लखनऊ: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने बयान जारी किया. उन्होंने समाजवादी पार्टी के मुखिया को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सपा के विरोध प्रदर्शन में अराजकता, हिंसा, उत्पात और आगजनी करके अखिलेश यादव प्रदेश की कानून व्यवस्था को बिगाड़ना चाहते हैं. अखिलेश यादव को बताना चाहिए कि आखिर मुस्लिम युवाओं को वे क्यों गुमराह कर रहे हैं?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह यह स्पष्ट कर चुके है कि नागरिकता संशोधन कानून से मुस्लिम समाज को डरने की आवश्यकता नहीं है. इस कानून से किसी भी व्यक्ति की नागरिकता जाएगी नहीं बल्कि पाकिस्तान, बंग्लादेश और आफगानिस्तान में धार्मिक प्रताड़ना से सताए हुए हिन्दु, सिख, बौद्ध आदि भारत में शरणार्थी के रूप में रह रहे हैं. उन्हें नागरिकता दी जायेगी. इस कानून से किसी भी भारतीय मुसलमान का कोई भी अहित नहीं होगा. इसके बावजूद अखिलेश यादव मुस्लिम समाज में भ्रम फैलाकर कौन सी राजनीतिक रोटी सेंकना चाहते हैं?
स्वतंत्र देव सिंह ने जारी किया बयान
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि सपा ने विरोध प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करके, मीडिया पर हमला करके, महिलाओं के साथ अभद्रता तथा गरीबों को प्रताड़ित करके अपनी हल्लाबोल छवि से प्रदेश को एक बार फिर वाकिफ कराया है. प्रदेश की जनता अभी सपा सरकार के दौर में सत्ता संरक्षित अपराध, संगठित अपराध, भ्रष्टाचार, तुष्टीकरण से जंगल राज बने प्रदेश को विस्मृत भी नहीं कर पाई है कि सपा मुखिया ने हल्लाबोल का ट्रेलर लेकर आ गये.
स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि अखिलेश यादव सत्ता जाने के गम में अवसाद से ग्रसित हो चुके हैं. वह अपनी परम्परागत हल्ला बोल छवि के अनुरूप ही गुण्डई और अराजकता के दम पर सत्ता पाने का सपना देख रहे है. लेकिन उन्हें याद रहे कि यह योगी सरकार है. उनकी अराजकता से सत्ता पाने के सपने को कभी पूरा नहीं होने देगी. देश में आपातकाल थोपने वालों को अपनी साइकिल पर घुमाने वाले नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करते हुए लोकतंत्र की दुहाई दे रहे है. उन्होंने कहा कि भाजपा नागरिकता कानून के मुद्दे को लेकर लोकसभा चुनाव में जनता के बीच गई थी, जिसे जनता ने अपनी स्वीकृति प्रदान की है. देश के गृहमंत्री अमित शाह स्पष्ट रूप से कह चुके हैं कि सरकार अपने निर्णय से टस से मस नहीं होगी.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि समाजवादी पार्टी धार्मिक उन्माद फैलाकर प्रदेश में आग लगाना चाहती है. लोकतंत्र की दुहाई देने वाले यह भी भूल गये हैं कि लोकतांत्रिक परम्परा में विरोध प्रदर्शनों के दौरान अराजकता, गुण्डई और हिंसा का कोई स्थान नहीं है. नागरिकता संशोधन कानून संसद के दोनों सदनों की स्वीकृति से पास हुआ है. इसका विरोध संसदीय प्रणाली और लोकतंत्र का विरोध है. लेकिन यह बात आतंकवादियों के मुकदमे वापस लेने वाले लोग नहीं समझ सकते हैं. दरअसल इन विरोध प्रदर्शनों के पीछे खोई हुई राजनीतिक जमीन पाने की छटपटाहट है. उन्होंने कहा कि चाचा और भतीजे में होड़ मची है. पहले चाचा विरोध प्रदर्शन करते हैं फिर भतीजे को भी याद आता है कि कहीं चाचा विरोध करते-करते आगे न निकल जाएं.