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बुलंदशहर: करगिल विजय दिवस के मौके वीर सपूतों को नमन

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में सैदपुर गांव में करगिल विजय दिवस को लेकर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. इस अवसर पर पूर्व सैनिकों और एनसीसी के स्टूडेंट्स ने उन शहीदों को नमन किया, जो देश की रक्षा में अपनी जान न्योछावर कर गए.

सैनिकों के गांव में वीर सपूतों को नमन
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Published : Jul 27, 2019, 12:25 AM IST

Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST

बुलंदशहर: करगिल युद्ध में आज से 20 साल पहले 26 जुलाई को ही भारत के वीर सपूतों ने करगिल में जीत का परचम लहराया था. करगिल विजय दिवस के मौके पर जिले के सैदपुर गांव में आज कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. इस मौके पर पूर्व सैनिकों और एनसीसी के कैडेट्स ने एक साथ शहीदों को नमन किया. यह जिला 'सैनिकों के गांव' के नाम से भी पहचान जाता है. इस गांव में प्रत्येक घर में सैनिक हैं, जो कि देश की सरहदों पर सेवा कर रहे हैं.

फौजियों के गांव में शहीदो को सलाम:

  • देश भर में करगिल विजय दिवस की 20वीं सालगिरह मनाई जा रही है.
  • करगिल शहीदों सहित देश के तमाम शहीदों की शहादत को नमन किया जा रहा है.
  • सैदपुर गांव की अपनी एक अलग पहचान है.
  • पूर्व में इस गांव में सेना की भर्ती भी हुआ करती थी.
  • गांव में स्थित स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को भी आर्मी के लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाती है
  • इस गांव के लगभग हर घर में फौजी है जो देश सेवा में तत्पर है.
  • सैदपुर के लगभग ढाई सौ से अधिक जवान अनेक युद्धों में शहादत दे चुके हैं.
    विजय दिवस के मौके वीर सपूतों को नमन.

पाक सेना के 400 से ज़्यादा घुसपैठियों को ढेर किया था:

  • गांवों में शहीदों के बलिदानों के बारे में बताते हुए माता पिता अपने बच्चों को, सेना के लिए तैयार करते हैं.
  • पाक सेना के 400 से ज़्यादा घुसपैठियों को ढेर किया था.
  • शहीद ऋषिपाल ने 15 से ज़्यादा गोलियां खाने के बाद भी पाक सेना के कई घुसपैठियों को ढेर कर दिया था.
  • परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव ने 20 से ज़्यादा गोली खाकर भी कारगिल पर तिरंगा फहराया था.

माइनस डिग्री तापमान में 18 हजार फुट ऊंचे बर्फीले पहाड़ों पर चढ़कर करगिल युद्ध लड़ने वाले वीर सपूतों की जानकारी के साथ-साथ, सैदपुर के बच्चे बच्चे को चीन-पाकिस्तन से होने वाले हर एक युद्ध मानों उंगलियों पर याद है. यहां मां अपने बच्चों को बचपन से क्रांतिकारी और देश पर हंसते-हंसते प्राण न्यौछावर करने वाले वीर सपूतों के किस्से सुनाती हैं.

बुलंदशहर: करगिल युद्ध में आज से 20 साल पहले 26 जुलाई को ही भारत के वीर सपूतों ने करगिल में जीत का परचम लहराया था. करगिल विजय दिवस के मौके पर जिले के सैदपुर गांव में आज कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. इस मौके पर पूर्व सैनिकों और एनसीसी के कैडेट्स ने एक साथ शहीदों को नमन किया. यह जिला 'सैनिकों के गांव' के नाम से भी पहचान जाता है. इस गांव में प्रत्येक घर में सैनिक हैं, जो कि देश की सरहदों पर सेवा कर रहे हैं.

फौजियों के गांव में शहीदो को सलाम:

  • देश भर में करगिल विजय दिवस की 20वीं सालगिरह मनाई जा रही है.
  • करगिल शहीदों सहित देश के तमाम शहीदों की शहादत को नमन किया जा रहा है.
  • सैदपुर गांव की अपनी एक अलग पहचान है.
  • पूर्व में इस गांव में सेना की भर्ती भी हुआ करती थी.
  • गांव में स्थित स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को भी आर्मी के लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाती है
  • इस गांव के लगभग हर घर में फौजी है जो देश सेवा में तत्पर है.
  • सैदपुर के लगभग ढाई सौ से अधिक जवान अनेक युद्धों में शहादत दे चुके हैं.
    विजय दिवस के मौके वीर सपूतों को नमन.

पाक सेना के 400 से ज़्यादा घुसपैठियों को ढेर किया था:

  • गांवों में शहीदों के बलिदानों के बारे में बताते हुए माता पिता अपने बच्चों को, सेना के लिए तैयार करते हैं.
  • पाक सेना के 400 से ज़्यादा घुसपैठियों को ढेर किया था.
  • शहीद ऋषिपाल ने 15 से ज़्यादा गोलियां खाने के बाद भी पाक सेना के कई घुसपैठियों को ढेर कर दिया था.
  • परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव ने 20 से ज़्यादा गोली खाकर भी कारगिल पर तिरंगा फहराया था.

माइनस डिग्री तापमान में 18 हजार फुट ऊंचे बर्फीले पहाड़ों पर चढ़कर करगिल युद्ध लड़ने वाले वीर सपूतों की जानकारी के साथ-साथ, सैदपुर के बच्चे बच्चे को चीन-पाकिस्तन से होने वाले हर एक युद्ध मानों उंगलियों पर याद है. यहां मां अपने बच्चों को बचपन से क्रांतिकारी और देश पर हंसते-हंसते प्राण न्यौछावर करने वाले वीर सपूतों के किस्से सुनाती हैं.

