुरा चले गए. बाद में रौंडा गांव आकर रहने लगे. ग्रामीणों के मुताबिक रामभूल हमेशा डरा सहमा रहता था, वह अकेला था, उसे खुद की जान की फिक्र सताती थी. वह अपने पास रायफल भी रखा करता था.

जान प्यारी है तो भाग जाओ : दोनों परिवारों में चली आ रही रंजिश के कारण गांव के लोग इनके बारे में कुछ भी कहने से घबराते हैं. दबी जुबान में उन्होंने रामभूल की हत्या की पूरी कहानी बयां की. बताया कि दो बाइकों पर सवार चार नकाबपोश बदमाश आए थे. सरेराह धान बेचकर लौट रहे ट्रैक्टर को ओवरटेक किया. एक बाइक से दो बदमाश उतरे. ट्रैक्टर पर रामभूल भी थे. बदमाशों ने धमकाया कि जान प्यारी है तो रामभूल को छोड़कर भाग जाओ. ट्रैक्टर चला रहे मनोज और उसके पिता हेमराज ट्रैक्टर छोड़कर भाग गए. बदमाशों ने ट्रैक्टर के नजदीक पहुंचकर फायरिंग की. चार गोलियां रामभूल को लगी. इससे उनकी मौत हो गई.

इस तरह हत्यारों तक पहुंची पुलिस : एसएसपी श्लोक कुमार ने बताया कि पुलिस आरोपियों की तलाश में लगी थी. एक इनपुट के आधार पर थाना सलेमपुर पुलिस शिवाली-भगौली मार्ग पर रविवार को वाहन चेकिंग कर रही थी. इसी समय एक बाइक पर दो लोग आते दिखाई दिए. रुकने का इशारा करने पर वे भागने लगे. पुलिस ने पीछा किया तो एक हैंडपंप से टकराकर वे गिर गए. खुद को घिरा देखकर उन्होंने फायरिंग कर दी. एक बदमाश गोली लगने से घायल हो गया, पुलिस ने उसे पकड़ लिया. पुलिस ने दूसरे बदमाश को भी दौड़कर पकड़ लिया. घायल बदमाश की पहचान शिवकुमार पुत्र स्व. वीर सिंह निवासी नासिरपुर भैंसरोली को अस्पताल में भर्ती कराया गया. जबकि दूसरे बदमाश की पहचान इसी गांव के मुकेश पुत्र स्व. बिजेंद्र सिंह के रूप में हुई. इन्हीं दोनों ने ही रामभूल की हत्या की थी.

गिरफ्तार दोनों आरोपियों का है आपराधिक इतिहास : एसएसपी ने बताया कि मुकेश रामभूल के अलावा उसके पिता और भाइयों की हत्या में भी शामिल रहा था. वह कई सालों से फरार चल रहा था. वहीं शिवकुमार का भी आपराधिक इतिहास है. दोनों के पास से एक पिस्टल 32 बोर, एक तमंचा 315 ,3 कारतूस, एक खोखा, एक मोटरसाइकिल बरामद की गई है. सलेमपुर में दोनों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं. दोनों को जेल भेजा जा चुका है. दोनों के पिता की मौत हो चुकी है. दोनों गांव में अपने मुंह बोले चाचा के यहां रह रहे थे. दोनों आरोपियों ने पुलिस को बताया कि तीन महीने पहले उसके चाची की बीमारी से मौत हो गई थी.

