बस्ती: योगी सरकार ने सत्ता में आते ही सबसे पहले यह घोषणा की थी कि उत्तर प्रदेश की गड्ढा युक्त वाली सड़कों को फौरन गड्ढा मुक्त किया जाएगा. लिटिल बस्ती की एक ऐसी सड़क है, जो इस सरकार में गड्ढा मुक्त होना तो दूर पूरी तरीके से तालाब में तब्दील हो चुकी है. हाइवे से बस्ती शहर को जोड़ने वाली यह महत्वपूर्ण सड़क है, लेकिन इस सड़क में सिर्फ गड्ढे ही गड्ढे नजर आते हैं. इस सड़क पर स्थानीय नागरिकों ने मिलकर इस हवन कुंड सजाया और मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ शुरू कर दिया.
राष्ट्रीय राजमार्ग को बस्ती शहर से जोड़ने वाले मुख्य पचपेड़िया रोड की हालत खराब है. करीब एक किलोमीटर सड़क गड्ढों में तब्दील हो गयी है. बरसात के दिनों में स्थिति नरकीय हो जाती है. राहगीरों का गिरना, दुर्घटाग्रस्त होना आम बात है. स्थानीय नागरिक सड़क की मरम्मत के लिये दो साल से संघर्ष कर थक चुके हैं. अब लोगों का कहना है, जब तक कोई जनप्रतिनिधि आकर आश्वासन नहीं देता है, तब तक यह बुद्धि-शुद्धि हवन निरंतर चलता रहेगा.
साल 2019 के मई जून में स्थानीय नागरिकों के सहयोग से व्यापारियों ने बड़ा आन्दोलन छेड़ा था. बीच में गड्ढों को भरवाने के लिये 19 लाख 91 हजार का बजट आया. नगरपालिका ने बाहर से इसमें कोई मैटेरियल न डालकर जेसीबी चलवाकर गड्ढों की लेवलिंग करवा दी. मामला बंदरबांट तक सिमटकर रह गया. सड़क को हाटमिक्स प्लांट से बनवाने के लिये डीपीआर भेजा गया था, स्वीकृत हुआ और अब एक करोड़ 26 लाख का बजट मिला टेण्डर भी हुआ, स्थानीय नागरिकों को उम्मीद जगी कि सड़क बन जायेगी.
दो महीने का वक्त सेटिंग में बीत गया. नतीजा ये हुआ कि टेण्डर निरस्त करा दिया गया है. सांसद का कहना है कि मैं निर्माण में बाधा बनूं इसका सवाल ही नहीं उठता, निश्चित रूप से इसमें जो प्रक्रिया अख्तियार की गयी वह पारदर्शी नहीं रही होगी. फिलहाल स्थानीय प्रशासन, सरकार और नेताओं की लचर कार्यशैली से नाराज स्थानीय नागरिकों डीएम को मांग पत्र देकर एक बार फिर आन्दोलन की चेतावनी दी है.