बस्ती: चार साल पहले तैनात विनियमित क्षेत्र के दो जेई और लगभग दो दर्जन मानचित्र बनाने वाले आर्किटेक्ट ने बीडीए को कंगाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. जांच के शुरुआती दौर में अब तक तीन करोड़ से अधिक के नुकसान का खुलासा हो चुका है. यह नुकसान तीस करोड़ तक होने की आशंका जताई जा रही है.
तत्कालीन बीडीओ के उपाध्यक्ष डीएम नरेंद्र सिंह पटेल ने लूटपाट को रोकने का बहुत प्रयास किया. मौखिक रूप से मानचित्र स्वीकृति न करने की हिदायत भी दी, लेकिन घोटालेबाजों ने डीएम की एक नहीं चलने दी. इसकी वजह इन लोगों की घुसपैठ तत्कालीन बीडीओ के अध्यक्ष और कमिश्नर कार्यालय तक थी. इस मामले में कार्रवाही रजिस्टर तक के बदल देने का दावा किया जा रहा है. इसलिए जो चाहा और जिस तरह से लूटपाट किया गया, आर्किटेक्ट जो कह देता था उस मानचित्र का तकनीकी परीक्षण किए बिना ओके का रिपोर्ट लगा दिया जाता था.
इन सबमें कोई लिपिक न होने का लाभ भी खूब उठाया गया. सबसे अधिक सुविधा शुल्क व्यवसायिक मानचित्र पर लेने की बात कही जा रही है. अब तो रकम देने वाले भी मुखर होने लगे हैं. बीडीए के लोगों का तर्क है कि अगर 1201 मानचित्र वीडियो के नियमों के तहत स्वीकृत होता तो 25 से 30 करोड़ का राजस्व विकास सहित अन्य शुल्क के रूप में बीडीए को मिलता और उस धन से वीडियो क्षेत्र का समुचित विकास होता. 28 अक्टूबर 2016 को बीडीए के होने का गठन हुआ उस वक्त बीडीए पूरी तरह अस्तित्व में नहीं आया था, इसलिए इसका संचालन करने के लिए बस्ती से तबादला होकर अमेठी के तत्कालीन जेई भगवान सिंह को बीडीए के प्रशासनिक कार्य को देखने के लिए बस्ती अटैच किया गया.
जेई भगवान सिंह को कहा गया कि सप्ताह में 2 दिन बीडीए का कार्य देखेंगे. इसके बाद खलीलाबाद विनियमित क्षेत्र के अवर अभियंता चंद्र प्रकाश चौधरी को बीडीए का प्रशासनिक कार्य देखने के लिए अटैच किया गया. रेंडम जांच में यह बात साबित हो चुकी है कि दोनों अवर अभियंताओं के कार्यकाल में विनियमित क्षेत्र के एक्ट के तहत 1200 से अधिक मानचित्र स्वीकृत किए गए. जबकि एक्ट समाप्त हो चुका था. अब सवाल ये उठता है कि इतनी बड़ी संख्या में नियम विरुद्ध मानचित्र स्वीकृत हो गया और बीडीओ के जिम्मेदार देखते रह गए यह बात लोगों को हजम नहीं हो रही है.
फिलहाल BDA के सचिव और तेजतर्रार आईएएस नंदकिशोर कलाल ने इस मामले को लेकर बताया कि तत्कालीन कुछ उनके अधिकारियों के द्वारा 1200 नक्शे में गोलमाल किया गया है. इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है और अब शासन स्तर से उस पर कार्रवाई की जाएगी. वहीं जिन लोगों ने नक्शे बनवाए थे, उनसे बैठ कर बात करनी थी कि तरीके से निर्णय लिए जाएंगे ताकि उपभोक्ताओं का कोई नुकसान भी ना हो.