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बेसहारा गोवंशों को बुलंदशहर प्रशासन का है सहारा

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में प्रशासन ने आवारा घूम रहे गोवंशों के लिए गोशालाओं का निर्माण कराया है. इस समय सर्वाधिक बेसहारा गोवंश बुलंदशहर में संरक्षित हैं. यहां पर इनके रखरखाव की प्रशासन द्वारा व्यवस्था की गई है.

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आावरा घूम रहे गोवंशों के लिए गोशालाओं का निर्माण .
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Published : Feb 8, 2020, 1:04 PM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: जिले में बेसहारा गोवंश का रखरखाव जिला प्रशासन के द्वारा किया जा रहा है. जिले में कुल ग्रामीण और नगरीय क्षेत्र में 150 गोशाला हैं जो कि जिला प्रशासन की देखरेख में हैं, जिसमें 11289 बेसहारा गोवंश वर्तमान में हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बुलंदशहर सबसे बड़ा जिला भी है.

आावरा घूम रहे गोवंशों के लिए गोशालाओं का निर्माण .

पूरे मेरठ मंडल की बात की जाए तो बेसहारा गोवंश भी यहां सर्वाधिक हैं. यही वजह है कि पिछले साल जनवरी में जब योगी सरकार के द्वारा गोवंशों के संरक्षण के लिए आश्रय स्थल बनाने की मुहिम छेड़ी गई तो यहां अब तक कुल डेढ़ सौ आश्रय स्थल फिलहाल वर्तमान में हैं, जिसमें से ग्रामीण क्षेत्रों में 133 गोआश्रय स्थल हैं, जबकि नगरीय क्षेत्रों में 12 गोआश्रय स्थल बनाये गए हैं. इन गोशालाओं में कुल 11289 गोवंश हैं.

जिले की डेढ़ सौ आश्रय स्थलों में से ग्रामीण क्षेत्र के 133 गोशालाओं में कुल डेढ़ 7527 गोवंश हैं, जबकि शहरी क्षेत्र में कुल स्थापित 17 गोशालाओं में 2139 गोवंश वर्तमान में हैं ,जबकि इनके अलावा एक वृहद गो संरक्षण केंद्र है. उसमें करीब 228 गोवंश वर्तमान में हैं, तो वहीं स्वेच्छा से जो ग्रामीण क्षेत्र में इच्छुक 511 पशुपालक हैं, जो कि करीब 757 गोवंशों का जिम्मा उठा रहे हैं, जबकि नगरीय क्षेत्र में 172 गोपालक कुल 270 गोवंशों को संरक्षित किये हुए हैं.

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पूरे मेरठ मण्डल में सर्वाधिक गोवंश बुलंदशहर जिले में संरक्षित हैं. साथ ही यहां लगातार सभी गोवंशों की निगरानी समय समय पर की जाती है. साथ ही उन्होंने ये भी जानकारी दी कि गोशालाओं में जो केयरटेकर हैं, उन्हें खासतौर से ग्रामीण क्षेत्र की गोशालाओं में प्रधान के स्तर से ही अभी सिर्फ मानदेय की व्यवस्था है.
डॉ. लक्ष्मी नारायण,मुख्य पशु चिकित्साधिकारी,बुलंदशहर

बुलंदशहर: जिले में बेसहारा गोवंश का रखरखाव जिला प्रशासन के द्वारा किया जा रहा है. जिले में कुल ग्रामीण और नगरीय क्षेत्र में 150 गोशाला हैं जो कि जिला प्रशासन की देखरेख में हैं, जिसमें 11289 बेसहारा गोवंश वर्तमान में हैं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बुलंदशहर सबसे बड़ा जिला भी है.

आावरा घूम रहे गोवंशों के लिए गोशालाओं का निर्माण .

पूरे मेरठ मंडल की बात की जाए तो बेसहारा गोवंश भी यहां सर्वाधिक हैं. यही वजह है कि पिछले साल जनवरी में जब योगी सरकार के द्वारा गोवंशों के संरक्षण के लिए आश्रय स्थल बनाने की मुहिम छेड़ी गई तो यहां अब तक कुल डेढ़ सौ आश्रय स्थल फिलहाल वर्तमान में हैं, जिसमें से ग्रामीण क्षेत्रों में 133 गोआश्रय स्थल हैं, जबकि नगरीय क्षेत्रों में 12 गोआश्रय स्थल बनाये गए हैं. इन गोशालाओं में कुल 11289 गोवंश हैं.

जिले की डेढ़ सौ आश्रय स्थलों में से ग्रामीण क्षेत्र के 133 गोशालाओं में कुल डेढ़ 7527 गोवंश हैं, जबकि शहरी क्षेत्र में कुल स्थापित 17 गोशालाओं में 2139 गोवंश वर्तमान में हैं ,जबकि इनके अलावा एक वृहद गो संरक्षण केंद्र है. उसमें करीब 228 गोवंश वर्तमान में हैं, तो वहीं स्वेच्छा से जो ग्रामीण क्षेत्र में इच्छुक 511 पशुपालक हैं, जो कि करीब 757 गोवंशों का जिम्मा उठा रहे हैं, जबकि नगरीय क्षेत्र में 172 गोपालक कुल 270 गोवंशों को संरक्षित किये हुए हैं.

