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बस्ती: स्कूल में नहीं रहते हैं टीचर, कैसे पढ़ेंगे बच्चे

यूपी के बस्ती जिले में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल है. डिहिकपुरा प्राइमरी स्कूल में शिक्षक गायब हैं. एक तरफ जहां सरकार बच्चों को शिक्षित करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं दूसरी तरफ बच्चों को अभी तक स्वेटर तक नहीं बांटे गए हैं.

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स्कूल से नदारद टीचर.
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Published : Dec 10, 2019, 3:34 PM IST

बस्ती: उत्तर प्रदेश की बेसिक शिक्षा व्यवस्था लगता है अब राम भरोसे ही चल रही है. क्योंकि न तो शिक्षक ही अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और न ही इनकी निगरानी करने वाले अधिकारी. बस्ती के कुदरहा ब्लॉक में तमाम ऐसे स्कूल हैं जहां शिक्षक घर बैठकर सैलरी उठा रहे हैं. वहीं ठंड से सिकुड़ रहे बच्चों को स्वेटर तक मय्यसर नहीं हैं.

स्कूल से नदारद टीचर.

40 बच्चों पर तीन टीचर, फिर भी सब नदारद
शिक्षा व्यवस्था की पड़ताल करने ईटीवी भारत की टीम कुदरहा ब्लॉक के डिहिकपुरा प्राइमरी स्कूल पर पहुंची. यहां लगभग 40 बच्चे मौजूद रहे लेकिन यहां पढ़ाने वाले अध्यापक नदारद दिखे. यहां एक भी शिक्षक मौजूद नही था. पूछने पर पता चला कि कुछ अपने निजी कामों में व्यस्त हैं. वहीं इस स्कूल की एक अध्यापिका कभी स्कूल ही नहीं आती हैं. ऐसे में यह सवाल उठता है कि सरकार ने जिन गरीब परिवारों के बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक नियुक्त किए हैं, वह किस बात का वेतन ले रहे हैं. साथ ही देश के भविष्य को उजाला दिखाने के बजाय घोर अंधकार में ढकेल रहे हैं.

अधिकारियों को दिखाने के लिए बना दिया गया है रजिस्टर
इतना ही नहीं, यहां दो रजिस्टर बनाकर स्कूल में आने वाले अधिकारी को भी धोखा दिया जा रहा है. इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पूरा दिन टीचर के अभाव में उछल कूद करते हैं. जरा सोचिए इन बच्चों का भविष्य कैसा होगा. सरकार का दावा है कि वह करोड़ों रुपये सिर्फ शिक्षा के बजट पर खर्च कर रही है परन्तु इन करोड़ों रुपयों से लापरवाह अधिकारी और अध्यापक मॉनिटरिंग करने के लिए जिम्मेदार आखिर कर क्या रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- बस्तीः सर्व शिक्षा अभियान पर पानी फेर रहे प्राइमरी स्कूल के शिक्षक

बीएसए अरुण कुमार ने इस पूरे मामले को लेकर कहा कि हम इस मामले की जांच कराकर ऐसे लापरवाह शिक्षकों के ऊपर सख्त कार्रवाई करेंगे. उन्होंने कहा कि खण्ड शिक्षा अधिकारी के ऊपर भी शिथिलता के लिए कार्रवाई की जाएगी.

बस्ती: उत्तर प्रदेश की बेसिक शिक्षा व्यवस्था लगता है अब राम भरोसे ही चल रही है. क्योंकि न तो शिक्षक ही अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और न ही इनकी निगरानी करने वाले अधिकारी. बस्ती के कुदरहा ब्लॉक में तमाम ऐसे स्कूल हैं जहां शिक्षक घर बैठकर सैलरी उठा रहे हैं. वहीं ठंड से सिकुड़ रहे बच्चों को स्वेटर तक मय्यसर नहीं हैं.

स्कूल से नदारद टीचर.

40 बच्चों पर तीन टीचर, फिर भी सब नदारद
शिक्षा व्यवस्था की पड़ताल करने ईटीवी भारत की टीम कुदरहा ब्लॉक के डिहिकपुरा प्राइमरी स्कूल पर पहुंची. यहां लगभग 40 बच्चे मौजूद रहे लेकिन यहां पढ़ाने वाले अध्यापक नदारद दिखे. यहां एक भी शिक्षक मौजूद नही था. पूछने पर पता चला कि कुछ अपने निजी कामों में व्यस्त हैं. वहीं इस स्कूल की एक अध्यापिका कभी स्कूल ही नहीं आती हैं. ऐसे में यह सवाल उठता है कि सरकार ने जिन गरीब परिवारों के बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षक नियुक्त किए हैं, वह किस बात का वेतन ले रहे हैं. साथ ही देश के भविष्य को उजाला दिखाने के बजाय घोर अंधकार में ढकेल रहे हैं.