चाचा ने कहा था रामभूल का मरना जरूरी है : पुलिस की की पूछताछ में दोनों आरोपियों ने बताया कि दोनों ने मुंह बोले चाचा को अपना पिता मान लिया था. चाचा ने मौत से पहले कहा था कि रंजिश के चलते कई सालों से परिवार परेशान है. छिप-छिपकर जीवन व्यतीत कर रहे हैं. रामभूल सबसे बड़ा दुश्मन है. उसका मरना जरूरी है, तभी इस विवाद को खत्म किया जा सकता है. यह बात उनके दिमाग में घर कर गई थी. इसके बाद वे रामभूल को मारने की साजिश रचने लगे थे. तीन माह से दोनों अपने बहनाई, भांजे और उसके दोस्त के साथ रेकी कर रहे थे. इसके बाद मौका मिलने पर उन्होंने रामभूल को गोलियों से भून डाला. हत्यारोपियों ने पूछताछ में बताया कि रामभूल की हत्या उन्होंने चाचा की अंतिम इच्छा पर की थी. जानकारी देने के दौरान कई बार आरोपी मुकेश की आंखें भी छलक आईं. पूछताछ पर उसने बताया कि हेड कांस्टेबल रामभूल पक्ष उनकी जमीन पर कब्जा करना चाहते थे और ईंट भट्ठे को लेकर भी विवाद था.

यह भी पढ़ें : बुलंदशहर में पूर्व आईबी कर्मचारी की हत्या, गोलियों से भूनकर उतारा मौत के घाट

पूर्व आईबी कॉन्स्टेबल को जमीनी विवाद में मारी गई थी गोली, आरोपियों ने पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए की थी हत्या

पुलिस की गिरफ्त में हत्या के दो आरोपी आ चुके हैं.

बुलंदशहर : सलेमपुर के नासिरपुर भैंसरोली गांव की 150 गज की जमीन और ईंट भट्ठे के विवाद में अब तक नौ लोगों का कत्ल हो चुका है. 31 साल पुरानी इस रंजिश के चलते 30 अक्टूबर को इसी रंजिश में आईबी के पूर्व हेड कांस्टेबल को भी गोलियों से भून दिया गया था. एक-दूसरे की जान लेने पर आमादा दोनों पक्ष कई सालों से खून बहाते चले आ रहे हैं. पुलिस पूर्व आईबी कर्मी की हत्या में दो आरोपियों को गिरफ्तार भी कर चुकी है. पूछताछ में हत्यारोपियों ने कबूला कि पिता की अंतिम इच्छा को पूरा करने के लिए उन्होंने यह वारदात अंजाम दी. उन्होंने पुलिस को और भी कई चौंकाने वाली जानकारियां दी. रंजिश कब से चल रही है, विवाद क्या है, खूनी खेल की शुरुआत कब हुई थी, इन सभी बिंदुओं को लेकर ईटीवी भारत की टीम उस गांव में पहुंची जहां से बदले की आग भड़की थी. पढ़िए रिपोर्ट...

पुलिस ने दो आरोपियों को पकड़ा है.
पुलिस ने दो आरोपियों को पकड़ा है.

150 गज की जमीन के लिए बहाया कई का खून : नासिरपुर भैंसरोली निवासी रामभूल आईबी में हेड कांस्टेबल थे. वह रिटायर हो चुके थे. 30 अक्टूबर को गोलियों से भूनकर उनकी हत्या कर दी गई थी. ईटीवी भारत की टीम नासिरपुर भैंसरोली पहुंची. गांव के लोगों ने बताया कि रामभूल मूल रूप से जहांगीराबाद थाना क्षेत्र के गांव रोंडा के निवासी थे. उनकी मां सलेमपुर थाना क्षेत्र के गांव नासिरपुर भैंसरोली की रहने वाली थीं. उनके कोई भाई नहीं थे. इसकी वजह से रामभूल के पिता रिसाल सिंह साल 1978 में ससुराल में ही आकर रहने लगे. रिसाल सिंह करीब 110 बीघा जमीन के मालिक थे. उनका ससुराल पक्ष के बिजेंद्र सिंह पुत्र महेंद्र सिंह से 150 गज जमीन और एक ईंट भट्ठे को लेकर विवाद चल रहा था. इसी विवाद में साल 1986 में रिसाल के बेटे रामभूल पर फायरिंग कर दी गई थी. इससे वह बच गए थे.

31 साल से चली आ रही रंजिश.
31 साल से चली आ रही रंजिश.

