बस्ती: उत्तर प्रदेश की बेसिक शिक्षा व्यवस्था लगता है अब राम भरोसे ही चल रही है. क्योंकि न तो शिक्षक ही अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और न ही इनकी निगरानी करने वाले अधिकारी. बस्ती के कुदरहा ब्लॉक में तमाम ऐसे स्कूल हैं जहां शिक्षक घर बैठकर सैलरी उठा रहे हैं. वहीं ठंड से सिकुड़ रहे बच्चों को स्वेटर तक मय्यसर नहीं हैं.
40 बच्चों पर तीन टीचर, फिर भी सब नदारद
शिक्षा व्यवस्था की पड़ताल करने ईटीवी भारत की टीम कुदरहा ब्लॉक के डिहिकपुरा प्राइमरी स्कूल पर पहुंची. यहां लगभग 40 बच्चे मौजूद रहे लेकिन यहां पढ़ाने वाले अध्यापक नदारद दिखे. यहां एक भी शिक्षक मौजूद नही था. पूछने पर पता चला कि कुछ अपने निजी कामों में व्यस्त हैं. वहीं इस स्कूल की एक अध्यापिका कभी स्कूल ही नहीं आती हैं. ऐसे में यह सवाल उठता है कि सरकार ने जिन गरीब परिवारों के बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक नियुक्त किए हैं, वह किस बात का वेतन ले रहे हैं. साथ ही देश के भविष्य को उजाला दिखाने के बजाय घोर अंधकार में ढकेल रहे हैं.
अधिकारियों को दिखाने के लिए बना दिया गया है रजिस्टर
इतना ही नहीं, यहां दो रजिस्टर बनाकर स्कूल में आने वाले अधिकारी को भी धोखा दिया जा रहा है. इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पूरा दिन टीचर के अभाव में उछल कूद करते हैं. जरा सोचिए इन बच्चों का भविष्य कैसा होगा. सरकार का दावा है कि वह करोड़ों रुपये सिर्फ शिक्षा के बजट पर खर्च कर रही है परन्तु इन करोड़ों रुपयों से लापरवाह अधिकारी और अध्यापक मॉनिटरिंग करने के लिए जिम्मेदार आखिर कर क्या रहे हैं.
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बीएसए अरुण कुमार ने इस पूरे मामले को लेकर कहा कि हम इस मामले की जांच कराकर ऐसे लापरवाह शिक्षकों के ऊपर सख्त कार्रवाई करेंगे. उन्होंने कहा कि खण्ड शिक्षा अधिकारी के ऊपर भी शिथिलता के लिए कार्रवाई की जाएगी.