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बस्ती: बच्चों के ड्रेस में घोटाला, बिना टेंडर फर्म को दे दिया अपूर्ति का ठेका - सर्व शिक्षा अभियान

यूपी के बस्ती जिले में परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को नि:शुल्क ड्रेस वितरण में बड़ा घोटाला सामने आ रहा है. जिला प्रशासन ने बिना टेंडर निकाले ही ड्रेस अपूर्ति का ठेका एक स्वयं सहायता समूह को दे दिया.

ड्रेस सिलती स्वयं सहायता समूह की महिलाएं.
ड्रेस सिलती स्वयं सहायता समूह की महिलाएं.
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Published : Aug 9, 2020, 8:59 AM IST

Updated : Aug 9, 2020, 12:06 PM IST

बस्ती: जिले में प्राइमरी स्कूल के बच्चों के लिए ड्रेस खरीद में गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है. सरकार जिले में हर साल सर्व शिक्षा अभियान के तहत परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को स्कूल यूनिफॉर्म से लेकर स्वेटर, जूता, मोजा तक उपलब्ध कराती है, जिस पर हर साल सरकार का करोड़ों रुपये खर्च होता है. सिर्फ यूनिफार्म के मद में ही लगभग सात करोड़ खर्च होता है. यह वही भारी-भरकम बजट है, जिस पर बिचौलियों की नजर रहती है.

इस साल भी लगभग तीन लाख यूनिफॉर्म तैयार होना है. एक बच्चे को दो सेट यूनिफॉर्म देने का प्रावधान है. सरकार एक बच्चे पर इस मद में 600 रुपये खर्च करती है. कोरोना वायरस के चलते प्रशासन की तरफ से इस बार महिला समूह के जरिए कपड़े की सिलाई की पहल की गई है, जिससे महिला समूहों को रोजगार और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण ड्रेस मिल सके. यहां तक तो सब ठीक है, लेकिन महिला समूह के द्वारा ही करोड़ों रुपये की एक ही फर्म से ड्रेस खरीद करना जिला प्रशासन की मंशा पर ढेरों सवाल खड़े करते हैं.

महिला समूहों को प्राथमिकता देने का आरोप
महिला समूहों से ही यूनिफार्म की आपूर्ति करने का दबाव भले ही बड़े अधिकारियों के द्वारा डालने को कहा जा रहा हो, लेकिन बीएसए अरुण कुमार ने तो नियम विरुद्ध सीधे महिला समूहों से ही आपूर्ति करने वाला लिखित आदेश दे डाला, जबकि डीएम ने एसएमसी से और सीडीओ की ओर से महिला समूहों को प्राथमिकता देने की बात कही गई है. अब इसे लेकर बीएसए को ही कार्यों में पूरी तरह दोषी माना जा रहा है. एक फर्म को फायदा पहुंचाने के मामले में उन्नाव जनपद के बीएसए के खिलाफ कार्रवाई भी हो चुकी है. उसके बाद भी बस्ती में इस तरह के मामले की पुनरावृति की गई.

ड्रेस सिलती स्वयं सहायता समूह की महिलाएं.

सरकार एक बच्चे पर 600 रुपये कर रही खर्च
प्रदेश का बस्ती पहला ऐसा जिला है, जहां पर यूनिफॉर्म की आपूर्ति को लेकर इस तरह की समस्या आ रही है. जिले में नि:शुल्क तीन लाख बच्चों को यूनिफॉर्म उपलब्ध कराना है और एक बच्चे को दो सेट यूनीफॉर्म देने की व्यवस्था है. सरकार एक बच्चे पर 600 रुपये खर्च कर रही है. इस तरह सरकार सिर्फ यूनिफॉर्म पर ही लगभग 12 करोड़ खर्च कर रही है. अभी तक लगभग पांच हजार यूनिफॉर्म बन कर तैयार हैं और विभाग की मंशा 15 अगस्त को बच्चों को यूनिफॉर्म पहनाकर स्कूल भेजने की है.

प्रधानाचार्य को निलंबित करने की मांग
शासन के आदेश के खिलाफ स्कूल ड्रेस में की गई अनियमितता को लेकर प्राथमिक शिक्षक संघ ने मोर्चा खोल दिया है. जिला अध्यक्ष उदय शंकर शुक्ला का कहना है कि जिस तरह प्रधानाचार्य को निलंबित सहित अन्य कार्रवाई करने की धमकी देकर ड्रेस रिसीव कर हस्ताक्षर करवाने की नीति अपनाई जा रही है, उसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश का बस्ती पहला जिला है, जहां पर कपड़ा खरीद के मामले में खुलेआम करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार करने की साजिश की जा रही है.

कमिश्नर ने कार्रवाई का दिया आश्वासन
शासन के आदेश के खिलाफ बस्ती में प्राइमरी स्कूलों में ड्रेस खरीद का कार्य स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के बजाए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को दे दिया गया है, जो पूरी तरह से नियम विरूद्ध है, जबकि नियम है कि ड्रेस खरीद एसएमसी यानि कि स्कूल मैनेजमेंट कमेटी करती है. टेंडर निकलता है फिर सबसे कम दाम जो ठेकेदार डालता है उसे काम दिया जाता है. इसमें ऐसा कुछ नहीं हुआ. वहीं बस्ती मंडल के कमिश्नर अनिल सागर ने इस मामले को लेकर कहा की ड्रेस की खरीद और सिलाई का काम शुरू हो गया है, उन्हें कुछ शिकायतें मिली हैं की महिला समूह से ही ड्रेस की आपूर्ति भी कराई गई है, जिसकी वह जांच करेंगे और इस तरह की अनियमितता पर कार्रवाई भी की जाएगी.

