बुलंदशहर: करगिल युद्ध में आज से 20 साल पहले 26 जुलाई को ही भारत के वीर सपूतों ने करगिल में जीत का परचम लहराया था. करगिल विजय दिवस के मौके पर जिले के सैदपुर गांव में आज कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. इस मौके पर पूर्व सैनिकों और एनसीसी के कैडेट्स ने एक साथ शहीदों को नमन किया. यह जिला 'सैनिकों के गांव' के नाम से भी पहचान जाता है. इस गांव में प्रत्येक घर में सैनिक हैं, जो कि देश की सरहदों पर सेवा कर रहे हैं.
फौजियों के गांव में शहीदो को सलाम:
- देश भर में करगिल विजय दिवस की 20वीं सालगिरह मनाई जा रही है.
- करगिल शहीदों सहित देश के तमाम शहीदों की शहादत को नमन किया जा रहा है.
- सैदपुर गांव की अपनी एक अलग पहचान है.
- पूर्व में इस गांव में सेना की भर्ती भी हुआ करती थी.
- गांव में स्थित स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को भी आर्मी के लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाती है
- इस गांव के लगभग हर घर में फौजी है जो देश सेवा में तत्पर है.
- सैदपुर के लगभग ढाई सौ से अधिक जवान अनेक युद्धों में शहादत दे चुके हैं.
पाक सेना के 400 से ज़्यादा घुसपैठियों को ढेर किया था:
- गांवों में शहीदों के बलिदानों के बारे में बताते हुए माता पिता अपने बच्चों को, सेना के लिए तैयार करते हैं.
- पाक सेना के 400 से ज़्यादा घुसपैठियों को ढेर किया था.
- शहीद ऋषिपाल ने 15 से ज़्यादा गोलियां खाने के बाद भी पाक सेना के कई घुसपैठियों को ढेर कर दिया था.
- परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव ने 20 से ज़्यादा गोली खाकर भी कारगिल पर तिरंगा फहराया था.
माइनस डिग्री तापमान में 18 हजार फुट ऊंचे बर्फीले पहाड़ों पर चढ़कर करगिल युद्ध लड़ने वाले वीर सपूतों की जानकारी के साथ-साथ, सैदपुर के बच्चे बच्चे को चीन-पाकिस्तन से होने वाले हर एक युद्ध मानों उंगलियों पर याद है. यहां मां अपने बच्चों को बचपन से क्रांतिकारी और देश पर हंसते-हंसते प्राण न्यौछावर करने वाले वीर सपूतों के किस्से सुनाती हैं.