बिजनौर: उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बॉर्डर पर कालागढ़ डैम पर 1972 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को बांध के श्रमिकों ने अपने खून पसीने की कमाई से उनके वजन के बराबर चांदी के सिक्के भेंट किए थे. उस समय लगभग 64 किलो चांदी के सिक्कों को श्रमिकों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को दिए थे. इसके बाद इन सिक्कों को बिजनौर के राजकीय कोषागार में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा दे दिया गया था. तब से आज तक चांदी के सिक्के राजकीय कोषागार में रखे हुए हैं.
पाकिस्तान से युद्ध और बांग्लादेश बनने के बाद अप्रैल 1972 में देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का स्वागत करने के लिए कालागढ़ डैम बना रहे श्रमिकों ने कॉलोनी में प्रधानमंत्री को बुलाया था. पता चला है कि श्रमिकों ने कालागढ़ बांध को रात में दीपावली की तरह दीपों से सजाकर कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम में लगभग 20 हजार से अधिक श्रमिकों ने अपने 1 दिन का वेतन इंदिरा गांधी को उपहार स्वरूप भेंट किया था. इस रकम से इंदिरा गांधी को उनके वजन के बराबर 64 किलो चांदी के सिक्के श्रमिकों द्वारा भेंट किए गए थे. यह सिक्के आज भी बिजनौर के राजकीय कोषागार में रखे हुए हैं.
कांग्रेस के पुराने व कर्मठ नेता मनीष त्यागी ने बताया कि 1974 में इन 64 किलोग्राम के चांदी के सिक्कों को राजकीय कोषागार नासिक भेजने का निर्णय लिया गया था. लेकिन, सुरक्षा बीमा और यातायात का खर्च इतना अधिक आने की वजह से उस समय इन 64 किलोग्राम के चांदी के सिक्कों को यही रखने का फैसला किया गया था. बरहाल यह भी पता चला है कि आज भी 64 किलोग्राम के यह चांदी के अनमोल सिक्के बिजनौर के राजकीय कोषागार में रखे हुए हैं. गांधी परिवार से भी इन सिक्कों को लेकर किसी ने आज तक कोई अपील राजकीय कोषागार बिजनौर में नहीं की है.
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