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बस्ती: ग्रामीणों ने प्रधान पर विकास कार्य के नाम पर घोटाला करने का लगाया आरोप

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में एक ग्राम प्रधान पर विकास के नाम पर सरकारी धन का बंदरबाट करने का आरोप लगा है. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान के भ्रष्ट रवैये के चलते लोग शासन से मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं से भी मरहूम हैं. उन्होंने बताया कि ग्राम समाज की जमीन पर भी तमाम अनियमितताएं की गई हैं.

villagers opposed gram pradhan in basti
डारीडीहा गांव में प्रधान पर ग्रामीणोंं ने भ्रष्टाचार का लगाया आरोप.
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Published : Sep 10, 2020, 8:01 PM IST

बस्ती: जिले के बहादुरपुर ब्लॉक के एक गांव में विकास के नाम पर लाखों रुपये का बंदरबाट किया गया. मामले का खुलासा उस वक्त हुआ, जब ग्रामीणों ने इसकी शिकायत की. ग्रामीणों का आरोप है कि शासन स्तर से आई लगभग 35 लाख रुपये की धनराशि का प्रधान ने गबन कर लिया है. इतना ही नहीं, लोगों से आवास के नाम पर पैसे भी लिए गए. मजदूरी का पैसा भी लाभार्थियों को नहीं मिला. वहीं शिकायत पर डीएम ने जिला कृषि अधिकारी को जांच सौंपी. ग्रामीणों का आरोप है कि जांच अधिकारी महीनों बाद भी गांव नहीं पहुंचे, सिर्फ तारीख पर तारीख दे रहे हैं.

मामला बहादुरपुर ब्लॉक के डारीडीहा गांव का है. आरोप है कि यहां के प्रधान ने जमकर सरकारी पैसे का बंदरबांट किया. आलम यह है कि पुराने काम को दिखाकर या आधा अधूरा काम कराकर पैसा गबन कर लिया गया. ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान के भ्रष्ट रवैये के चलते ग्रामीणजन शासन से मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं से भी मरहूम हैं.

ग्रामीणों ने बताया कि प्रधान ने चकरोट, खड़ंजा और इंटरलॉकिंग समेत तमाम काम सिर्फ कागजों में दिखाकर सरकारी पैसे का बंदरबाट किया है. गांव में जमीनी स्तर पर कुछ विकास नहीं है. ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम समाज की जमीन पर भी तमाम अनियमितताएं की गई हैं. नाले की जगह तालाब खुदवा दिया गया तो कहीं चकरोड बना दिया गया.

ग्रामीणों ने कहा कि आवास के नाम पर पैसे की वसूली की जाती है. जिनको आवास मिला है, उनका भी आरोप है कि उनसे 10 हजार रुपये लिए गए. ग्रामीणों का आरोप है कि मनरेगा में भी घोटाला हुआ है. बाहर से आने वालों प्रवासी कामगारों को न तो काम दिया गया और न ही राशन किट दी गयी. उन्होंने बताया कि पूछने पर प्रधान कहते हैं कि ब्लॉक पर भी पैसा देना पड़ता है.

ये भी पढ़ें: बस्ती: शौचालय निर्माण के लिए मिले पैसे का दुरुपयोग कर रहे लोग, नोटिस जारी

शिकायतकर्ता चन्द्रदेव पांडे ने कहा कि प्रधान की शिकायत चार महीने पहले डीएम और सीडीओ से की थी, जिसके बाद जांच जिला कृषि अधिकारी को मिली थी, लेकिन वो सिर्फ तारीख पर तारीख दे रहे हैं. एक महीने बाद भी आज तक उन्हें वीडियो कांफ्रेंसिंग और मीटिंग से फुर्सत नहीं मिली. बार-बार शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

डीएम के निर्देश पर मुझे जांच अधिकारी बनाया गया है. अभी इसकी जांच हो नही पाई है. लेकिन जल्द ही मामले की जांच कराई जाएगी. बिन्दुवार जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनकी आख्या जिलाधिकारी को भेज दी जाएगी. उसके अनुसार जो भी कार्रवाई होगी, की जाएगी.
-संजेश श्रीवास्तव, जिला कृषि अधिकारी

बस्ती: जिले के बहादुरपुर ब्लॉक के एक गांव में विकास के नाम पर लाखों रुपये का बंदरबाट किया गया. मामले का खुलासा उस वक्त हुआ, जब ग्रामीणों ने इसकी शिकायत की. ग्रामीणों का आरोप है कि शासन स्तर से आई लगभग 35 लाख रुपये की धनराशि का प्रधान ने गबन कर लिया है. इतना ही नहीं, लोगों से आवास के नाम पर पैसे भी लिए गए. मजदूरी का पैसा भी लाभार्थियों को नहीं मिला. वहीं शिकायत पर डीएम ने जिला कृषि अधिकारी को जांच सौंपी. ग्रामीणों का आरोप है कि जांच अधिकारी महीनों बाद भी गांव नहीं पहुंचे, सिर्फ तारीख पर तारीख दे रहे हैं.

मामला बहादुरपुर ब्लॉक के डारीडीहा गांव का है. आरोप है कि यहां के प्रधान ने जमकर सरकारी पैसे का बंदरबांट किया. आलम यह है कि पुराने काम को दिखाकर या आधा अधूरा काम कराकर पैसा गबन कर लिया गया. ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान के भ्रष्ट रवैये के चलते ग्रामीणजन शासन से मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं से भी मरहूम हैं.

ग्रामीणों ने बताया कि प्रधान ने चकरोट, खड़ंजा और इंटरलॉकिंग समेत तमाम काम सिर्फ कागजों में दिखाकर सरकारी पैसे का बंदरबाट किया है. गांव में जमीनी स्तर पर कुछ विकास नहीं है. ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम समाज की जमीन पर भी तमाम अनियमितताएं की गई हैं. नाले की जगह तालाब खुदवा दिया गया तो कहीं चकरोड बना दिया गया.

ग्रामीणों ने कहा कि आवास के नाम पर पैसे की वसूली की जाती है. जिनको आवास मिला है, उनका भी आरोप है कि उनसे 10 हजार रुपये लिए गए. ग्रामीणों का आरोप है कि मनरेगा में भी घोटाला हुआ है. बाहर से आने वालों प्रवासी कामगारों को न तो काम दिया गया और न ही राशन किट दी गयी. उन्होंने बताया कि पूछने पर प्रधान कहते हैं कि ब्लॉक पर भी पैसा देना पड़ता है.

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शिकायतकर्ता चन्द्रदेव पांडे ने कहा कि प्रधान की शिकायत चार महीने पहले डीएम और सीडीओ से की थी, जिसके बाद जांच जिला कृषि अधिकारी को मिली थी, लेकिन वो सिर्फ तारीख पर तारीख दे रहे हैं. एक महीने बाद भी आज तक उन्हें वीडियो कांफ्रेंसिंग और मीटिंग से फुर्सत नहीं मिली. बार-बार शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.

डीएम के निर्देश पर मुझे जांच अधिकारी बनाया गया है. अभी इसकी जांच हो नही पाई है. लेकिन जल्द ही मामले की जांच कराई जाएगी. बिन्दुवार जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनकी आख्या जिलाधिकारी को भेज दी जाएगी. उसके अनुसार जो भी कार्रवाई होगी, की जाएगी.
-संजेश श्रीवास्तव, जिला कृषि अधिकारी

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