बुलंदशहर: जिले के शिकारपुर थाना क्षेत्र स्थित एक इंटर कॉलेज में दसवीं के छात्र ने मामूली सी बात पर अपने ही सहपाठी को लाइसेंसी पिस्टल से गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था. इस घटना से बच्चों की सोच को लेकर भी सवाल खड़े हो गए थे. आखिर ऐसी क्या वजह थी कि मामूली सी बात पर दसवीं के छात्र ने नाराज होकर अपने ही सहपाठी की जान ले ली. इस पूरे मामले की जांच करने के लिए शनिवार को उत्तर प्रदेश बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष शिकारपुर पहुंचे. उन्होंने सूरज भान इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल और अध्यापकों से बात कर पूरे मामले की हकीकत जानी.
ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चे समाज से हुए दूर
बाल आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि वह युवाओं में बढ़ते गुस्से को लेकर बेहद चिंतित हैं. उनका कहना है कि कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करते-करते बच्चे समाज से दूर होते जा रहे हैं. सभी बच्चों के माता-पिता को यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि ऑनलाइन पढ़ाई करते-करते बच्चा कहीं कंप्यूटर या मोबाइल पर हिंसक गेम्स या मनोरंजन के साधन तो नहीं तलाश रहा है. बाल आयोग के अध्यक्ष का मानना है कि घर पर रहकर ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने से जहां बच्चे आपस में एक-दूसरे से दूर हो गए, वहीं खेलकूद न होने से बच्चों की मानसिक दशा खराब हो रही है. बच्चे जब स्कूल आते हैं तो स्कूल में बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ अलग-अलग तरह की डिबेट, खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं. वहीं, समय-समय पर परिवार के साथ-साथ विद्यालय में अध्यापक भी बच्चों का मार्गदर्शन करते हैं, जिससे बच्चे गलत रास्ते पर जाने से बचते हैं.
ऑनलाइन शिक्षा से बच्चों पर बना मानसिक दबाव
बाल आयोग के अध्यक्ष का मानना है कि ऑनलाइन शिक्षा लेते-लेते बच्चों पर मानसिक दबाव बना है. वहीं, बच्चे एकाकी होते जा रहे हैं, जिसकी वजह से बच्चे अपनी किसी भी तरह की परेशानी को माता-पिता या अध्यापक से साझा नहीं कर पाते. इसीलिए अब उत्तर प्रदेश के स्कूलों को एक एडवाइजरी जारी की जाएगी, जिसमें विद्यालय में शिक्षकों को सिखाया जाएगा कि वह किस तरीके से बच्चों के साथ मित्रतापूर्वक व्यवहार करें. साथ ही माता-पिता को भी समझाया जाएगा कि बच्चों पर विशेष नजर रखते हुए यह ध्यान रखें कि बच्चा मोबाइल या टीवी पर कहीं हिंसक मूवी या हिंसक गेम की ओर रुझान तो नहीं रखता है.
बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता स्कूल के अध्यापक से बात करने के बाद मृतक छात्र टार्जन के परिजनों से मिलने उसके घर गए. साथ ही आरोपी छात्र की मानसिक दशा जानने के लिए बाल सुधार गृह भी गए.