बस्ती: ग्रामीण क्षेत्रों में खेल प्रतिभा को निखारने के लिए 'खेलो इंडिया योजना' के तहत देश भर में मिनी स्टेडियम बनाने की प्रधानमंत्री मोदी की सोच पर जिले में पलीता लगता हुआ नजर आ रहा है. दरअसल, गांव में खिलाड़ियों को प्रैक्टिस करने के लिए न तो खेल मैदान होते हैं और न ही कोई सुविधा. इसे लेकर सरकार ने खेलो इंडिया की शुरूआत की है. जिसमें गांव में मिनी स्टेडियम बनाने का प्रस्ताव है. गौरतलब है कि जिन गांव में प्रस्ताव पास हुए. वहां काम भी शुरू हुआ और स्टेडियम बनकर भी तैयार है. मगर अब ये खेल स्टेडियम महज एक शो पीस बनकर ही रह गए हैं.
बस्ती जिले में एक ऐसा ही मिनी स्टेडियम 2 करोड़ 98 लाख की लागत से बनकर तैयार खड़ा है और इंतजार कर रहा है कि कब साहब की नजरें इनायत होगी और स्टेडियम आम खिलाड़ियों के लिए खोले जाएंगे.
दुबौलिया ब्लॉक क्षेत्र के सूदीपुर ग्राम पंचायत के बरगदहिया में अगस्त 2019 में जब करोडों की लागत से मिनी स्टेडियम बनना शुरू हुआ तो क्षेत्र के युवाओं को यह उम्मीद जगी की. अब हमें गांव के पगडंडियों और खेतों मे खेलना और दौड़ना नहीं पड़ेगा. अब वे लोग भी शहरों जैसी स्टेडियम वाली सुविधा के बीच पसंदीदा खेल की प्रैक्टिस कर सकेंगे, लेकिन तीन वर्ष बीतने को है और क्षेत्र के युवाओं का स्टेडियम के हरी घास पर दौड़ने का सपना आज भी अधूरा है.
हर्रेया विधायक अजय सिंह के प्रयास से 'खेलो इंडिया खेलो' के तहत वित्तीय वर्ष 2017-18 में 2 करोड़ 98 लाख की लागत से बदरगदिया में स्टेडियम का निर्माण शुरू हुआ. जिसमें एक मल्टीपर्पज हॉल, बाउंड्रीवाल एवं एथलेटिक्स ग्राउंड का निर्माण वर्ष 2020 तक होना था, लेकिन अभी तक सिर्फ मल्टीपर्पज हाल व बाउड्रीवाल ही बन कर तैयार हुआ. जबकी एथलेटिक्स ग्राउंड पर आज भी उबड़-खाबड़ और खर पतवार उगे हैं. हालंकि एक वर्ष पूर्व हर्रैया विधायक अजय सिंह ने स्टेडियम के मल्टीपर्पज हाल मे कजरी महोत्सव जरूर करवाया था. वर्ष 2022 में भी क्षेत्र के युवाओं का स्टेडियम मे दौड़ने का सपना और अपने खेल को निखारने का सपना आज भी अधूरा है.
प्रभारी डीएम राजेश प्रजापति ने बताया कि स्टेडियम एक वर्ष पूर्व ही पूरी तरह से बन कर तैयार हो गया है. क्या कारण है कि हैंड ओवर नहीं हुआ इसकी फाइल तलब की गई है और जल्द ही खिलाड़ियों के लिए स्टेडियम खोल दिया जाएगा. विभागीय जानकारी के अनुसार सभी तरह की जांच भी हो चुकी है. युवाओं के लिए बने स्टेडियम में युवाओं को खेलने कूदने का मौका मिले, लेकिन अभी तक बिल्डिंग ही हैण्ड ओवर नहीं हो पाया है. इससे कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं.
इसे भी पढे़ं- साहब ! जब यह रहेगा स्टेडियम का हाल, तो कैसे आएंगे ओलंपिक मेडल