बस्ती: जिले में प्राइमरी स्कूल के बच्चों के लिए ड्रेस खरीद में गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है. सरकार जिले में हर साल सर्व शिक्षा अभियान के तहत परिषदीय स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को स्कूल यूनिफॉर्म से लेकर स्वेटर, जूता, मोजा तक उपलब्ध कराती है, जिस पर हर साल सरकार का करोड़ों रुपये खर्च होता है. सिर्फ यूनिफार्म के मद में ही लगभग सात करोड़ खर्च होता है. यह वही भारी-भरकम बजट है, जिस पर बिचौलियों की नजर रहती है.

इस साल भी लगभग तीन लाख यूनिफॉर्म तैयार होना है. एक बच्चे को दो सेट यूनिफॉर्म देने का प्रावधान है. सरकार एक बच्चे पर इस मद में 600 रुपये खर्च करती है. कोरोना वायरस के चलते प्रशासन की तरफ से इस बार महिला समूह के जरिए कपड़े की सिलाई की पहल की गई है, जिससे महिला समूहों को रोजगार और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण ड्रेस मिल सके. यहां तक तो सब ठीक है, लेकिन महिला समूह के द्वारा ही करोड़ों रुपये की एक ही फर्म से ड्रेस खरीद करना जिला प्रशासन की मंशा पर ढेरों सवाल खड़े करते हैं.

महिला समूहों को प्राथमिकता देने का आरोप
महिला समूहों से ही यूनिफार्म की आपूर्ति करने का दबाव भले ही बड़े अधिकारियों के द्वारा डालने को कहा जा रहा हो, लेकिन बीएसए अरुण कुमार ने तो नियम विरुद्ध सीधे महिला समूहों से ही आपूर्ति करने वाला लिखित आदेश दे डाला, जबकि डीएम ने एसएमसी से और सीडीओ की ओर से महिला समूहों को प्राथमिकता देने की बात कही गई है. अब इसे लेकर बीएसए को ही कार्यों में पूरी तरह दोषी माना जा रहा है. एक फर्म को फायदा पहुंचाने के मामले में उन्नाव जनपद के बीएसए के खिलाफ कार्रवाई भी हो चुकी है. उसके बाद भी बस्ती में इस तरह के मामले की पुनरावृति की गई.

ड्रेस सिलती स्वयं सहायता समूह की महिलाएं.

सरकार एक बच्चे पर 600 रुपये कर रही खर्च
प्रदेश का बस्ती पहला ऐसा जिला है, जहां पर यूनिफॉर्म की आपूर्ति को लेकर इस तरह की समस्या आ रही है. जिले में नि:शुल्क तीन लाख बच्चों को यूनिफॉर्म उपलब्ध कराना है और एक बच्चे को दो सेट यूनीफॉर्म देने की व्यवस्था है. सरकार एक बच्चे पर 600 रुपये खर्च कर रही है. इस तरह सरकार सिर्फ यूनिफॉर्म पर ही लगभग 12 करोड़ खर्च कर रही है. अभी तक लगभग पांच हजार यूनिफॉर्म बन कर तैयार हैं और विभाग की मंशा 15 अगस्त को बच्चों को यूनिफॉर्म पहनाकर स्कूल भेजने की है.

प्रधानाचार्य को निलंबित करने की मांग
शासन के आदेश के खिलाफ स्कूल ड्रेस में की गई अनियमितता को लेकर प्राथमिक शिक्षक संघ ने मोर्चा खोल दिया है. जिला अध्यक्ष उदय शंकर शुक्ला का कहना है कि जिस तरह प्रधानाचार्य को निलंबित सहित अन्य कार्रवाई करने की धमकी देकर ड्रेस रिसीव कर हस्ताक्षर करवाने की नीति अपनाई जा रही है, उसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश का बस्ती पहला जिला है, जहां पर कपड़ा खरीद के मामले में खुलेआम करोड़ों रुपये के भ्रष्टाचार करने की साजिश की जा रही है.

कमिश्नर ने कार्रवाई का दिया आश्वासन
शासन के आदेश के खिलाफ बस्ती में प्राइमरी स्कूलों में ड्रेस खरीद का कार्य स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के बजाए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को दे दिया गया है, जो पूरी तरह से नियम विरूद्ध है, जबकि नियम है कि ड्रेस खरीद एसएमसी यानि कि स्कूल मैनेजमेंट कमेटी करती है. टेंडर निकलता है फिर सबसे कम दाम जो ठेकेदार डालता है उसे काम दिया जाता है. इसमें ऐसा कुछ नहीं हुआ. वहीं बस्ती मंडल के कमिश्नर अनिल सागर ने इस मामले को लेकर कहा की ड्रेस की खरीद और सिलाई का काम शुरू हो गया है, उन्हें कुछ शिकायतें मिली हैं की महिला समूह से ही ड्रेस की आपूर्ति भी कराई गई है, जिसकी वह जांच करेंगे और इस तरह की अनियमितता पर कार्रवाई भी की जाएगी.

Last Updated : Aug 9, 2020, 12:06 PM IST
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