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मरीजों के मौत पर उठ रहा सवाल, सामने आये बस्ती मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल

यूपी के बस्ती जिले में महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य का वेंटिलेटर पर दिया बयान चर्चा में है. मेडिकल कॉलेज में कोरोना से अबतक आठ मरीजों की मौत हो चुकी है. इनमें पांच मरीजों की मौत सांस लेने में तकलीफ से हुई है.

बस्ती जिले में महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज
बस्ती जिले में महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज
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Published : Aug 10, 2020, 2:30 PM IST

बस्ती: जिले के महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज में कोरोना काल में करीब पांच महीने के दौरान आठ संक्रमितों की मौत हो चुकी है. इनमें से पांच को सांस फूलने की शिकायत थी, लेकिन मेडिकल कॉलेज में 18 वेंटिलेटर होने के बावजूद एक भी मरीज को इसकी सुविधा नहीं मिली. मेडिकल कॉलेज बस्ती में 18 वेंटिलेटर शासन की तरफ से उपलब्ध कराए गए हैं. वार्ड पूरी तरह से तैयार है. मशीनें इंस्टॉल हैं और पूरी तरह से इस्तेमाल के लिए लायक हैं. शासन से नामित तीन-तीन नोडल अधिकारी आए और वार्ड देखकर चले गए. हर किसी ने एक ही सवाल किया कि यहां कितने मरीजों का इलाज हुआ.

महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य
हिंदू युवा वाहिनी के जिला प्रभारी की 31 जुलाई को पीजीआई में इलाज के दौरान मौत हो गई. उसी दिन दोपहर बाद बस्ती मेडिकल कॉलेज में भर्ती उनकी बहन की तबीयत बिगड़ने लगी. सांस फूलने की समस्या होने पर उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया गया. रास्ते में फैजाबाद के पास उनकी मौत हो गई. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि उन्हें समय से वेंटिलेटर मिला होता तो स्थिति नियंत्रित की जा सकती थी. ऑक्सीजन से काम चलाने के प्रयास में बस्ती मेडिकल कॉलेज आठ कोरोना संक्रमितों की मौत हो चुकी है. इनमें बानपुर लालगंज बस्ती का युवक, भवानीगंज सिद्धार्थनगर की महिला, अमदेवा महुली संतकबीरनगर के अधेड़, जगदीशपुर वाल्टरगंज बस्ती की महिला शामिल है.

बोदवल मुंडेरवा के कोरोना पॉजिटिव अधेड़ की सांस फूलने की शिकायत पर मौत हुई तो परिजन उस दिन शव तक लेने नहीं आए. परिजनों की मानें तो पांडेय बाजार के व्यापारी और हरेवा सोनहा के अधेड़ को सांस फूलने की शिकायत पर ही मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. हर्रैया के कृष्णौता निवासी एक व्यक्ति को भी इसी तरह की शिकायत हुई. इन सभी की मौत सांस फूलने के चलते हुई, लेकिन किसी को भी वेंटिलेटर पर नहीं ले जाया गया. अस्पताल प्रबंधन ने केवल ऑक्सीजन से काम चलाने का प्रयास किया.

वेंटिलेटर चलाने के लिए चौबीसों घंटे एनेस्थेटिक की जरूरत होती है. अस्पतालों को अधिक से अधिक वेंटिलेटर देकर गंभीर मरीजों को इलाज की सुविधा दी जाए, इस पर शासन-प्रशासन का जोर है. विधायक और सांसद निधि से धन लेकर वेंटिलेटर खरीदे जा रहे हैं.

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने कहा कि सभी वेंटिलेटर चालू हालत में हैं. आवश्यकता पड़ने पर मरीज को वेंटिलेटर की सुविधा प्रदान की जाएगी, जिन मरीजों की मेडिकल कॉलेज में मौत हुई है, उन्हें वेंटिलेटर तक ले जाने का अवसर ही नहीं मिला.

बस्ती: जिले के महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज में कोरोना काल में करीब पांच महीने के दौरान आठ संक्रमितों की मौत हो चुकी है. इनमें से पांच को सांस फूलने की शिकायत थी, लेकिन मेडिकल कॉलेज में 18 वेंटिलेटर होने के बावजूद एक भी मरीज को इसकी सुविधा नहीं मिली. मेडिकल कॉलेज बस्ती में 18 वेंटिलेटर शासन की तरफ से उपलब्ध कराए गए हैं. वार्ड पूरी तरह से तैयार है. मशीनें इंस्टॉल हैं और पूरी तरह से इस्तेमाल के लिए लायक हैं. शासन से नामित तीन-तीन नोडल अधिकारी आए और वार्ड देखकर चले गए. हर किसी ने एक ही सवाल किया कि यहां कितने मरीजों का इलाज हुआ.

महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य
हिंदू युवा वाहिनी के जिला प्रभारी की 31 जुलाई को पीजीआई में इलाज के दौरान मौत हो गई. उसी दिन दोपहर बाद बस्ती मेडिकल कॉलेज में भर्ती उनकी बहन की तबीयत बिगड़ने लगी. सांस फूलने की समस्या होने पर उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया गया. रास्ते में फैजाबाद के पास उनकी मौत हो गई. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि उन्हें समय से वेंटिलेटर मिला होता तो स्थिति नियंत्रित की जा सकती थी. ऑक्सीजन से काम चलाने के प्रयास में बस्ती मेडिकल कॉलेज आठ कोरोना संक्रमितों की मौत हो चुकी है. इनमें बानपुर लालगंज बस्ती का युवक, भवानीगंज सिद्धार्थनगर की महिला, अमदेवा महुली संतकबीरनगर के अधेड़, जगदीशपुर वाल्टरगंज बस्ती की महिला शामिल है.

बोदवल मुंडेरवा के कोरोना पॉजिटिव अधेड़ की सांस फूलने की शिकायत पर मौत हुई तो परिजन उस दिन शव तक लेने नहीं आए. परिजनों की मानें तो पांडेय बाजार के व्यापारी और हरेवा सोनहा के अधेड़ को सांस फूलने की शिकायत पर ही मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था. हर्रैया के कृष्णौता निवासी एक व्यक्ति को भी इसी तरह की शिकायत हुई. इन सभी की मौत सांस फूलने के चलते हुई, लेकिन किसी को भी वेंटिलेटर पर नहीं ले जाया गया. अस्पताल प्रबंधन ने केवल ऑक्सीजन से काम चलाने का प्रयास किया.

वेंटिलेटर चलाने के लिए चौबीसों घंटे एनेस्थेटिक की जरूरत होती है. अस्पतालों को अधिक से अधिक वेंटिलेटर देकर गंभीर मरीजों को इलाज की सुविधा दी जाए, इस पर शासन-प्रशासन का जोर है. विधायक और सांसद निधि से धन लेकर वेंटिलेटर खरीदे जा रहे हैं.

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने कहा कि सभी वेंटिलेटर चालू हालत में हैं. आवश्यकता पड़ने पर मरीज को वेंटिलेटर की सुविधा प्रदान की जाएगी, जिन मरीजों की मेडिकल कॉलेज में मौत हुई है, उन्हें वेंटिलेटर तक ले जाने का अवसर ही नहीं मिला.

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