बस्तीः टेरर फंडिंग, बम धमाका और अवैध सॉफ्टवेयर के जरिए रेलवे के ई-टिकट का काला कारोबार करने वाला अंतरराष्ट्रीय सरगना मोहम्मद हामिद अशरफ आखिरकार पुलिस के हत्थे लग गया. बस्ती पुलिस और आरपीएफ टीम ने उसे बंगलुरु के एयरपोर्ट से दुबई जाते वक्त गिरफ्तार किया और बस्ती ले आई.
4 साल से था राडार पर, 50 हजार का था इनाम
एसपी हेमराज मीणा ने बताया कि हामिद पिछले 4 साल से देश की कई सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर चल रहा था. मोस्ट वांटेड हामिद अशरफ को अब गिरफ्तार करने में कामयाबी मिली है. एसपी ने बताया कि हामिद के ऊपर सीबीआई सहित देश के अलग-अलग राज्यों में कुल 6 मुकदमें दर्ज थे. हामिद के ऊपर 50 हजार रुपये का इनाम भी रखा गया था. एसपी ने बताया कि हामिद के पास से डेढ़ लाख रुपये, विदेशी मुद्रा, आईफोन, पासपोर्ट और दुबई का रेजिडेंस विजा बरामद किया गया है. एसपी ने बताया कि हामिद के पकड़े जाने के बाद देश के अलग-अलग राज्यों में हामिद की 50 करोड़ से अधिक की संपत्ति का भी खुलासा हुआ है. इसे जब्त करने की कार्रवाई चल रही है.
करता था शेयर मार्केट का काम
पूछताछ में पुलिस को जानकारी मिली है कि हामिद अशरफ वर्ष 2012-13 में वेस्ट मंत्रा कम्युनिटी बस्ती में शेयर मार्केट का कार्य करता था. इस कार्य के दौरान ही इसका सम्पर्क गांधीनगर थाना कोतवाली बस्ती के रहने वाले मोइनुलहक उर्फ लल्लू से हुआ. इससे हामिद ने टी-सिस्टम सॉफ्टवेयर वर्ष 2014 में खरीदा, जो दो-तीन महीने में बंद हो गया. इसके बाद यह वर्ष 2014 में ही फैजाबाद निवासी हरमेन्द्र उर्फ विक्की के सम्पर्क में आया और उससे थन्डरवर्ल्ड सॉफ्टवेयर लिया. इस सॉफ्टवेयर को क्रैक करके इसने यह जानकारी दी कि सॉफ्टवेयर कैसे काम करता है. इस दौरान हामिद ने बस्ती में रहकर आईटीआई और कम्प्यूटर का प्रशिक्षण भी लिया. वर्ष 2014-15 में हामिद ने अपना एक सॉफ्टवेयर ब्लैक टीएस तैयार किया. इसी मामले में वर्ष 2016 में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार कर इसे जेल भेजा गया. वर्ष 2017 में इसने दूसरा सॉफ्टवेयर रेड मिर्ची नाम से तैयार किया और यू-ट्यूब पर वीडियो बनाकर लोगों को जोड़ने लगा. इस दौरान इसका सम्पर्क योगेन्द्र विश्वकर्मा, मनोज महतो, महबूब अहमद, सत्यवान उपाध्याय उर्फ बाबा, अतीक रिजवी आदि से हुआ. कुछ समय बाद जब रेड मिर्ची सॉफ्टवेयर कई जगह पकड़ा गया तो उसने इसका नाम बदल कर ANMS कर दिया. वर्ष 20018-19 में इस सॉफ्टवेयर के काफी ग्राहक जुड़े और इसने प्रति सॉफ्टवेयर 1000/रु से 1500/ रुपये की दर से सुपर सेलर और सेलर के माध्यम से बेचा और कमीशन की धनराशि को विभिन्न फर्जी पोर्टल एकाउण्ट और नकद धनराशि के रूप में प्राप्त किया. इसके लिए इसने सुपर सेलर स्मार्ट शॉप, MOS SPAY INDIA, HARMAS नामक पोर्टल का उपयोग किया. वर्ष 2019 में जनपद गोण्डा के थाना खोड़ारे से एक मुकदमें में नामित होने के बाद यह सऊदी अरब भाग गया. वहीं से जनवरी 2020 तक इस व्यवसाय में आनलाइन तरीके से शामिल रहा. जनवरी 2020 में इसने इस सॉफ्टवेयर को बंद कर दिया. पूछताछ में इसने यह भी बताया कि 12वीं तक शिक्षा कप्तानगंज, बस्ती में प्राप्त की. इसके उपरांत आईटीआई और वर्ष 2010 में ही कम्प्यूटर का प्रशिक्षण एवं उसके बाद सिड इन्फोटेक नवीं मुम्बई से कम्प्यूटर साइंस का एक साल का कोर्स व पिस्टन इंस्टीट्यूट वॉसी से एथिकल हैकिंग का कार्य सीखा.
2019 में सक्रिय हुई पुलिस
जनवरी 2019 में डीजी आरपीएफ अरुण ने दिल्ली में एक प्रेसवार्ता कर बताया था कि अवैध सॉफ्टवेयर के जरिए रेलवे के ई-टिकट से कमाई गई रकम को टेरर फंडिंग में प्रयोग किया जा रहा है. इस गैंग का मुख्य सरगना उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले का रहने वाला मोहम्मद हामिद अशरफ है, जो कि फरार है. इसके बाद सक्रिय हुई आरपीएफ और बस्ती पुलिस ने उसकी तलाश में ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए उसके करीबी रहे सलमान व शमशेर के साथ ही मुख्य कैशियर मनोज महतो सहित दर्जनों लोगों को देश के विभिन्न राज्यों से गिरफ्तार कर जेल भेजा. कुछ दिन पहले ही बस्ती पुलिस ने मोहम्मद हामिद के कप्तानगंज थाने के रतास उर्फ कप्तानगंज गांव में उसके आवास पर छापेमारी कर करोड़ों की संपत्ति से संबंधित दस्तावेज बरामद किए. साथ ही हामिद के पिता जमीरुल हसन उर्फ लल्ला सहित कई लोगों को गिरफ्तार किया था.