Intro:कारगिल विजय दिवस के मौके पर बुलंदशहर के सैदपुर गांव में आज कई कार्यक्रम आयोजित किए गए, इस मौके पर पूर्व सैनिकों और एनसीसी के स्टूडेंट्स ने एक साथ शहीदों को नमन किया। हम आपको बता दें कि बुलंदशहर जिले में सैदपुर गांव सैनिकों के गांव के नाम से भी पहचान जाता है। इस गांव में प्रत्येक घर में सैनिक है जो कि देश की सरहदों पर सेवा कर रहा है, रिपोर्ट देखिएBody:फौजियों के गांव में शहीदो को सलाम

आज सारा देश कारगिल विजय की 20वीं सालगिरह मना रहा है, और बुलन्दशहर में फौजियों के गांव सैदपुर में भी कारगिल शहीदों सहित देश के तमाम शहीदों की शहादत को नमन किया जा रहा है यही नहीं सैदपुर में फौजी जहां भारत के प्रधानमंत्री से पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देने की बात कह रहे हैं वही एनसीसी कैडेट्स भी देश सेवा का जज्बा भरते दिखाई दे रहे हैं, दरअसल सैदपुर गांव की अपनी एक अलग पहचान है ,पूर्व में यहां सेना की भर्ती भी हुआ करती थी, यहां हर घर में फौजी है जो देश सेवा में तत्पर है सैदपुर के लगभग ढाई सौ से अधिक जवान अनेक युद्धों में शहादत दे चुके हैं

60 दिन तक चले कारगिल युद्ध में आज से 20 साल पहले 26 जुलाई को ही भारत के वीर सपूतों ने कारगिल में जीत का परचम लहराया था।कारगिल युद्ध में बुलन्दशहर के लाल ऋषिपाल के बलिदान, और योगेंद्र यादव के साहस के, बुलन्दशहर में आज भी ना सिर्फ किस्से सुनाए जाते हैं, बल्कि बुलन्दशहर में कई गांवों में शहीदों के बलिदानों के बारे में बताते हुए माता पिता अपने बच्चों को, सेना के लिए तैयार करते हैं।

भारत के वीर सपूतों ने अपने प्राण देश पर न्यौछावर करते हुए पाक सेना के 400 से ज़्यादा घुसपैठियों को ढेर किया था।

इस युद्ध के दौरान बुलन्दशहर के लाल शहीद ऋषिपाल ने 15 से ज़्यादा गोलियां खाने के बाद भी पाक सेना के कई घुसपैठियों को ढेर कर दिया था।

जबकि परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव ने 20 से ज़्यादा गोली खाकर भी कारगिल पर तिरंगा फहराया था।

कारगिल युद्ध के हीरो योगेंद्र यादव को प्रणवीर चक्र से सम्मानित किया गया था और वहीं गुलावठी ब्लॉक के कुरली गांव के कारगिल में शहीद हुए ऋषिपाल के किस्से सुनकर, ना सिर्फ हर बुलन्दशहर वासी, बल्कि हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ जाता है।

बुलन्दशहर के ऐसे कई गांव हैं जिनमें ऋषिपाल, और योगेंद्र जैसे जांबाजों के किस्से सुनकर गांव में रहने वाले ज़्यादातर परिवारों में से लोग सेना में गए, बल्कि आज भी इन गांवों के सैंकड़ो जवान सरहदों पर रहकर देश की रक्षा कर रहे हैं।
बुलन्दशहर के सैदपुर गाँव की बात करें तो यहां ज़्यादातर परिवारों में से एक ना एक बेटा सेना में है।
जबकि इन परिवारों के बुजुर्ग भी सेना में जर्नल-कर्नल पद से रिटायर हैं, और उन सभी का मानना है कि पाकिस्तान ही नहीं बल्कि उसकी सेना भी बुझदिल है।


बाइट- स्वरूप सिंह( शौर्य चक्र विजेता)

बाइट- हवलदार गजेंद्र सिंह(रिटायर फौजी)


माइनस डिग्री तापमान में 18 हज़ार फुट ऊंचे बर्फ़ीले पहाड़ों पर चढ़कर करिगिल युद्ध लड़ने वाले वीर सपूतों की जानकारी के साथ-साथ सैदपुर के बच्चे बच्चे को चीन-पाकिस्तन से होने वाले हर एक युद्ध मानों उंगलियों पर याद है।
युवाओं का यही जज़्बा है जो उन्हें देश की रक्षा के लिए तैयार करता है, मां यहां अपने बच्चों को बचपन क्रांतिकारी, और देश पर हँसते हँसते प्राण न्यौछावर करने वाले वीर सपूतों के किस्से सुनाती हैं, जबकि गांव में स्तिथ स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों को भी आर्मी के लिए विशेष ट्रेनिंग दी जाती है।

बाइट- पूजा कोरी(फौज की तैयारी कर रही कैडेट)

सैदपुर समेत अलग अलग गांवों में रहने वाले बुलन्दशहर के कितने ही लालों ने करगिल समेत कई युद्धों में ना सिर्फ हिस्सा लिया है, बल्कि समय समय पर देश के लिए बलिदान भी दिए हैं, और वो बलिदान यहां के युवाओं के लिए ना सिर्फ प्रेरणास्रोत साबित होते बल्कि उन्हें देश के लिए कुछ कर गुजरने के लिए तैयार भी करते हैं।
इस मौके पर कारगिल में शहीद हुए एक सैनिक के बेटे का कहना है कि उन्हें अपने पिता की शहादत पर गर्व है।

श्रीपाल तेवतिया,
बुलन्दशहर,
9213400888Conclusion:
Last Updated : Sep 17, 2020, 4:28 PM IST
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