साल 1992 में रामभूल के तीन भाइयों और पिता की हुई थी हत्या : गांव के लोगों ने बताया कि 1991 रामभूल के बड़े भाई श्रीपाल, 1992 में भाई रतनपाल और सतपाल सिंह, पिता रिसाल सिंह की गोली बरसाकर हत्या कर दी गई थी. इस घटना में दूसरे पक्ष के बिरेंद्र सिंह पुत्र महेंद्र सिंह, विरेंद्र सिंह पुत्र साेहनपाल, सुनील सिंह पुत्र बिजेंद्र सिंह, कुंवरपाल सिंह पुत्र चेतराम सिंह और सतपाल सिंह पुत्र हरवीर सिंह सहित पांच लोगों को आजीवन कारावास हुई थी. इनमें से विरेंद्र सिंह की मौत हो चुकी है, जबकि अन्य 2021 में आजीवन कारावास की सजा काटकर जेल से बाहर आ गए थे. इसके बाद गांव छोड़कर अन्य जनपदों में जाकर रहने लगे.

दूसरे पक्ष के भी 4 लोग भी मार डाले गए : साल 1993 में बिजेंद्र सिंह पक्ष के भी दो लोगों की हत्या कर दी गई थी. आरोप रामभूल पक्ष पर लगा था. मामले में रामभूल को पुलिस ने जेल भेजा था. रंजिश के चलते दोनों परिवार गांव छोड़कर बुलंदशहर, नोएडा और गाजियाबाद में रहने लगे थे. उनके घर खंडहर हो चुके हैं. रामभूल यदा-कदा खेती करने आते थे. मौजूदा समय में रामभूल रौंडा गांव में रह रहे थे, जबकि दूसरे पक्ष के लोग नासिरपुर भैंसरोली रह रहे हैं. रामभूल के बड़े भाई श्रीपाल के मर्डर के बाद उनकी पत्नी मुनेश को ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान बनाया था. बिजेंद्र सिंह पक्ष से बिजेंद्र सिंह, महेंद्र, कृपाल, करनवीर की हत्या की गई थी. जमीन के विवाद में अब तक नौ लोगों का खून बह चुका है. नौवां कत्ल रामभूल का किया गया. जिस जमीन के लिए दोनों पक्षों का विवाद है, वह भी अब बंजर हो चुकी है.

जान बचाकर कई सालों तक छिपता रहा रामभूल : ग्रामीणों ने बताया कि गांव छोड़ने के बाद दोनों पक्षों के कुछ लोग संभल में रहे थे. सात साल बाद वे यहां से भी चले गए थे. इसके बाद रामभूल दिल्ली में रहने लगे. वह 16 वर्षों तक वहां रहे. दूसरे पक्ष ने वहां उनकी घेराबंदी की तो वह अपने बहनाई के यहां मथुरा चले गए. बाद में रौंडा गांव आकर रहने लगे. ग्रामीणों के मुताबिक रामभूल हमेशा डरा सहमा रहता था, वह अकेला था, उसे खुद की जान की फिक्र सताती थी. वह अपने पास रायफल भी रखा करता था.

जान प्यारी है तो भाग जाओ : दोनों परिवारों में चली आ रही रंजिश के कारण गांव के लोग इनके बारे में कुछ भी कहने से घबराते हैं. दबी जुबान में उन्होंने रामभूल की हत्या की पूरी कहानी बयां की. बताया कि दो बाइकों पर सवार चार नकाबपोश बदमाश आए थे. सरेराह धान बेचकर लौट रहे ट्रैक्टर को ओवरटेक किया. एक बाइक से दो बदमाश उतरे. ट्रैक्टर पर रामभूल भी थे. बदमाशों ने धमकाया कि जान प्यारी है तो रामभूल को छोड़कर भाग जाओ. ट्रैक्टर चला रहे मनोज और उसके पिता हेमराज ट्रैक्टर छोड़कर भाग गए. बदमाशों ने ट्रैक्टर के नजदीक पहुंचकर फायरिंग की. चार गोलियां रामभूल को लगी. इससे उनकी मौत हो गई.

