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बस्ती: डिलीवरी के दौरान हुई नवजात की मौत, अस्पताल ने शव के बदले मांगे 300 रुपये

उत्तर प्रदेश के बस्ती में स्वास्थ्य कर्मियों की संवेदनहीनता का मामला सामने आया है. यहां गर्भवती महिला का इलाज अप्रशिक्षित महिला स्टाफ नर्स ने कर दिया, जिससे बच्चे की मौत हो गई. इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने बच्चे का शव देने के बजाए पैसों की डिमांड की.

आलोक हॉस्पिटल.
आलोक हॉस्पिटल.
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Published : May 4, 2020, 6:31 PM IST

Updated : May 4, 2020, 9:39 PM IST

बस्ती: जिले के एक प्राइवेट अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों ने संवेदनहीनता का सारी हदें पार दीं. गर्भवती महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से जिला महिला अस्पताल भेजने के बजाए वहां की स्टाफ नर्स ने उसे अपने नर्सिंग होम भेज दिया. वहां महिला के ऑपरेशन के बाद बच्चे की मौत हो गई, जिसके बाद अस्पताल प्रसाशन ने बच्चे का शव देने से भी इनकार कर दिया.

जानकारी देते मृत नवजात के परिजन.

जानें क्या है पूरा मामला
दरअसल, सोमवार को भानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक गर्भवती महिला डिलीवरी के लिए पहुंची थी. वहां की स्टाफ नर्स ने उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज करने के बजाए या महिला अस्पताल में रेफर करने के बजाय जानबूझकर अपने खुद के नर्सिंग होम आलोक हॉस्पिटल में भेज दिया. नर्स ने महिला को बताया कि सरकारी अस्पताल में कोरोना की जांच होगी और 20 हजार रुपये लिए जाएंगे तब आपको वहां एडमिट किया जाएगा. आलोक हॉस्पिटल में दलालों ने महिला को भर्ती कराया. वहां पर डॉक्टरों के बजाए उसका इलाज अप्रशिक्षित महिला स्टाफ नर्स ने किया, जिसके बाद नवजात की मौत हो गई.

घटना के बाद जब पिता ने अपने बच्चे का शव मांगा तो अस्पताल के संवेदनहीन कर्मचारियों ने 300 रुपये की डिमांड की. जब परिजनों ने इस अस्पताल में इलाज कराने से मना किया और वहां से जाना चाहा तो वहां के कर्मचारियों ने उनको बंधक बना लिया.

सूचना मिलने के बाद जब मीडिया टीम मौके पर पहुंची तब जाकर अस्पताल के स्टाफ ने पिता को उसके मृत बच्चे का शव सौंपा. डीएम ने मामले को संज्ञान में लिया और तत्काल कार्रवाई करते हुए तहसीलदार और पुलिस की एक टीम जांच करने के लिए आलोक नर्सिंग होम में भेजा. प्रशासनिक टीम ने पीड़ित से बात कर सारा मामला जाना और मरीज को मुक्त कराके उसे महिला अस्पताल में शिफ्ट कराया. पूरे मामले के बारे में जब तहसीलदार ने ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर से बात की तो उसने किसी भी ऑपरेशन से साफ इनकार कर दिया.

फर्जी नर्सिंग होम में हो रहा मरीजों का इलाज
बता दें कि यह नर्सिंग होम बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहा है और भानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्टाफ नर्स जनक नंदिनी इसे संचालित कर रही हैं. इसकी देख रेख जनक नंदिनी के देवर और विश्व हिंदू महासंघ के नेता दिग्विजय सिंह कर रहे हैं. भानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से दलाल मरीजों को बरगलाकर यहां लाते हैं और यहां पर मरीजों से 20 से 40 हजार तक रुपये वसूल किए जाते हैं. इस निजी अस्पताल में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और गरीब मरीजों की जिंदगी खतरे में डाली जा रही है. डीएम आशुतोष निरंजन की सख्ती के बाद एक टीम इस मामले की जांच कर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रही है, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी.

बस्ती: जिले के एक प्राइवेट अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों ने संवेदनहीनता का सारी हदें पार दीं. गर्भवती महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से जिला महिला अस्पताल भेजने के बजाए वहां की स्टाफ नर्स ने उसे अपने नर्सिंग होम भेज दिया. वहां महिला के ऑपरेशन के बाद बच्चे की मौत हो गई, जिसके बाद अस्पताल प्रसाशन ने बच्चे का शव देने से भी इनकार कर दिया.

जानकारी देते मृत नवजात के परिजन.

जानें क्या है पूरा मामला
दरअसल, सोमवार को भानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक गर्भवती महिला डिलीवरी के लिए पहुंची थी. वहां की स्टाफ नर्स ने उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज करने के बजाए या महिला अस्पताल में रेफर करने के बजाय जानबूझकर अपने खुद के नर्सिंग होम आलोक हॉस्पिटल में भेज दिया. नर्स ने महिला को बताया कि सरकारी अस्पताल में कोरोना की जांच होगी और 20 हजार रुपये लिए जाएंगे तब आपको वहां एडमिट किया जाएगा. आलोक हॉस्पिटल में दलालों ने महिला को भर्ती कराया. वहां पर डॉक्टरों के बजाए उसका इलाज अप्रशिक्षित महिला स्टाफ नर्स ने किया, जिसके बाद नवजात की मौत हो गई.

घटना के बाद जब पिता ने अपने बच्चे का शव मांगा तो अस्पताल के संवेदनहीन कर्मचारियों ने 300 रुपये की डिमांड की. जब परिजनों ने इस अस्पताल में इलाज कराने से मना किया और वहां से जाना चाहा तो वहां के कर्मचारियों ने उनको बंधक बना लिया.

सूचना मिलने के बाद जब मीडिया टीम मौके पर पहुंची तब जाकर अस्पताल के स्टाफ ने पिता को उसके मृत बच्चे का शव सौंपा. डीएम ने मामले को संज्ञान में लिया और तत्काल कार्रवाई करते हुए तहसीलदार और पुलिस की एक टीम जांच करने के लिए आलोक नर्सिंग होम में भेजा. प्रशासनिक टीम ने पीड़ित से बात कर सारा मामला जाना और मरीज को मुक्त कराके उसे महिला अस्पताल में शिफ्ट कराया. पूरे मामले के बारे में जब तहसीलदार ने ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर से बात की तो उसने किसी भी ऑपरेशन से साफ इनकार कर दिया.

फर्जी नर्सिंग होम में हो रहा मरीजों का इलाज
बता दें कि यह नर्सिंग होम बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहा है और भानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्टाफ नर्स जनक नंदिनी इसे संचालित कर रही हैं. इसकी देख रेख जनक नंदिनी के देवर और विश्व हिंदू महासंघ के नेता दिग्विजय सिंह कर रहे हैं. भानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से दलाल मरीजों को बरगलाकर यहां लाते हैं और यहां पर मरीजों से 20 से 40 हजार तक रुपये वसूल किए जाते हैं. इस निजी अस्पताल में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है और गरीब मरीजों की जिंदगी खतरे में डाली जा रही है. डीएम आशुतोष निरंजन की सख्ती के बाद एक टीम इस मामले की जांच कर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रही है, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी.

Last Updated : May 4, 2020, 9:39 PM IST
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