बस्ती: नटवरलाल प्रिंसिपल की करतूत का ईटीवी भारत पर खुलासा होने के बाद अब फर्जी टीचरों का मामला सामने आया है. ऐसे ही 5 फर्जी टीचरों के फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ है, जो सालों से फर्जी टीईटी की डिग्री लगाकर नौकरी कर रहे थे. जिला विद्यालय निरीक्षक ने पांचों शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया है. ये सारे फर्जी शिक्षक उसी स्कूल के हैं, जिस स्कूल का प्रिंसिपल भी फर्जी तरीके से अपनी नियुक्ति करा बैठा है.
देशराज नारंग दयानंद इंटर कॉलेज में प्राथमिक विद्यालय का भी संचालन होता है और इसी स्कूल में 5 अध्यापक बतौर नौकरी कर रहे थे. इन सभी पांचों अध्यापकों की डिग्री फर्जी पाई गई है, जिनके खिलाफ अब विभागीय कार्रवाई शुरू हो गई है. पांचों शिक्षकों पर आरोप है कि इन लोगों ने टीईटी की फर्जी डिग्री लगाकर नौकरी हासिल की है.
शिक्षकों का रोका गया वेतन
जिला विद्यालय निरीक्षक बृजभूषण मौर्य का वह आरोप पत्र ईटीवी भारत के हाथ लगा है, जिसमें पांचों शिक्षकों की सेवा समाप्ति करते हुए उन सभी का वेतन रोक दिया गया है. माध्यमिक चयन बोर्ड से पांचों नटवरलाल शिक्षकों की डिग्री की जांच हुई तो पता लगा कि शिक्षक हरिकेश वर्मा, सुनील कुमार, प्रदीप कुमार, मंजू और देवेंद्र सिंह ने शिक्षक पात्रता के लिए टीईटी की जो डिग्री लगाई है, वह सारे फर्जी हैं.
डिग्री में दिखा फर्जीवाड़ा
दरअसल, सभी डिग्री की माध्यमिक चयन बोर्ड ने जांच की, जिसमें पता लगा कि देवेंद्र सिंह टीईटी की डिग्री अनुक्रमांक किसी समीम नाम के अभ्यर्थी का है. वहीं हरिकेश, प्रदीप, सुनील और मंजू ने जो डिग्री लगाई है, वह उच्च प्राथमिक स्तर की है, जबकि प्राइमरी में शिक्षक के लिए प्राथमिक स्तर की टीईटी डिग्री होना अनिवार्य है. साल 2014 में ये सभी शिक्षक देशराज नारंग दयानंद इंटर कॉलेज के प्राइमरी स्कूल में अध्यापक के तौर पर भर्ती हुए थे और 6 साल बाद अब जब इन सभी की डिग्री की जांच हुई तो सभी फर्जी पाए गए हैं.
सभी शिक्षकों की सेवाएं हुई समाप्त
जिला विद्यालय निरीक्षक बृजभूषण मौर्य ने इस मामले में बातचीत करते हुए बताया कि 5 शिक्षकों की डिग्री की जांच कराई गई थी, जिसमें पाया गया कि इन सभी ने फर्जी तरीके से टीईटी की डिग्री लगाई थी, जो प्राथमिक स्तर की नहीं है, जबकि प्राथमिक विद्यालय में सह अध्यापक के लिए प्राथमिक स्तर की डिग्री होना आवश्यक है. सही डिग्री न पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई करते हुए सभी की सेवा समाप्त कर दी गई है.
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जिला विद्यालय निरीक्षण ने बताया कि मामला हाईकोर्ट में चला गया है. अब पांचों शिक्षकों के खिलाफ धोखाधड़ी या वेतन रिकवरी की कार्रवाई उसी स्तर से होगी.