इस तरह हत्यारों तक पहुंची पुलिस : एसएसपी श्लोक कुमार ने बताया कि पुलिस आरोपियों की तलाश में लगी थी. एक इनपुट के आधार पर थाना सलेमपुर पुलिस शिवाली-भगौली मार्ग पर रविवार को वाहन चेकिंग कर रही थी. इसी समय एक बाइक पर दो लोग आते दिखाई दिए. रुकने का इशारा करने पर वे भागने लगे. पुलिस ने पीछा किया तो एक हैंडपंप से टकराकर वे गिर गए. खुद को घिरा देखकर उन्होंने फायरिंग कर दी. एक बदमाश गोली लगने से घायल हो गया, पुलिस ने उसे पकड़ लिया. पुलिस ने दूसरे बदमाश को भी दौड़कर पकड़ लिया. घायल बदमाश की पहचान शिवकुमार पुत्र स्व. वीर सिंह निवासी नासिरपुर भैंसरोली को अस्पताल में भर्ती कराया गया. जबकि दूसरे बदमाश की पहचान इसी गांव के मुकेश पुत्र स्व. बिजेंद्र सिंह के रूप में हुई. इन्हीं दोनों ने ही रामभूल की हत्या की थी.

गिरफ्तार दोनों आरोपियों का है आपराधिक इतिहास : एसएसपी ने बताया कि मुकेश रामभूल के अलावा उसके पिता और भाइयों की हत्या में भी शामिल रहा था. वह कई सालों से फरार चल रहा था. वहीं शिवकुमार का भी आपराधिक इतिहास है. दोनों के पास से एक पिस्टल 32 बोर, एक तमंचा 315 ,3 कारतूस, एक खोखा, एक मोटरसाइकिल बरामद की गई है. सलेमपुर में दोनों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं. दोनों को जेल भेजा जा चुका है. दोनों के पिता की मौत हो चुकी है. दोनों गांव में अपने मुंह बोले चाचा के यहां रह रहे थे. दोनों आरोपियों ने पुलिस को बताया कि तीन महीने पहले उसके चाची की बीमारी से मौत हो गई थी.

चाचा ने कहा था रामभूल का मरना जरूरी है : पुलिस की की पूछताछ में दोनों आरोपियों ने बताया कि दोनों ने मुंह बोले चाचा को अपना पिता मान लिया था. चाचा ने मौत से पहले कहा था कि रंजिश के चलते कई सालों से परिवार परेशान है. छिप-छिपकर जीवन व्यतीत कर रहे हैं. रामभूल सबसे बड़ा दुश्मन है. उसका मरना जरूरी है, तभी इस विवाद को खत्म किया जा सकता है. यह बात उनके दिमाग में घर कर गई थी. इसके बाद वे रामभूल को मारने की साजिश रचने लगे थे. तीन माह से दोनों अपने बहनाई, भांजे और उसके दोस्त के साथ रेकी कर रहे थे. इसके बाद मौका मिलने पर उन्होंने रामभूल को गोलियों से भून डाला. हत्यारोपियों ने पूछताछ में बताया कि रामभूल की हत्या उन्होंने चाचा की अंतिम इच्छा पर की थी. जानकारी देने के दौरान कई बार आरोपी मुकेश की आंखें भी छलक आईं. पूछताछ पर उसने बताया कि हेड कांस्टेबल रामभूल पक्ष उनकी जमीन पर कब्जा करना चाहते थे और ईंट भट्ठे को लेकर भी विवाद था.

यह भी पढ़ें : बुलंदशहर में पूर्व आईबी कर्मचारी की हत्या, गोलियों से भूनकर उतारा मौत के घाट

पूर्व आईबी कॉन्स्टेबल को जमीनी विवाद में मारी गई थी गोली, आरोपियों ने पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए की थी हत्या

Last Updated : Nov 7, 2023, 10:35 AM IST
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