अधिकारियों को दिखाने के लिए बना दिया गया है रजिस्टर
इतना ही नहीं, यहां दो रजिस्टर बनाकर स्कूल में आने वाले अधिकारी को भी धोखा दिया जा रहा है. इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पूरा दिन टीचर के अभाव में उछल कूद करते हैं. जरा सोचिए इन बच्चों का भविष्य कैसा होगा. सरकार का दावा है कि वह करोड़ों रुपये सिर्फ शिक्षा के बजट पर खर्च कर रही है परन्तु इन करोड़ों रुपयों से लापरवाह अधिकारी और अध्यापक मॉनिटरिंग करने के लिए जिम्मेदार आखिर कर क्या रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- बस्तीः सर्व शिक्षा अभियान पर पानी फेर रहे प्राइमरी स्कूल के शिक्षक

बीएसए अरुण कुमार ने इस पूरे मामले को लेकर कहा कि हम इस मामले की जांच कराकर ऐसे लापरवाह शिक्षकों के ऊपर सख्त कार्रवाई करेंगे. उन्होंने कहा कि खण्ड शिक्षा अधिकारी के ऊपर भी शिथिलता के लिए कार्रवाई की जाएगी.

Intro:बस्ती न्यूज रिपोर्ट
प्रशांत सिंह
9161087094
8317019190

बस्ती: उत्तर प्रदेश की बेसिक शिक्षा व्यवस्था लगता है अब राम भरोसे ही चल रही है. क्योंकि न तो लाखों रुपये सैलरी लेने वाले शिक्षक ही अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और न ही इनकी निगरानी करने वाले अधिकारी.

आज हम आपको ऐसी ही रिपोर्ट के बारे में बताने जा रहे जो शिक्षा विभाग की पोल खोल देगी. जी हां बस्ती के कुदरहा ब्लॉक में तमाम ऐसे स्कूल हैं जहां शिक्षक घर बैठकर सैलरी उठा रहे हैं. वही ये सब खंड शिक्षा अधिकारी की मेहरबानी से संभव हो रहा है. जब हमने स्कूलों की जमीनी हकीकत की पड़ताल की तो जो हकीकत सामने आई वो हैरान करने वाली थी. पेश है एक रिपोर्ट....

पड़ताल करने हम कुदरहा ब्लॉक के डिहिकपुरा प्राइमरी स्कूल पर पहुंचे. यहां लगभग 40 बच्चे मौजूद मिले लेकिन यहां पढ़ने आने वाले गरीब बच्चो को पढ़ाने का जिन्हें सरकार ने जिम्मा दिया है वो स्कूल से नदारद मिले. यहाँ एक भी शिक्षक मौजूद नही था. पूछने पर पता चला कि कुछ अपने निजी कामो में व्यस्त है. वहीं इस स्कूल की एक अध्यापक आकांक्षा यादव कभी स्कूल ही नहीं आती.

Body:इतना ही नहीं, दो रजिस्टर बनाकर स्कूल में आने वाले अधिकारी को भी धोखा दिया जा रहा है. इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पूरा दिन टीचर के अभाव में उछल कूद करते हैं. क्योंकि इन्हे पढ़ाने वाला कोई टीचर नहीं है. साथ ही सड़क के किनारे मौजूद इस विद्यालय में दुर्घटना भी हो सकती है. जरा सोचिए इन बच्चों का भविष्य कैसा होगा. अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि सरकार का करोड़ों रुपए सिर्फ शिक्षा के बजट पर खर्च हो रहा है जो जमीन पर मॉनिटरिंग करने के लिए जिम्मेदार क्या कर रहे हैं.

बीएसए अरुण कुमार ने इस पूरे मामले को लेकर कहा कि हम इस मामले की जांच कराकर ऐसे लापरवाह शिक्षकों के ऊपर सख्त कारर्वाई करेंगे. उन्होंने कहा कि खण्ड शिक्षा अधिकारी के ऊपर भी शिथिलता के लिए कार्रवाई की जाएगी.

बाइट....छात्रा, तबस्सुम
बाइट - छात्र, मोहम्मद अयूब
बाइट - छात्र, दिलशाद
पीटीसी, प्रशांत सिंह
बाइट- अरुण कुमार, बीएसए

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