बिजनौर: प्रदेश में पर्याप्त ऑक्सीजन और कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए समुचित व्यवस्था का दावा करने से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यदि बिजनौर के जिला अस्पताल देख आते तो शायद ऐसा दावा न करते. अस्पताल की दीवारें मरीजों के दर्द से कराह रही हैं, तो पूरा अस्पताल उनके परिजनों की चीख-पुकार से गूंज रहा है. चाहे जिस भी वार्ड में आप चले जाएं, कोई दवा के बिना तो कोई ऑक्सीजन के बिना तड़प रहा है. अस्पताल के डॉक्टर तय राउंड के अलावा क्या गरज कि मरीजों को देखने आ जाएं. चाहे कोरोना संक्रमित मरीज हों या किसी और बीमारी से ग्रसित. बिजनौर तो महज एक बानगी, बाकी जिला अस्पतालों की हालत का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं.
कोई सुनने वाला नहीं
मरीजों के परिजनों का सीधा आरोप है कि न तो यहां कोई मेडिकल स्टाफ है और न ही ऑक्सीजन की सुविधा. स्वास्थ्य विभाग का कोई भी डॉक्टर या कर्मचारी किसी को कुछ भी बताने को तैयार नहीं है. परिजन अपने मरीजों को बचाने के लिए हर संभव उपाय में लगे हैं. यहां का नजारा देख किसी का भी कलेजा फट जाए, लेकिन मजाल है, जो जिले के डीएम या सीएमओ हरकत में आएं या आपकी शिकायत पर कुछ प्रतिक्रिया भी दें.
अस्पताल में मरीजों का हाहाकार
हम आपको नजारा दिखा रहे हैं बिजनौर जिला अस्पताल के एल-2 वार्ड का, जहां कोरोना संक्रमितों का इलाज किया जा रहा है. लेकिन समय से ऑक्सीजन और अन्य सुविधाएं न मिलने के कारण मरीजों और उनके परिजनों का हाल बेहाल है. बिजनौर के डीएम रमाकांत पांडे व सीएमओ विजय कुमार यादव इन तस्वीरों को लेकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. परिजनों की मानें तो अस्पताल में ना तो कोई ढंग का डॉक्टर है न ही कोई सुविधा है.
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परिजनों का है ये आरोप
मरीजों के परिजनों का साफ तौर से आरोप है कि किसी भी मरीज को कोई भी इलाज नहीं मिल रहा है. मरीज के परिजन अस्पताल परिसर में रोने और गिड़गिड़ाने को मजबूर हैं. इसके बावजूद भी स्वास्थ्य महकमा उनकी कोई भी सुध नहीं ले रहा है. परिजनों का आरोप है कि कोई भी अधिकारी उनकी सुनने को तैयार नहीं है. जनपद बिजनौर में गुरुवार तक कुल एक्टिव मरीजों की संख्या 3129 है, जबकि कुल 75 कोविड मरीजों की मौतें हो चुकी हैं.