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पूरे मेरठ मण्डल में सर्वाधिक गोवंश बुलंदशहर जिले में संरक्षित हैं. साथ ही यहां लगातार सभी गोवंशों की निगरानी समय समय पर की जाती है. साथ ही उन्होंने ये भी जानकारी दी कि गोशालाओं में जो केयरटेकर हैं, उन्हें खासतौर से ग्रामीण क्षेत्र की गोशालाओं में प्रधान के स्तर से ही अभी सिर्फ मानदेय की व्यवस्था है.
डॉ. लक्ष्मी नारायण,मुख्य पशु चिकित्साधिकारी,बुलंदशहर

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विशेष

मेरठ मंडल में बुलंदशहर जिले में सर्वाधिक बेसहारा गोवंश का रखरखाव जिला प्रशासन के द्वारा किया जा रहा है, बुलंदशहर जिले में कुल ग्रामीण और नगरीय क्षेत्र में 150 गौशाला हैंजो कि जिला प्रशासन की देखरेख में हैं बुलंदशहर जिले में 11289 बेसहारा गोवंश वर्तमान में हैं,आखिर कैसे क्या व्यवस्थाएं हैं और क्या दिक्कतें जिला प्रशासन को आती हैं ,इसी पर पेश है बुलंदशहर से पड़तालपूर्ण ये खास खबर ।


special....




note... शुक्रवार को विशेष खबर प्रेषित की गई थी,गन्ना किसानों के पिछले साल के पेराई स्तर के सम्बन्ध में लेकिन खबर के साथ उचित ट्रीटमेंट नहीं किया गया,कृपया अनुरोध है खबर पर हो सके तो एक बार गौर करने का कष्ट करें।
धन्यवाद।


Body:यूं तो बुलंदशहर जनपद को कृषि प्रधान जिला कहा जाता है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश का बुलंदशहर सबसे बड़ा जिला भी है, साथ ही यहां की अगर बात की जाए तो यह पशुपालकों का भी क्षेत्र है,क्योंकि यहां काफी संख्या में लोग न सिर्फ गोवंशों को बल्कि उनके अलावा अन्य पालतू पशुओं को भी व्यवसायिक लाभ हेतु बल्कि निजी स्तर पर भी पालते हैं,

वहीं अगर पूरे मेरठ मंडल की बात की जाए तो बेसहारा गोवंश भी यहां सर्वाधिक हैं, यही वजह है कि पिछले साल जनवरी में जब योगी सरकार के द्वारा गोवंशों के संरक्षण के लिए आश्रय स्थल बनाने की मुहिम छेड़ी गई तो यहां अब तक कुल डेढ़ सौ आश्रय स्थल फिलहाल वर्तमान में हैं,जन्मे से ग्रामीण क्षेत्रों में 133 गौआश्रय स्थल हैं जबकि नगरीय क्षेत्रों में 12 गौआश्रय स्थल बनाये गए हैं इन गौशालाओं में कुल 11289 गोवंश हैं ,

जिले की डेढ़ सौ आश्रय स्थलों में से ग्रामीण क्षेत्र के 133 गौशालाओं में कुल डेढ़ 7527 गौवंश हैं ,जबकि शहरी क्षेत्र में कुल स्थापित 17 गऊशालाओं में 2139 गोवंश वर्तमान में हैं ,जबकि इनके अलावा एक वृहद गो संरक्षण केंद्र है उसमें करीब 228 गोवंश वर्तमान में हैं,तो वहीं स्वेच्छा से जो ग्रामीण क्षेत्र में इच्छुक 511 पशुपालक हैं, जो कि करीब 757 गोवंशों का जिम्मा उठा रहे हैं जबकि नगरीय क्षेत्र में 172 गौपालक कुल 270 गोवंशों को संरक्षित किये हुए हैं ।
हालांकि सरकार की तरफ से मिलने वाली 30 रुपये प्रति गोवंश धनराशि इन्हें भी सरकार के द्वारा प्रदान की जा रही है।
इस बारे में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉक्टर लक्ष्मीनारायण कहते हैं कि पूरे मेरठ मण्डल में सर्वाधिक गोवंश बुलंदशहर जिले में संरक्षित हैं,साथ ही यहां लगातार सभी गोवंशों की निगरानी समय समय पर की जाती है ,साथ ही उन्होंने ये भी जानकारी दी कि गौशालाओं में जो केयरटेकर हैं उन्हें खासतौर से ग्रामीण क्षेत्र की गऊशालाओं में प्रधान के स्तर से ही अभी सिर्फ मानदेय की व्यवस्था है,अलग से कोई सहयोग उनके कार्य के लिए नहीं मिलता।
बाइट.....डॉक्टर लक्ष्मी नारायण,मुख्य पशु चिकित्साधिकारी,बुलंदशहर।
पीटीसी.....श्रीपाल तेवतिया।




Conclusion:श्रीपाल तेवतिया,

बुलंदशहर,

9213400888.
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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